स्वरमापी –
स्वरमापी एक खोखली लकड़ी के कवर से बना होता है, इस खोखली लकड़ी के कवर के ऊपर एक तार तना हुआ होता है ये तार एक जगह बंधा हुआ रहता है तथा तार का दूसरा हिस्सा एक चिकनी घर्षण रहित से होता हुआ लटका रहता है इस लटके हुए हिस्से पर वजन लटकाते है जिससे तार में तनाव उत्पन्न हो सके। भार का मान कम अथवा ज्यादा कर सकते है यह निर्भर करता है की हमें तार में कितना तनाव उत्पन्न करना है।
तार जिन दो नुकीले हिस्सो पर रखा रहता है वे जरा भी कम्पन्न नहीं करते हैं, जब तार को हिलाते अथवा कंपन कराते है तब ये दोनों नुकीले बिन्दु नोड्स की तरह व्यवहार करते है तार में आए कम्पन्न की आवृत्ति का मान या तो नुकीले सिरों की स्थिति को बदल के या परिवर्तन करके किया जा सकता है अथवा लटके हुए वजन का मान बदल कर आवृत्ति का मान बदला जा सकता है।
स्वर मापी के उपयोग –
इसका प्रयोग किसी भी स्वरित्र की अंजान आवृत्ति का मान निकालने या ज्ञात करने के लिए किया जाता है।
आवृत्ति का मान निकलने के लिए डोरी में तनाव
को स्थिर रखा जाता है व दोनों नुकीले हिस्सो के
बीच तार की लम्बाई को भी एक जैसा रखा जाता है तथा तनाव का मान कम या ज्यादा करने के लिए लम्बाई को बदला जा सकता है
एक स्वरित्र को तार पर लगाकर कम्पन्न करवाया जाता है व तार की लम्बाई को तब तक कम अथवा अधिक करते है जब तक की स्वरित्र तथा तार में उत्पन्न आवृत्ति का मान बराबर न हो जाए जब तार में आई आवृत्ति का मान स्वरित्र में आई आवृत्ति के समान हो जाती है तब इस आवृत्ति का मान इन सूत्र द्वारा निकाल लिया जाता है।
1 21 T m n=
n = आवृत्ति
| = दोनों नुकीले हिस्सो के बीच तार की लम्बाई है।
T = तार में आया तनाव
m = टांगा गया भार
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