ओम का नियम क्या है परिभाषा धारा और विभवांतर के बीच ग्राफ इस नियम की सीमाएं और practicle ओम केे नियम का सूूत्र इस पेज पर है Voltage और Current I में सम्बन्ध और इसके अनुप्रयोग और ओम का मात्रक इस नियम का नाम जर्मन वैज्ञानिक जार्ज साइमन ओम के नाम पर रख क्युकी 1828 में इन्होने ही Voltage यानि विभवान्तर और Current के बीच सम्बन्ध का अपने प्रयोगों से पता लगाया जिसे ओम का नियम नाम दिया गया
ओम का नियम
![Ohm का नियम hindi में Ohm के नियम की परिभाषा](https://i0.wp.com/mechanic37.com/wp-content/uploads/2018/03/ohmE0A495E0A587E0A4A8E0A4BFE0A4AFE0A4AEE0A495E0A580E0A4AAE0A4B0E0A4BFE0A4ADE0A4BEE0A4B7E0A4BE-1.jpg?ssl=1)
यदि किसी चालक यानि Conductor की भौतिक परिस्थितियों यानि लम्बाई,ताप,दाब,अदि में कोई परिवर्तन नहीं किया जाये तब उस चालक के सिरों पर उत्पन्न विभवान्तर उसमे Flow हो रही धारा के समानुपाती होता है
यदि लगाया गया विभवान्तर V मान लेते है और बहने वाली धारा I मान लेते है तब ओम के नियम से दोनों में सम्बन्ध- V ∝ I
V=RI
यहाँ पर R एक Constant है जिसे Resistance यानि प्रतिरोध कहते है इस Ω से दर्शाते है R=V/I वोल्टेज या विभवांतर v का मान बढ़ाने पर धारा का मान भी बढ़ता है इस पेज को ध्यान से रीड करो आप बहुत समय से कंफ्यूज हो रहे हो ओम के नियम से तो सभी डाउट क्लियर हो जायेगें इसके प्रयोग हो जरूर पढ़ें
विभवान्तर और धारा के बीच ग्राफ
![ohm के नियम से विभवान्तर और धारा के बीच ग्राफ](https://i0.wp.com/mechanic37.com/wp-content/uploads/2018/03/ohmkeniyamkagraph-1.png?ssl=1)
यदि चालक के विभवान्तर और धारा के बीच ग्राफ खीचे तो एक सरल रेखा प्राप्त होती है जो बताती है की विभवान्तर के बड़ने पर धारा भी बड़ेगी और विभवान्तर के कम होने पर धारा भी कम होगी
ओम के नियम की Limit यानि सीमायें
- ओम का नियम Metal Conductor के लिए ही apply होता है
- ताप और अन्य भौतिक परिस्थतियों Constant रहे यानि कोई परिवर्तन न हो
- और इनके कारण चालक में Strain यानि विकृति पैदा न हो
- ओम का नियम घातु प्रतिरोधो पर ही लागु होता है अर्धचालको पर यह नियम लागु नही होता है
- ओम का नियम रेक्टिफायर, क्रिस्टल डायरेक्ट जैसे उपकरणों पर लागु नही होता है
- ओम का नियम उन परिपथो पर काम नही करता जिनके विधुतीय गुण दिशा पर निर्भर करते है
- इलेक्ट्रिक परिपथो पर ओम नियम लागु नही होता है
ओम के नियम पर प्रयोग या सत्यापन
ओम के नियम का सत्यापन या हम कह सकते है प्रयोग इसके पहले तो आप कुछ महत्वपूर्ण बातें जान लें
वास्तव में विभवांतर क्या होता है -जब किसी wire में धारा वह रही होती है तो जिस प्रेसर से वह रही होती है उसे विभवांतर या voltage कहते है इसके लिए detail में हमने water analogy से इसे अच्छे से समझाया है आप इसे पड़ सकते हो –Voltage क्या है ?
अब प्रतिरोध क्या है इसका साधारण सा जबाब है धारा के मार्ग में रुकावट ही प्रतिरोध है यह रुकावट कुछ भी हो जैसे तार की लंबाई बड़ा दी जाए तो प्रतिरोध बढ़ जाएगा तो यह प्रतिरोध हो गया
ओम के नियम का उपयोग हम विभवांतर,धारा और प्रतिरोध को ज्ञात करने के लिए कर सकते है यह कैसे करना है इसकी बात हम करते है
आपको ओम के नियम के सत्यापन के लिए सबसे पहले आपको एक सर्किट board जैसे breadboard लेना है और एक resistance यानी प्रतिरोध जो बाजार में बहुत सस्ते मिल जाते है आपको एक कोई भी लेना है और उसे ब्रेडबोर्ड पर लगाना है एवं उस प्रतिरोध का मान ज्ञात करने के लिए रेसिस्टर कलर कोड के उपयोग से करें यदि आपको कलर कोड नही आते तो इसे पढ़ें Resistance value कैसे चेक करें
![प्रतिरोध ओम का नियम](https://i0.wp.com/mechanic37.com/wp-content/uploads/2019/02/प्रतिरोध-ओम-का-नियम.jpg?resize=702%2C402&ssl=1)
मान लीजिये की आपके द्वारा उपयोग किया गया प्रतिरोध 1k ओम का है
अब आपको किसी variable दिष्ट धारा का स्त्रोत लेना है जिससे आप अपने सर्किट को 1वोल्ट से लेकर 10 वोल्ट तक वोल्टेज दे सकें
जैसे कि एक adapter जिसमे वोल्टेज regulator लगा हो और एक स्क्रीन जिसमे वोल्टेज दिखता रहे कि हम कितना वोल्टेज अपने सर्किट को दे रहे है
ओम के नियम के सत्यापन या प्रयोग के लिए आपको ये करना है
हम जानते है कि श्रेणी क्रम में धारा समान रहती है इसलिए हम एक अमीटर अपने सर्किट में प्रतिरोध के श्रेणी क्रम में लगते है अमीटर धारा मापने के यन्त्र होता है
![ameter-ohm का नियम](https://i0.wp.com/mechanic37.com/wp-content/uploads/2019/02/ameter-ohm-का-नियम.jpg?resize=695%2C436&ssl=1)
और हम ये भी जानते है कि विभवांतर समांतर क्रम में समान रहता है
इस लिए एक वाल्टमीटर या विभवमापी हम उसी प्रतिरोध के साथ समांतर क्रम में जोड़ेंगे विभवमापी विभवांतर मापता है ये सब आपको पता होनी चाहिए
आप मल्टीमीटर का उपयोग कर सकते है जो धारा और विभवांतर दोनों माप सकता है यह 100 रुपये तक मिल जाता है बाजार में
![ओम के नियम का सत्यापन विभव मापी](https://i0.wp.com/mechanic37.com/wp-content/uploads/2019/02/ओम-के-नियम-का-सत्यापन-विभव-मापी.jpg?resize=700%2C614&ssl=1)
हमारा पूरा परिपथ बन चुका है अब ओम के नियम को ध्यान में रखते हम एक सारणी बनाएंगे सबसे पहले दिष्ट धारा के source में लगे रेगुलेटर को 1v से 10v तक ले जाते है और सभी उपकरणों में reading note करते चलते है
यदि आप 1k ओम का प्रतिरोध उपयोग कर रहे है तब आप voltage को 0v से 1v करें फिर अमीटर में देखें आपको 1mA दिखेगा यानी 1 मिली एम्पीयर
अब फिर 1v से 2v पर set करें तब आप अमीटर में 2mA देखोगे फिर 3v रखें तो आप 2.99mA धारा दिखेगी
इसी प्रकार आप 10v तक कि reading नोट करें यही ओम के नियम का सत्यापन है आप प्रतिरोध अलग अलग उपयोग करके देखिए सभी के रिजल्ट अलग अलग आते है और ओम का नियम इन पर लागू होता है
ओम के नियम से संबंधित question –
question – जब किसी विधुत हीटर विद्युत स्रोत से 4 एंपियर विद्युत धारा लेता है तब टर्मिनलो के बीच विभवांतर 60 वोल्ट है इस समय विद्युत हीटर कितनी विद्युत धारा लेगा जब विभांतर 120 वोल्ट तक बढ़ा दिया जाए
Ans. हमे दिया गया है –
विभांतर(V) = 60V
विधुत धारा = 4A
हम जानते है ओम के नियम से –
V = I/R
तो R= V/I
दिये गए मान रखने पर –
R = 60/4
R = 15Ω
प्रश्न अनुसार जब विभांतर 120 वोल्ट तक बढ़ा दिया जाता है
I = V/R
I = 120/15
I = 8 A
अतः विद्युत हीटर द्वारा ली गई धारा 8 एंपियर होगी
I hope आपको ओम के नियम में अब कोई problem नहीं होगी इस page को share करें अपने friends के साथ social media पर Button नीचे है और कोई सवाल हो तो comment में बता सकते है
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