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प्रकाशीय तंतु क्या है ? इसकी संरचना | सिद्धांत | उपयोग

March 28, 2021 by Er. Mahendra Leave a Comment

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प्रकाशीय तंतु क्या है ? इसकी संरचना | सिद्धांत  | उपयोग

प्रकाशीय तंतु क्या है ? इसकी संरचना | सिद्धांत  | उपयोग

प्रकाशीय तंतु

आज के इस टॉपिक में हम टेली कम्युनिकेशन के लिए उपयोग होने वाले प्रकाशीय तंतु के बारे में समझेंगे जिसका उपयोग आजकल इन्टरनेट , टेलीफोन , टेलीविज़न आदि के लिए इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है तो अब हम इसी प्रकाशीय तंतु के बारे पड़ेंगे जहा हम देखेंगे की यह क्या होता है तथा एक प्रकाशीय तंतु किस सिद्धांत पर कार्य करता है | तथा इसके  अलावा यह भी देखेंगे की इसकी संरचना किस प्रकार की होती है और इसके क्या – क्या उपयोग है | इन सभी बिन्दुओ को हम एक –एक करके विस्तार से समझेंगे | तो सबसे पहले हम यही से शुरुआत करते है की प्रकाशीय तंतु क्या होता है और किस प्रकार बना होता है |

प्रकाशीय तंतु एक कांच या फिर प्लास्टिक से बना हुआ एक तंतु होता है जो की बहुत ही पतला होता है और इसका उपयोग करके इसकी लम्बाई की दिशा में प्रकाश का संचरण किया जाता है या ऐसे कहे की इसकी लम्बाई की दिशा में ही इसके द्वारा प्रकाशीय सिग्नल को या अन्य सूचनाओ को एक स्थान से दुसरे स्थान तक भेजा जाता है | अर्थात प्रकाशीय तंतु एक प्रकार का माध्यम होता है जिसकी सहायता से अधिक दुरी तक सिग्नल या सूचनाओ को बिना परिवर्धित किये एक स्थान से दुसरे स्थान तक पहुँचाया जा सकता है |

आजकल ज्यादातर प्रकाशीय तंतु का उपयोग करके अधिक लम्बाई तक हाई परफॉरमेंस नेटवर्किंग के साथ प्रकाशीय सिग्नल को पहुँचाया जा रहा है यह बहुत ज्यादा उपयोगी इसलिये भी होता है क्योंकि जब इसके द्वारा सिग्नल को पहुँचाया जाता है तब इस प्रकाशीय सिग्नल में किसी भी तरह का कोई सिग्नल लोस नहीं होता है अर्थात सिग्नल हानि नहीं होती है और अगर होती भी है तो बहुत कम होती है जिनसे सिग्नल की Quality पर बहुत  ज्यादा असर नहीं होता है |

साथ ही साथ इसमें किसी भी तरह का कोई भी सिग्नल विद्युत चुम्बकीय व्यतिकरण से प्रभावित नहीं होता है | तथा प्रकाशीय सिग्नल में कोई अतिरिक्त शोर भी उत्पन्न नहीं होता है | तथा इसकी Bandwidth भी कॉपर केबल की तुलना में हाई होती है और सूचनाओ को कॉपर केबल की तुलना में बहुत ही तेज गति से पहुंचाते है | अब हम बात करते है की आखिर यह प्रकाशिय तंतु बना किस प्रकार होता है तथा इसकी संरचना किस प्रकार की होती है |

प्रकाशीय तंतु की संरचना

प्रकाशीय तंतु दो भागो से मिलकर बना होता है जिसमे एक आन्तरिक भाग होता है और एक बाहरी भाग होता है जिसमे जो कांच की संख्या होती है वो कुछ मात्रा  से लेकर अधिक मात्रा  तक होती है इसमें एक Core होता है एक Cladding होता है तथा एक Coating भाग होता है अब हम इनको समझते है की ये क्या होते है

Core – यह एक पतला सा कांच होता है जो एक प्रकाशीय तंतु के केंद्र में होता है तथा Core के अंदर से होकर ही प्रकाशीय सिग्नल ट्रेवल करते है तथा जिस कांच या प्लास्टिक का उपयोग इस Core को बनाने के लिए किया जाता है उसका अपवर्तनांक Cladding के कांच से अधिक होता है |

Cladding – यह बाहरी भाग होता है जो की आतंरिक भाग यानि की Core को Surrounding उपलब्ध करता है और जिस कांच या प्लास्टिक से Cladding को बनाया जाता है उसका अपवर्तनांक Core के कांच से कम होता है तथा इसी कारण से यह Cladding पूर्ण आंतरिक परावर्तन से प्रकाशीय सिग्नल को वापस Reflect करता है |

Coating – यह इस तंतु की संरचना का सबसे बाहरी भाग होता है जो प्रकाशीय तंतु को बाहरी Damage से बचाता है और इसको सुरक्षा प्रदान करता है |

प्रकाशीय तंतु का सिद्धांत

प्रकाशीय तंतु पूर्ण आंतरिक परावर्तन के सिद्धांत पर कार्य करता है जिसमे एक Core होता है जिसमे जब प्रकाशीय सिगनल को  भेजा जाता है तो इस Core के बाहरी भाग पर Cladding लगी होती है और दोनों अलग अलग मटेरियल के बने होते है जहा Core के अन्दर इस प्रकाशीय सिग्नल का बार बार पूर्ण आंतरिक परावर्तन होता है जहा कोण का मान 90 डिग्री से कम होता है  क्योंकि जब भी सिग्नल इस Core में आगे बढता है तो वह Cladding से टकराता है और वापस Core में चला जाता है फिर Core से टकराकर यह सिग्नल Cladding के पास आता है और वापस Core में चला जाता है |

इस प्रकार जब यह आन्तरिक परावर्तन की प्रिक्रिया बार बार होती है तब यह सिग्नल इस तंतु की लम्बाई की दिशा में आगे बढता जाता है और सिग्नल Source से दुसरे End तक जहा इसे ले जाना होता है वहा पहुँच जाता है | इस प्रकार यह प्रकाशीय तंतु पूर्ण आंतरिक परावर्तन के सिद्धांत का उपयोग करके सिग्नल को एक स्थान से दुसरे स्थान तक पहुंचाता है अब हम इसके उपयोग के बारे माँ समझते है की आखिर इनका उपयोग किस प्रकार और कहा कहा किया जाता है |

प्रकाशीय तंतु का उपयोग

आजकल प्रकाशीय तन्तु का उपयोग अनेक Field में हो रहा है जिनमे से कुछ महत्वपूर्ण उपयोग के बारे में  हम यहाँ समझेंगे जैसे की –  

1 . इसका उपयोग आजकल इन्टरनेट , टेलीफोन , टेलीविज़न आदि के लिए टेली कम्युनिकेशन के लिए व्यापक रूप से हो रहा है जहा इनके लिए सिग्नल पहुँचाने के लिए इसका उपयोग किया जा रहा है |

2 . इसकी सहायता से विद्युत सिग्नल को प्रकाशीय सिग्नल में बदलकर उनको एक जगह से दूसरी जगह पर भेजने के लिए उपयोग किया जाता है |

3 . इसका उपयोग आजकल चिकित्सा के क्षेत्र में व्यापक रुप से हो रहा है जहा किसी इन्सान की Body के आंतरिक भाग में बीमारियों को पता लगाने के लिए इसका उपयोग किया जा रहा है | पहले इसको इन्सान की Body के अन्दर प्रवेश कराया जाता है क्योंकि यह आकार में बहुत ही छोटा होता है इसलिए आसानी से अन्दर चला जाता है और इसके आधार पर बीमारियों का पता लगाना आसान हो जाता है |

4 . इसका उपयोग Computer Networking के लिए भी किया जाता है जिसके लिए हाई Bandwidth के साथ Data को ट्रान्सफर किया जाता है |

5 . मिलिट्री और स्पेस एजेंसी इसका उपयोग करके कम्युनिकेशन और Data ट्रान्सफर करते है |

इस प्रकार कई इंडस्ट्री में इसका प्रकाशीय तंतु का उपयोग हो रहा है |

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