संक्रमण तत्व –
आज की परिभाषा के तहत वे तत्व जिन में परमाण्वीय अवस्था में या उस तत्व की किसी सामान्य ऑक्सीकरण अवस्था में d-या F-उपकोश अंश के रूप से भरे जाएँ संक्रमण तत्व होते हैं। इन तत्वों का सामान्य इलैक्ट्रॉनीय विन्यास, (n-2)f¹–¹⁴(n-1)s² (n-1)p⁶(n-1)d⁰–¹ ns² b, होता है
ये वे तत्व हैं जिनका d उपकोश या तो परमाणु अवस्था में अथवा आयोनिक अवस्था में अंशो के रूप से भरा हुआ होता है।
संक्रमण तत्वों के अभिलक्षण –
संक्रमण धातुओं के सामान्य अभिलक्षण निम्न हैं –
- ज्यादातर सभी संक्रमण तत्व अभिधात्विक गुण जैसे उच्च तनन सामर्थ्य, तन्यता वर्धनीयता, उच्च ताप तथा बिजली चालकता व धात्विक चमक दर्शाते हैं।
- मर्करी आदि को छोड़कर, जो कमरे के ताप पर तरल है, अन्य सभी संक्रमण तत्वों की अभिधात्विक संरचनाएँ होती हैं।
- इनके गलनांक तथा क्वथनांक ज्यादा होते हैं व असंक्रमण तत्वों की तुलना में इनकी वाष्पन ऊष्मा ज्यादा होती है।
- s- ब्लॉक तत्वों की बजाय संक्रमण तत्वों के घनत्व ज्यादा होते हैं।
- d- ब्लॉक के तत्वों की आयनन ऊर्जाएँ 5-ब्लॉक के तत्वों से ज्यादा किंतु p-ब्लॉक के तत्वों से कम होती हैं।
- इनकी प्रवृत्ति बिजली धनात्मक होती है।
- इनमें से ज्यादातर तत्व रंगो के यौगिक बनाते हैं।
- इनमें संकुल बनाने की प्रवृत्ति ज्यादा है।
- ये अनेक ऑक्सीकरण अवस्थाएँ दिखाते हैं।
- इनके यौगिक ज्यादा अनुचुम्बकीय होते हैं।
- ये ओर धातुओं के साथ मिश्रधातु बनाते हैं।
संक्रमण धातु के गुणों का सारांश –
(1) बढ़ती हुई ऑक्सीकरण अवस्था
(2) एक से अधिक ऑक्सीकरण अवस्थाए क्योंकि उनके बीच कम ऊर्जा अंतर होता है
(3) बहुत मुश्किल
(4) धात्विक चमक प्रदर्शित करें
(5) ज्यादा गलनांक
(6) ज्यादा क्वथनांक
(7) अधिक विद्युत चालकता
(8) उच्च ताप चालकता
(9) लचीला
(10) DD इलेक्ट्रॉनिक संक्रमणों के कारण रंगो के यौगिक बनाते हैं
(11) ज्यादातर अयुग्मित d इलेक्ट्रॉनों की वजह से अनुचुंबकीय यौगिक बनाते हैं
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