जीपीएस (GPS) का full form ” Global Positioning system ” होता है इसका इस्तेमाल करके कोई भी अपनी खुद की Position की information कभी भी और कहीं भी प्राप्त करता है। GPS एक ऐसा system होता हैं जो satellites , ground stations और receivers से मिलकर बना होता है। इसमें satellites तारों की तरह कार्य करते हैं जो तारामंडल में होते हैं तथा ground stations radar का काम करता है। जिससे उपस्थिति का पता चलता है जो receivers होता है वो satellite द्वारा भेजे गए signals को सुनने का काम करता है तथा receiver ही यह पता करता है जैसे की Car में , smartphone , watch etc. GPS ही आजकल हर जगह पहुँचने में मदद करता है।
GPS के elements :-
GPS के three element होते हैं जिन्हें segments कहते हैं Location provide करनें के लिए ये तीनों एक साथ काम करते हैं।
(1) Space (satellites)
(2) Ground control
(3) User equipment
Space (satellite) :-
यह satellite पृथ्वी को घेर के रखता है तथा यह signal को users तक transmit करता है तथा यह geographical position समय तथा दिन को प्रदर्शित करता है।
Ground control :-
यह पृथ्वी पर स्थित Monitor station होता है जिसे Control segment कहते हैं जो कि master Control stations या फिर space में satellite operating तथा Monitoring transmission process को शामिल किया जाता है।
User equipment :-
इसमें GPS receivers and transmitters items को शामिल किया जाता है जैसे watches , smartphone , telematic device etc ये सभी user equipment होते हैं।
GPS कैसे काम करता है ?
GPS की कार्य प्रणाली एक technique पर आधारित होती है। जिसे trilateration प्रणाली कहा जाता है। यह तीन Process को calculate करनें के लिए use की जाती है जो इस प्रकार है Location , velocity and elevation.
trilateration signals को satellite से collect करती है तथा उसको output Location पर information की तरह पहुँचाती है।
जीपीएस सिस्टम में earth की सतह से 12,000 मील (19,300 किलोमीटर) ऊपर अंतरिक्ष मे 24 उपग्रह शामिल होते हैं जो हर 12 घंटे में एक बार पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं जो लगभग 7,000 मील प्रति घंटे की (11,200 km per hour) की गति से परिक्रमा करतें हैं। हर एक जीपीएस उपग्रह एक message भेजता है जिसमें उपग्रह की वर्तमान स्थिति , उसकी कक्षा तथा समय शामिल होता है। GPS receiver कई satellite से प्रसारण को जोड़कर एक trilateration नामक Process का use करके सही Position (स्थिति) की गणना करता है। Receiver के स्थान को निर्धारित करनें के लिए तीन उपग्रहों की आवश्यकता होती है।
GPS उपकरणों के सही तरीके से काम करने के लिए एक connection तैयार किया जाता है जिससे Receiver की ताकत की आधार पर यह Process या तो कुछ second या फिर कुछ मिनट तक कहीं भी हो सकती है। उदाहरण के लिए हम अगर तुलना करें एक कार के GPS connection तथा एक घड़ी या smartphone के connection में तो हम देखेंगे की कार की GPS यूनिट ज्यादा तेज गति से काम करती है।
ज्यादातर GPS devices , जीवाश्म detection को तेज करनें के लिए कुछ प्रकार के क्रेशिंग का भी उपयोग करतें है अपने पिछले स्थान को याद करके एक जीपीएस डिवाइस जल्दी से यह decide कर सकता हैं की अगली बार जीपीएस signal के लिए स्कैन करनें पर उपग्रह कहां उपग्रह कहा उपलब्ध होगा।
GPS का इतिहास :-
GPS यंत्र को सबसे पहले Russia नें 1957 में बनाया था जो sputnik I satellite था और इसे अमेरिका ने पनडुब्बी नेविगेशन (Submarine navigation) के लिए इस्तेमाल किया था साल 2000 के बाद ही आम जनता और कंपनियों को GPS की उपयोग की पूरी सुविधा प्राप्त हुई जिसमें GPS को नई ऊंचाइयों तक पहुँचने का रास्ता प्रदान किया।
जीपीएस के उपयोग
जीपीएस के बहुत सारे उपयोग होते हैं जैसे कि
(1) Location :- किसी की भी Location पता करनें के लिए GPS का उपयोग किया जाता हैं।
(2) Navigation :- Navigation का मतलब होता है एक Location से दूसरे Location तक जाना इसके लिए भी GPS का उपयोग होता है।
(3) Tracking :- किसी अंतिम स्थान या फिर किसी object की Monitoring करना या Personal movement का पता करना इसके लिए जीपीएस का use होता है।
(4) Mapping :- इसकी सहायता से दुनियाभर की Maps बनाना आसान हो गया है तथा यह भूगोल विज्ञान में बहुत ज्यादा उपयोगी है।
(5) Tracking :- किसी के Precise time measurement के लिए जीपीएस का उपयोग किया जाता है।
(6) Emergency response में :- जब कहीं भी प्राकृतिक आपदा की संभावना होती है वहाँ Emergency response भेजने के लिए भी GPS system का उपयोग किया जाता है। इसके द्वारा मौसम की Mapping , Following और Predicting की जाती है तथा फिर वहाँ emergency Personnel के ऊपर नजर रखी जाती है इसप्रकार वहाँ होने बाले Loss से बचा जा सकता है।
(7) Entertainment में :- कई तरह के games और activities को जीपीएस के उपयोग से Control किया है जैसे की Pokemon Go और Geocoching etc.
(8) Health और Fitness technology में :- आजकल जीपीएस system का उपयोग Smartwatches या फिर Smartphone में अपनी fitness calculate करनें के लिए भी होने लगा है जैसे कि आपने कितनी miles तक Run किया कितने time में किया इसका भी measure किया जा सकता है।
(9) Transportation में :- driving Productivity तथा safety को improvement करनें के लिए भी जीपीएस का उपयोग किया जाता है।
(10) Construction में :- जीपीएस की सहायता से Locating equipement को improve किया जा सकता है GPS tracking return on assets को बड़ाने में Company की मदद करती हैं जिससे अच्छी Location का पता लगाया जा सके।
इसके अलावा भी कई industries होती हैं जहाँ GPS का use होता है जैसे agriculture , autonomous , Vehicles , sales and services , the militery , mobile communications , security and fishing etc. इन सभी जगहों पर जीपीएस का use करके work किया जाता है।
GPS की accuracy :-
आजकल के जीपीएस receiver बेहद सटीक होते हैं उनके Parallel multi – channel डिजाइन के लिए कई तरह की technique का उपयोग होता है। पहली बार start होने पर हमारे Receiver उपग्रहों पर ताला लगाने के लिए त्वररित है। वे घने tree – cover या Long building के साथ शहरी settings में एक tracking Lock बनाए रखते हैं। कुछ atmosheric condition और other error sources जीपीएस रिसीवर की accuracy को प्रभावित करते हैं। Garmin GPS रिसीवर आमतौर पर 10 मीटर के दायरे में सटीक होते हैं। पानी पर सटीकता भी बेहतर होती है।
GPS device की accuracy कई variables पर depend होती है जैसे की Satellites की उपलब्धता , ionosphere या urban environment etc. इनके से कुछ इस प्रकार है –
Physical obstructions :-
इसमें कई तरह के Large masses शामिल होते हैं जैसे पहाड़ , building , trees and more . ये सभी time measurement को प्रभावित करते हैं।
वायुमंडलीय प्रभाव :-
इसके अंतर्गत ionospheric delays , heavy storm cover या फिर solar storms इत्यादि आते हैं जो जीपीएस devices को प्रभावित करते हैं।
Ephemeris :-
किसी satellite के orbital modal incorrect या फिर out of date भी हो सकती है हालांकि यह बहुत ही rare होता है पर ये भी GPS device को प्रभावित करता है।
(4) Numerical miscalculations :-
जब device को Properly design नहीं किया जाए तो इस प्रकार के कारक भी GPS system को प्रभावित कर सकते हैं।
जीपीएस system की accuracy High होनी चाहिए इसके लिए जीपीएस system को open areas में ज्यादा effective माना जाता है। क्योंकि tall buildings signal को black करती है। इस effect को urban canyon के नाम से जाना जाता है। जब किसी device के चारों ओर Large buildings होती हैं जैसे की downtown
Manhattan or toronto तो इनके कारण signal black होते हैं तथा फिर building से bounced off होकर device तक पहुँचते है फिर device द्वारा read किये जाते हैं। जो कि Miscalculation का कारण हो सकता है। इस प्रकार अनेक Problems होती है फिर भी High Quality receiver 95% फेस में High accuracy Provide करता है।
GPS से related कुछ Important Points
(1) पहला जीपीएस उपग्रह 1978 में लॉन्च किया गया था।
(2) GPS के लिए अधिकारिक USDOD का नाम NAVSTAR है।
(3) 1994 में 24 उपग्रहों का एक Complete नक्षत्र हासिल किया गया था।
(4) हर एक उपग्रह को लगभग 10 Years तक बनाया जाता है।
(5) एक जीपीएस उपग्रह का वजन लगभग 2,000 पाउंड होता है।
(6) जीपीएस उपग्रहों को सौर ऊर्जा ( Solar Energy ) द्वारा संचालित किया जाता है।
(7) transmeter की Power केवल 50 Watt या उससे कम होती है।
(8) जब सूर्य ग्रहण होता है तब संचालित होने के लिए उपग्रहों में एक बैकअप Battery ऑनबोर्ड होती है।
VIDEOBUDDY APP says
बहुत informative पोस्ट है! GPS के इतिहास और इसके कार्य करने के तरीके के बारे में जानकर अच्छा लगा। इसके उपयोग के बारे में और जानकारी मिलने की उम्मीद है! धन्यवाद!