कंप्यूटर एक संगणक यंत्र है जिसे एक मशीन कह सकते हैं यह एक ऐसी मशीन है जिसको हम जो निर्देश देते है उसका रिजल्ट यानी आउटपुट कंप्यूटर की स्क्रीन पर show हो जाता हैं कंप्यूटर का आविष्कार कुछ समय पहले Calculation करने के लिये किया गया था फिर धीरे धीरे समय बदलता रहा और इंसान को physically काम ज्यादा करना पडता था फिर इन सभी समस्याओं को ध्यान में रखकर कंप्यूटर को अपडेट किया गया जिससे की धीरे धीरे ईमेल करना डेटाबेस मैनेज ओर कट्रोल करना और साथ ही प्राइवेट और government sector को अच्छे से मैनेज करना और सभी कार्य करना बहुत ही आसान हो गये
यह सब धीरे धीरे दशको में हो पाया इसलिए इसके पूरे इतिहास को पीड़ियों में बताया गया है जैसे पहली पीड़ी के कंप्यूटर में क्या था क्या कमियां सामने आई फिर दूसरी पीड़ी के कंप्यूटर कैसे बेहतर थे पहली पीड़ी से इस प्रकार इसका पूरा इतिहास है नीचे आप detail में पूरा जानिए
पहली पीड़ी का कंप्यूटर | First generation (1940-1956)-
ये पहले कंप्यूटर थे जो बने थे पहली पीढ़ी के कंप्यूटर में Vacuum tube नामका यंत्र प्रयोग किया जाता था
जो कि एक बल्ब की भांति नाजुक कांच होता है पहली पीढ़ी के कंप्यूटर में इंटर्नल मेमोरी की जगह चुम्बकीय ड्रम magnetic drum का प्रयोग करते थे इस जनरेशन में Vacuum tube का प्रयोग Calculation और स्टोरेज device , कट्रोल डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम , के रुप में किया जाता था इस जेनरेशन का पहला कंप्यूटर (ENIAC) जो कि प्रेस्पेट एचकेर्ट और जॉन के द्वारा बनाया गया था. इस जेनरेशन की प्रोग्रामिंग मशीन लैंगुएज और असेंबली लैंगुएज की जाती थी।
पहली पीड़ी के कंप्यूटर की विशेषताएं | Characteristics of first generation
1.इस जनरेशन का base वैक्यूम ट्यूब पर आधारित था।
2. इस टाईप की जनरेशन के कंप्यूटर का आउटपुट या रिजल्ट सही नहीं आता था।
3.इस जनरेशन के कंप्यूटर का आकार एक कमरे के जैसा होने के कारण बहुत महंगा भी था इसीकारण ये बहुत ज्यादा Heat पैदा करते थे।
4.ये कंप्यूटर ज्यादा गरम होने के कारण इनकी देखभाल के एयरकंडीशनर और AC का प्रयोग किया जाता था।
5.यह बहुत ज्यादा बिजली खपत करते थे और एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जा नहीं सकते थे।
दूसरी पीड़ी के कंप्यूटर | Second generation (1956-1964)-
इस जनरेशन के कंप्यूटर मैं वैक्यूम ट्यूब की जगह ट्रांजिस्टर का प्रयोग होता था
पहले जनरेशन के बाद 1956 में इस पीढ़ी के कंप्यूटर का विकास हुआ 1947 में William Shockley द्वारा इस जनरेशन का आविष्कार किया गया था यह पहले जनरेशन की अपेक्षा में काफी सुविधाजनक और अच्छा था।
दूसरी पीड़ी के कंप्यूटर की विशेषताएं | Characteristics of Second generation-
1.इसमें वैक्यूम ट्यूब की जगह ट्रांजिस्टर का प्रयोग किया गया।
2.पहले जनरेशन की अपेक्षा में इसका आउटपुट और रिजल्ट काफी सही आने लगा था और इसका आकार पहले जनरेशन से काफी कम हो गाया गया था।
3.इसमें बिजली खपत भी कुछ कम हो गया था।
4.इस जनरेशन के कम्प्यूटरों में हीट ज्यादा नहीं होती थी इसलिए इसमें AC और एयरकंडीशनर की जरूरत नहीं होती थी।
5.इसमें low level लैंग्वेज यानी मशीन लैंग्वेज और असेंबली लैंग्वेज का प्रयोग किया गया था।
तीसरी पीड़ी के कंप्यूटर | Third generation (1965-1971)-
इस जनरेशन में वैक्यूम ट्यूब और Transistors की जगह IC (Integrated Circuit) का प्रयोग होने लगा
इस बजह से इसमें (VLSI) टेक्नोलॉजी का प्रयोग हुआ VLSI में एक सीरीज में transistors , Capacitors लगे रहते है जिससे यह सर्किट कंप्यूटर में कम जगह लेता था IC का आविष्कार Jack kilby द्वारा की गई थी.
तीसरी पीड़ी के कंप्यूटर की विशेषताएं | Characteristics of third generation-
1.इस जनरेशन में IC का प्रयोग होने से आकार में परिवर्तन हुआ जो कि इससे पहले के दोनों जनरेशन के कम्प्यूटरों से कम था।
2.इस जनरेशन की पहले दो पीढ़ी के जनरेशन कम्प्यूटरों की अपेक्षा में स्पीड बहुत ज्यादा थी और साथ ही electricity की खपत बहुत कम हुआ करती थी।
3.इस जनरेशन में FORTRAN-।,।।,।V, COBOL, PASCAL, MS-DOS, जैसी लैंग्वेजेज का प्रयोग होनें लगा जिससे इनकी प्रोग्रामिंग में करना काफी आसानी हो गई थी।
4.इस जनरेशन के आने से लोग कंप्यूटर पर वीडियो और ऑडियो एंटरटेनमेंट के बारे में सीख रहे थे।
चौथी पीड़ी के कंप्यूटर | Fourth generation (1971-1980)-
इस टाइप की जनरेशन के आने से कम्प्यूटरों में (VLSI) Very large Scale Integrated का प्रयोग होने लगा था
इस इस टाईप के circuit में करीब 5000 से ज्यादा Transistors , registers होते थे जिसे एक IC चिप कहते थे इस जनरेशन में उच्च नेटवर्क का विकाश होने लगा था जिसे world wide web जिसे www के नाम से जाना जाता था इस युग में कम्प्यूटरों का आकार आज के समय के desktop के आ चुका था अब इसमें multimedia , और ms-windows को कंप्यूटरों में operate किया जाने लगा इस जनरेशन में C लैंग्वेज का आरंभ होने लगा जिससे प्रोग्रामिंग करने में आसानी होने लगी फोर्थ जनरेशन के आने से कंप्यूटर का प्रयोग कॉलेज, प्राइवेट सेक्टर्स, बैंकों में उपयोग काफी तेजी से हो गया।
चौथी पीड़ी के कंप्यूटर की विशेषताएं | Characteristics of Fourth generation
1.इस जनरेशन के कंप्यूटर को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जा सकता था।
2.इस जनरेशन के कंप्यूटर का आकार बाकी जनरेशनों से बहुत कम था जिससे इसकी लोगों की मांग बढ़ने लग गई।
3.इस जनरेशनों कि कीमत और electricity की खपत बहुत ही कम थी।
4.इसमें एयरकंडीशनर और AC की जरूरत नहीं थी।
पांचवी पीड़ी के कंप्यूटर | Fifth generation (1980-Now a days)-
इस जनरेशन में ULSI (Ultra large Scale Integrated) आने से बहुत बड़ा बदलाव आया
इसमें 10 लाख से ज्यादा इलेक्ट्रिक उपकरणों को एक single chip में शामिल किया गया और साथ ही इसमें कृत्रिम बुद्धि का प्रयोग होने से मोबाइल संचार, सेटेलाइट संचार , सिंगल डाटा sharing , तथा हाई लेवल लैंग्वेज के प्रोग्रामिंग जैसे JAVA , VB, NET जैसी कही भाषाओं का प्रयोग इसी युग से आरंभ हो गया।
पांचवी पीड़ी के कंप्यूटर की विशेषताएं | Characteristics of Fifth generation-
1.इस युग के आने से आर्टिफिशियल intelligence का काफी ज्यादा प्रयोग होना प्रारंभ होना शुरु हो गया।
2.इस युग में ह्यूमन ब्रेन को कंप्यूटर में तबदील होने लगा।
3.इस जनरेशन में बाकी चार जनरेशनों से कार्य अवधि बहुत ज्यादा था ।
4.इस युग से विकास तेजी से बढ़ने लगे और मशीनरी का आवागमन तेजी से हो रहा हैं।
5.इस युग में लैपटॉप, डेस्कटॉप, Android मोबाइल का स्कोप ज्यादा बढ़ गया।
6.इसी युग में लोग इंटरनेट को ज्यादा अहमियत देने लगे और तो और उन्हें इंटरनेट से कोई भी चीज सर्च करने में गूगल वॉइस सर्च का उपयोग करने लगे।
कंप्यूटर की पीड़ियाँ पहली पीड़ी,दूसरी पीड़ी,तीसरी पीड़ी ,चौथी पीड़ी और पांचवी पीड़ी के कंप्यूटर इतिहास और उनकी विशेषताएं इस page पर थी हमे आशा है आपको समझ आ गयी होंगी
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