वेल्डिंग क्या होती है ? वेल्डिंग के प्रोसेस के क्लासिफिकेशन तथा इसके डिफेक्ट बताइये
इस पेज पर हम समझेंगे की वेल्डिंग क्या होती है जैसे वेल्डिंग वह प्रोसेस है जो परमानेन्ट जॉइंट को बनाने के लिए उपयोग किया जाता है | एप्लीकेशन ऑफ हीट एंड प्रेशर के साथ भी और बिना एप्लीकेशन ऑफ हीट एंड प्रेशर के भी |
वेल्डिंग एक Least एक्सपेंसिव प्रोसेस है | और इसका उपयोग सिमिलर और Dissimilar Material को जॉइंट करने के लिए किया जाता है जैसे इसका उपयोग मैन्युफैक्चरिंग , इंडस्ट्रीज , मशीन रिपेयर वर्क , फेब्रिकेशन आदि में किया जाता है |
वेल्डिंग को सेकेंडरी मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस भी कहा जाता है | इसके बाद वेल्डिंग के अलग –अलग क्लासिफिकेशन को देखेंगे जैसे आर्क वेल्डिंग , गैस वेल्डिंग , रेजिस्टेंस वेल्डिंग आदि |
इसके बाद आर्क वेल्डिंग का प्रिन्सिपल समझेंगे की आर्क वेल्डिंग कैसे जॉइंट Produce करती है | फिर हम देखेंगे वेल्डिंग डिफेक्ट के प्रकार | वेल्डिंग करते समय कई प्रकार के डिफेक्ट Produce होते है जैसे Porosity and Gas डिफेक्ट , Cracks, Slag Inclusions , Weld spatter आदि |
वेल्डिंग
वह प्रोसेस है जो परमानेन्ट जॉइंट को बनाने के लिए उपयोग किया जाता है | वेल्डिंग परमानेन्ट जॉइंट Produce करता है | एप्लीकेशन ऑफ Heat के साथ और बिना एप्लीकेशन ऑफ Heat के | वेल्डिंग से परमानेन्ट जॉइंट Produce होता है दाब लगाने पर और बिना दाब के | वेल्डिंग से परमानेन्ट जॉइंट बनता है Filler मटेरियल के साथ भी और बिना Filler मटेरियल के उपयोग किये भी |
वेल्डिंग का उपयोग Similar Material को Join करने के लिए किया जाता है तथा Dissimilar Material को ज्वाइन करने के लिए भी |वेल्डिंग एक Least Expensive प्रोसेस है जो बहुत कम खर्च पर भी की जा सकती है |
अलग – अलग वेल्डिंग प्रोसेस का उपयोग किया जाता है वेल्डिंग करने के लिए जैसे ऑटोमोबाइल Bodies की मैन्युफैक्चरिंग के लिए , स्ट्रक्चरल वर्क में टैंक और जनरल मशीन रिपेयर वर्क में वेल्डिंग का उपयोग किया जाता है |
इसका उपयोग Refineries और पाइप लाइन फेब्रिकेशन में किया जाता है | वेल्डिंग को आमतौर पर सेकेंडरी मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस भी कहा जाता है |
वेल्डिंग प्रोसेस के क्लासिफिकेशन
वेल्डिंग प्रोसेस के अलग –अलग क्लासिफिकेशन है जो आजकल इंडस्ट्री में बहुत उपयोग किये जाते है जैसे –
पहला है गैस वेल्डिंग का क्लासिफिकेशन
1. Air Acetyline वेल्डिंग
2. Oxy Acetyline वेल्डिंग
3. Oxy Hydrogen वेल्डिंग
दूसरा है आर्क वेल्डिंग का क्लासिफिकेशन
1. Carbon Arc वेल्डिंग
2. Plasma Arc वेल्डिंग
3. Shield मेटल Arc वेल्डिंग
4. Tungsten Inert Gas वेल्डिंग ( T.I.G. वेल्डिंग )
5. Metal Inert Gas वेल्डिंग ( M. I.G. वेल्डिंग )
तीसरा है Resistance वेल्डिंग का क्लासिफिकेशन
1. Spot वेल्डिंग
2. Seam वेल्डिंग
3. Projection वेल्डिंग
4. Resistance Butt वेल्डिंग
5. Flash Butt वेल्डिंग
चौथा है सॉलिड स्टेट वेल्डिंग का क्लासिफिकेशन
1. Cold वेल्डिंग
2. Diffusion वेल्डिंग
3. Forge वेल्डिंग
4. फेब्रिकेशन वेल्डिंग
5. Hot प्रेशर वेल्डिंग
6. Roll वेल्डिंग
पांचवा है थर्मो केमिकल वेल्डिंग का क्लासिफिकेशन
1.Thermit वेल्डिंग
2. Atomic वेल्डिंग
छटवा है Radiant एनर्जी वेल्डिंग का क्लासिफिकेशन
- Electric Beam वेल्डिंग
2. Laser Beam वेल्डिंग
Arc वेल्डिंग का प्रिन्सिपल
Arc वेल्डिंग में एक इलेक्ट्रोड होता है एक वर्क Piece होता है और एक पॉवर सप्लाई होती है जिसमे इलेक्ट्रोड नेगेटिव होता है और वर्क Piece पॉजिटिव होता है | और पॉवर सप्लाई से पॉवर दिया जाता है इलेक्ट्रोड को |
जब इलेक्ट्रोड वर्क Piece के कांटेक्ट में आता है तो शोर्ट सर्किट होता है , इलेक्ट्रोड और वर्क Piece के बिच , और दोनों के बिच आर्क Produce होता है | जब इलेक्ट्रान मूव करते है नेगेटिव से पॉजिटिव की ओर तब इलेक्ट्रान की Kinetic Energy , Heat Energy में बदल जाती है | जिससे वर्क Piece पर Heat Produce होती है |
इलेक्ट्रोड एव वर्क Piece के बिच जो Atmospheric Air होती है Ionised गैस कॉलम में बदल जाती है जिसे Plasma कहते है | और प्लाज्मा हाई एनर्जी का रीजन होता है जिससे इलेक्ट्रान नेगेटिव से पॉजिटिव की ओर जाते है | इस Arc वेल्डिंग में वर्क Piece पर उतनी Heat Produce की जाती है जितनी वर्क Piece को वेल्ड करने में उपयोग में आ जाए |
वेल्डिंग Defects
Porosity और गैस Porosity Defect
यह Defect तब आता है जब वेल्ड Pool में Atmospheric Gas Trap हो जाती है और Defect बना लेती है
Slag Inclusions Defect
यह Defect Improper क्लीनिंग और इलेक्ट्रोड की Improper पोजिशनिंग के कारण आता है | और जब Slag Trap हो जाता है Liquid मेटल के अन्दर तब उसे Slag Inclusion कहते है
Weld spatter
इस डिफेक्ट में Rough Surface बन जाती है वेल्ड में जब ज्यादा मात्रा में Liquid मेटल बाहर आ जाती है Base Material पर और फिर Base Material Rough बना देती है यह वेल्ड Spatter कहलाता है |
Crack
यह डिफेक्ट नॉन यूनिफार्म कुलिंग के कारण बनता है जॉइंट में मतलब जब एक समान कुलिंग नही होती है जॉइंट पर तब जॉइंट पर Internal Stresses Develop होती है |
और यह स्ट्रेस Strength of मटेरियल से ज्यादा होती है और फिर वह Crack बनाती है जॉइंट में यह वेल्ड Crack कहलाता है |
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