मैग्नेटिक रिलक्टेंस क्या होती है ? इसकी इकाई एव इसका उपयोग बताइये

मैग्नेटिक रिलक्टेंस
जब भी हम किसी मैग्नेटिक परिपथ के बारे में बात करते है , तो उससे जुड़े हुए कुछ पैरामीटर होते है जिनसे मिलकर एक मैग्नेटिक परिपथ बना होता है | जिस प्रकार एक इलेक्ट्रिकल परिपथ में बहुत सारे पैरामीटर होते है उसी प्रकार मैग्नेटिक परिपथ में भी कुछ पैरामीटर होते है |
जैसे की परिपथ के लिए एक इलेक्ट्रो मैगनेट लगा होता है , मैग्नेटिक करंट होती है , मैग्नेटिक फ्लक्स होता है , मैग्नेटिक फील्ड होता है , मैग्नेटो मोटिव फोर्स होता है , रिलक्टेंस होता है आदि इनके अलावा भी कुछ और भी पैरामीटर होते है ये सभी मिलकर एक मैग्नेटिक परिपथ को पूरा करते है |
अब आज के इस सेशन में इन सभी में से रिलक्टेंस के बारे में बात करेगे तो अब हम इसके बारे में समझते है
जब भी किसी मैग्नेटिक परिपथ में मैग्नेटिक फ्लक्स प्रवाहित होता है या उत्पन्न होता है तो मैग्नेटिक फ्लक्स के प्रवाहित होने के समय मैग्नेटिक परिपथ में कुछ प्रतिरोध उत्पन्न होता है इसी प्रतिरोध को मैग्नेटिक रिलक्टेंस कहा जाता है |
इस बात को समझने के लिए हम मैग्नेटिक परिपथ की तुलना इलेक्ट्रिक परिपथ से करे तो जिस प्रकार इलेक्ट्रिक परिपथ में विद्युत धारा के बहने के समय प्रतिरोध उत्पन्न होता है उसी प्रकार मैग्नेटिक परिपथ में मैग्नेटिक रिलक्टेंस उत्पन्न होता है इसीलिए इसे मैग्नेटिक प्रतिरोध के नाम से भी जाना जाता है |
परन्तु इलेक्ट्रिक प्रतिरोध और मैग्नेटिक रिलक्टेंस में फर्क होता है क्योकि इलेक्ट्रिकल प्रतिरोध पॉवर को Consume करता है जिससे पॉवर लोस होता है जबकि मैग्नेटिक रिलक्टेंस पॉवर को स्टोर करके रखता है इस प्रकार ये पॉवर लोस नही करता है |
मैग्नेटिक रिलक्टेंस को S ( कैपिटल S ) के द्वारा दर्शाया जाता है | अगर किसी परिपथ की मैग्नेटिक रिलक्टेंस की गणना करनी हो उसके लिए एक सूत्र कि आवश्यकता होती है तो अब समझते है की इसका सूत्र क्या होता है एव किस प्रकार इसके सूत्र का उपयोग होता है |
मैग्नेटिक रिलक्टेंस का सूत्र एव इकाई
किसी भी मैग्नेटिक परिपथ के लिए उसके दिए किसी निश्चित भाग के लिए उस परिपथ की रिलक्टेंस उसकी लम्बाई के समानुपाती होती है तथा उसकी मैग्नेटिक प्रोपर्टी जैसे की उसकी मैग्नेटिक मटेरियल की रिलेटिव Permeability के व्युत्क्रमानुपाती होती है तथा उसके तार का क्रॉस सेक्शनल क्षेत्रफल के भी व्युत्क्रमानुपाती होती है |
अब इस दिए गये कथन के अनुसार अगर हम किसी मैग्नेटिक परिपथ की मैग्नेटिक रिलक्टेंस का सूत्र एव इकाई को लिखना चाहे तो वो कुछ इस प्रकार होता है जो निचे लिखा गया है |
जैसा की हम जानते है , की मैग्नेटिक रिलक्टेंस को S के द्वारा दर्शाया जाता है तथा किसी परिपथ के लिये इसे ज्ञात करने का सूत्र इस प्रकार होता है –
S = l / ( µ0 µr A )
जहा पर –
S = मैग्नेटिक रिलक्टेंस है
l = तार कि लम्बाई जो की मैग्नेटिक पाथ में रखा है
A = तार का क्रॉस सेक्शनल क्षेत्रफल है
µ0 = वेक्यूम की Permeability होती है जिसका मान 4 ∏ × 10 ⁷ होती है
µr = मैग्नेटिक मटेरियल की रिलेटिव Permeability होती है
मैग्नेटिक रिलक्टेंस की SI इकाई की बात करे तो ये ( Ampere – Turn ) / Weber होती है जिसे शोर्ट में कैपिटल A , कैपिटल T , तथा कैपिटल W से दर्शाया जाता है तथा इसकी SI इकाई का शोर्ट फॉर्म A T / W होता है |
इस प्रकार ऊपर दर्शाए गये सूत्र से पता चलता है की जिस मटेरियल के लिए उसकी मैग्नेटिक मटेरियल की रिलेटिव Permeability जितनी अधिक होती है उसकी मैग्नेटिक रिलक्टेंस उतनी ही कम होती है | तथा साथ ही जिस मटेरियल का तार का क्रॉस सेक्शनल क्षेत्रफल जितना अधिक होता है उसकी मैग्नेटिक रिलक्टेंस उतनी ही कम होती है |
अर्थात जिस मटेरियल के लिए उसकी मैग्नेटिक रिलक्टेंस जितनी कम होती है वो मैग्नेटिक फ्लक्स के बहने के लिए उतना ही कम प्रतिरोध उत्पन्न करता है |
उदाहरण के लिए अगर हम लोहे तथा हवा की तुलना करे तो लोहे के लिए मटेरियल के लिए उसकी मैग्नेटिक मटेरियल की रिलेटिव Permeability अधिक होती है हवा की तुलना में | जिससे की लोहा की , हवा की तुलना में कम मैग्नेटिक रिलक्टेंस होगी | जिससे की लोहा हवा की तुलना में कम प्रतिरोध उत्पन्न करता है मैग्नेटिक फ्लक्स के बहने की दिशा में |
अब अगर हम मैग्नेटिक रिलक्टेंस को Permeance के रुप मे लिखना चाहे तो उसके लिए हमे एक कांसेप्ट के बारे में पता होना चाहिए की किसी मैग्नेटिक परिपथ में Permeance उस परिपथ के मैग्नेटिक रिलक्टेंस का Reciprocal होता है |
अर्थात इस कथन का उपयोग करके अगर Permeance का सुत्र लिखे तो उसका सूत्र कुछ इस प्रकार होगा –
Permeance ( P ) = 1 / मैग्नेटिक रिलक्टेंस = 1 / R
लेकिन क्यूंकि हम जानते हे की किसी AC या फिर किसी DC मैग्नेटिक परिपथ के लिए उसके मैग्नेटिक रिलक्टेंस का मान उस परिपथ के मैग्नेटो मोटिव फोर्स जिसे शोर्ट में m . m . f. के नाम से जाना जाता है तथा उस परिपथ में बहने वाले फ्लक्स के अनुपात के बराबर होता है अर्थात यदि हम इसे सूत्र रूप में लिखे तो कुछ इस प्रकार होगा –
मैग्नेटिक रिलक्टेंस ( S ) = m. m. f. / फ्लक्स = F / ɸ
जहा –
m. m. f. = मैग्नेटिक परिपथ का मैग्नेटो मोटिव फोर्स है जिसे F ( कैपिटल F ) से भी दर्शाया जाता है |
ɸ = मैग्नेटिक परिपथ में बहने वाला फ्लक्स है |
इस प्रकार ऊपर वर्णन किये गये सूत्रों तथा उनके आधार पर निकले हुए निष्कर्ष की सहायता से किसी मैग्नेटिक परिपथ के लिए उसकी मैग्नेटिक रिलक्टेंस की गणना की जाता है |
अब हम इसके उपयोग के बार में बात करते की आखिर मैग्नेटिक परिपथ में किस तरह से इसका उपयोग किया जाता है |
मैग्नेटिक रिलक्टेंस के उपयोग
अगर हम मैग्नेटिक रिलक्टेंस के उपयोग की बात करे तो इसका उपयोग उन परिपथ तथा उपकरणों में किया जाता है जहा मैग्नेटिक Property तथा उससे जुड़े हुए सिद्धान्तो का उपयोग किया जाता है जैसे की –
1 . इसका उपयोग किसी ट्रांसफार्मर की Core में Saturation के प्रभाव को कम करने के लिए तथा ट्रांसफार्मर की Core में Constant एयर गैप को क्रिएट करने के लिए किया जाता है |
इसका उपयोग करके किसी मैग्नेटिक सर्किट की मैग्नेटिक रिलक्टेंस को बढाया जा सकता है जिससे ट्रांसफार्मर की Core में Saturation से पहले ज्यादा एनर्जी को स्टोर किया जा सके | इस प्रकार इसका उपयोग ट्रांसफार्मर में किया जाता है |
2 . किसी उपकरण की Stray मैग्नेटिक फील्ड के मान को कम करने के लिए भी इसी के सिद्धांत का उपयोग किया जाता है |
3 . इसका उपयोग करके मैग्नेटिक रिलक्टेंस मोटर आदि उपकरणों का निर्माण किया जाता है |
4 . इसके सिद्धांत का उपयोग करके मैग्नेटिक उपकरणों में मैग्नेटिक Interference को कम किया जाता है |
इस प्रकार अनेक मैग्नेटिक परिपथ तथा मैग्नेटिक उपकरणों में इसका उपयोग किया जाता है |
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