
सरल मशीन
परिभाषा
भौतिकी मे सरल मशीन उन युक्तियों को कहा जाता है जो कि बलआघूर्ण के सिद्धांत पर कार्य करती है तथा जिन्हे चलाने के लिये केवल एक ही बल का प्रयोग किया जाता है । सरल मशीन मे किसी सुविधाजनक बिन्दु पर थोडा सा बल लगाकर किसी कार्य को अपेक्षाक्रत सरल तरीके से किया जा सकता है । जैसे सरौते की सहायता से हम कठोर सुपारी को भी आसानी से काट सकते है ।इसी प्रकार कुये मे पानी निकालने के लिये घिरनी का प्रयोग करने पर आसानी से कम बल लगाकर हम कार्य को कर सकते है।
सरल मशीन की क्षमता
सरल मशीन की दक्षता या क्षमता उसकी कार्य करने की क्षमता को बताती है
किसी सरल मशीन को दी गयी ऊर्जा व मशीन द्वारा किये गये कार्य के अनुपात को सरल मशीन की क्षमता या दक्षता कहते है ।
जैसा कि हम जानते है कि मशीन के द्वारा कम बल लगाकर अधिक भार की बस्तु केा उठाया जा सकता है । लेकिन हमेशा मशीन को दी गयी निवेशित ऊर्जा का मान निर्गत ऊर्जा के मान से अधिक होता है क्योकि ऊर्जा का कुछ भाग घर्षण बलो के बिरूद्ध खर्च हो जाता है । इसीलिये मशीन की दक्षता का मान 100 प्रतिशत नही हो सकता है । यदि किसी मशीन की क्षमता का मान 100 प्रतिशत है तो हम उस मशीन केा पूर्ण दक्ष मशीन अर्थात आदर्श मशीन कहेगें।
मशीन की दक्षता =मशीन द्वारा किया गया कार्य /मशीन को दी गयी ऊर्जा ×100
अथवा मशीन की दक्षता =मशीन का यांत्रिक लाभ/मशीन का वेगानुपात ×100
मशीन के प्रकार
सरल मशीन के प्रकार निम्नलिखित है
1 उत्तोलक /लीवर
2 चक्र या धुरी /व्हील और एक्सल
3 स्क्रू जैक
4 पुली / घिरनिया
5 आनत या नत तल
आदि
उत्तोलक या मशीन या लीवर
उत्तोलक या लीवर उस युक्ति को कहा जाता है जो किसी निश्चित बिंदु के परित: चारो ओर स्वतंत्रतापूवर्क घूम सके । यह एक सीधी अथवा टेडी छड होती है जो इसकी आवश्यकता के अनरूप डिजाइन की जाती है ।
उत्तोलक के कुछ प्रमुख भाग होते है
आलंब या फलक्रम
लीवर जिस बिंदु के परित: चारो ओर घुमता है उसे लीवर का आलंब कहा जाता है
आयास
लीवर को प्रयोग मे लाने के लिये उस पर जो बल लगाया जाता है उसे लीवर का आयास कहा जाता है ।
भार
लीवर के द्वारा किया गया कार्य अथवा लीवर द्वारा उठाया गया बोझ भार कहलाता है
लीवर या मशीन का यांत्रिक लाभ
लीवर द्वारा उठाये गये भार तथा लीवर पर लगाये गये आयास के अनुपात को लीवर का यांत्रिक लाभ कहते है।
यांत्रिक लाभ =भार /आयास
मशीन या लीवर का वेगानुपात
किसी मशीन या लीवर मे आयास द्वारा तय की गयी दूरी और भार द्वारा तय की गयी दूरी के अनुपात को मशीन का वेगानुपात कहते है।
मशीन का वेगानुपात =आयास बिंदु के द्वारा चली गई दूरी /भार बिंदु द्वारा तय दूरी
लीवर या उत्तोलक के प्रकार
लीवर तीन प्रकार के होते है
1 प्रथम श्रेणी के उत्तोलक
इस प्रकार के लीवर मे आलम्ब आयास और के बीच मे कही होता है
उदाहरण कैची प्लास कील उखाडने की मशीन साइकिल ब्रेक संडसी आदि
प्रथम श्रेणी के उत्तोलक का यांत्रिक लाभ 1 या 1 से कम ज्यादा या बराबर कुछ भी हो सकता है ।
द्वितिय श्रेणी के उत्तोलक
इस प्रकार के लीवर मे आलम्ब और आयास के बीच मे भार होता है ।
उदाहरण सरौता नीबू निचोडने की मशीन कब्जे वाला दरवाजा एक पहिऐ की कूडा वाली गाडी आदि
द्वितियक श्रेणी के लीवर का यांत्रिक लाभ सदैव 1 से अधिक होता है।
त्रतियक श्रेणी के उत्तोलक
त्रतियक श्रेणी के उत्तोलक मे आयास भार और आलंब के बीच मे होता है ।
उदाहरण चिमटा खेत जोतने वाला हल मनुष्य का हाथ आदि
त्रतियक श्रेणी के लीवर का यांत्रिक लाभ सदैव 1 से कम होता है ।
मशीन और लीवर के उपयोग
- चक्र या धुरी का प्रयोग कुये से पानी खीचने मे किया जाता है
- स्क्रू जैक का प्रयेाग कार ट्रक बस अदि को नीचे से उपर उठाने मे किया जाता है
- दॉंतेदार पुल्लियो वाले संयोजन को गियर कहते है गियर का प्रयोग मोटर साइकिल तथा बाहनो मे किया जाता है
- आनत तल का प्रयोग ट्रक आदि मे भारी सामान को चढाने तथा उतारने के लिये किया जाता है
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