लेंज का नियम क्या है ? तथा लेंज के नियम और उर्जा सरंक्षण सिद्धांत को समझाइए
लेंज का नियम
सन 1833 में Heinrich Lenz ने विद्युत चुम्बकीय प्रेरण में उत्पन्न विद्युत वाहक बल की दिशा ज्ञात करने के लिए एक नियम दिया जिसे लेंज का नियम कहते हे | यह नियम फेराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के नियम का पालन करता हे | फेराड़े का विद्युत चुम्बकीय प्रेरण का नियम हे की जब हम किसी कंडक्टर को किसी Changing Magnetic Field में रखा जाता हे तो उस कंडक्टर में एक प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता हे जो की उस कंडक्टर में Current को Induce करता हे |
अब हम बात करते हे लेंज के नियम की जो की इस उत्पन्न विद्युत वाहक बल की दिशा बताता हे इसके अनुसार इस विद्युत चुम्बकीय प्रेरण की घटना में उत्पन्न विद्युत वाहक बल से Induce करंट की दिशा इस प्रकार होती हे की वह उसी कारण का विरोध करता हे जिसके कारण ये उत्पन्न हुआ हे अर्थात ये करंट उसी Magnetic Field का विरोध करता हे जिसके कारण ये उत्पन हुआ हे |
उदाहरण
इस विद्युत वाहक बल को एक उदाहरण की सहायता से समझा जा सकता हे जो इस प्रकार है
लेंज के नियम को समझने के लिए हम एक चुम्बक और एक कुंडली को लेते हे तथा कुंडली को किसी विद्युत परिपथ से जोड़ते हे ताकि इसमें करंट प्रवाहित हो सके अब कुंडली में करंट के बहने से इसमें Polarity आ जाती हे जिससे एक उत्तरी ध्रुव बन जाता हे तथा एक दक्षिणी ध्रुव बन जाता हे | अब हम इस चुम्बक को बारी बारी से कुंडली के पास लाते हे या फिर इसे इस प्रकार समझे की एक ही बार में जब चुम्बक को कुंडली के पास लाकर फिर इसे कुंडली से दूर ले जाये |
पहले हम चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को कुंडली के पास लाते हे जिससे इस कुंडली का मैग्नेटिक फ्लक्स बड जाता हे तथा फेराडे के विद्युत चुम्कीय प्रेरण के नियम के अनुसार जब कुंडली में फ्लक्स चेंज होता हे तो इसमें विद्युत वाहक बल प्रेरित होता हे जो की करंट को Induce करता हे तथा यह करंट अपना एक मैग्नेटिक फील्ड बना लेती हे |
अब जेसा की हम जानते हे लेंज के नियम के हिसाब से यह मैग्नेटिक फील्ड उसी मैग्नेटिक फील्ड का विरोध करेगा जिसके कारण यह Produce होता हे | और यह पूरी Coil में इस प्रभाव को उत्पन्न करेगा | अब इस पूरी प्रक्रिया के दोरान कुंडली का वह भाग जो चुम्बक की और होता हे वो कुंडली का उत्तरी ध्रुव बन जाता हे | और क्योकि चुम्बक का यह गुण होता हे की इसके समान ध्रुवो के बिच प्रतिकर्षण तथा असमान ध्रुवो के बिच आकर्षण होता हे इसलिये जब कुंडली में बने उत्तरी ध्रुव के पास जब चुम्बक का उत्तरी ध्रुव लाते हे तो इन दोनों के बिच प्रतिकर्षण होता हे |
अब हम इसकि दूसरी स्थति को समझते हे जब चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को को धीरे धीरे कुंडली से दूर ले जाया जाता हे इस स्थति में कुंडली का मैग्नेटिक फ्लक्स घटने लगता हे तथा फेराडे के विद्युत चुम्कीय प्रेरण के नियम के अनुसार जब कुंडली में फ्लक्स चेंज होता हे तो इसमें विद्युत वाहक बल प्रेरित होता हे जो की करंट को Induce करता हे तथा यह करंट अपना एक मैग्नेटिक फील्ड बना लेती हे |
अब हम जानते की लेंज के नियम के अनुसार यह मैग्नेटिक फील्ड उसी का विरोध करेगी जिसके कारण यह उत्त्पन्न हुआ हे अर्थात यह मैग्नेटिक फ्लक्स के घटने का विरोध करेगा और यह पूरी Coil में होगा | और यह तथी संभव हो पाएगा जब कुंडली का यह ध्रुव दक्षिणी ध्रुव बन जाए | और क्योकि चुम्बक का यह गुण होता हे की इसके समान ध्रुवो के बिच प्रतिकर्षण तथा असमान ध्रुवो के बिच आकर्षण होता हे इसलिये जब कुंडली में बने दक्षिणी ध्रुव के पास जब चुम्बक का उत्तरी ध्रुव होता हे तो इनके बिच आकर्षण होता हे |
इस प्रकार हमने देखा की चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को कुंडली के पास लाते हे तो कुंडली उत्तरी ध्रुव बना लेती हे और जब इसी चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को कुंडली से दूर ले जाया जाता हे तो कुंडली दक्षिणी ध्रुव बना लेती हे और इस प्रकार कुंडली में उत्त्पन्न विद्युत वाहक बल तथा इसकि दिशा का पता चलता हे
लेंज का नियम और उर्जा संरक्षण सिद्धांत
लेंज का नियम उर्जा संरक्षण के सिद्धांत पर आधारित होता हे इस बात को समझने के लिए हम ये जान लेते हे की उर्जा संरक्षण का सिद्धांत क्या होता हे इस सिद्धांत के अनुसार किसी भी निकाय की कुल उर्जा हमेशा नियत रहती हे इसका मतलब हे की उर्जा को न तो उत्त्पन्न किया जा सकता हे और न ही नष्ट किया जा सकता हे उर्जा को केवल एक Form से दूसरी Form में Change किया जा सकता हे | जेसे की इलेक्ट्रिकल उर्जा को विद्युत मोटर से मैकेनिकल उर्जा में बदला जा सकता हे तथा मैकेनिकल उर्जा को जनरेटर की मदद से इलेक्ट्रिकल उर्जा में बदला जा सकता हे |
अब इसी सिद्धांत को हम लेंज के नियम में भी समझते हे इसके लिए हमने लेंज के नियम में देखा था की जब हम चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को कुंडली के पास लाते हे तो कुंडली भी चुम्बक के उत्तरी ध्रुव के पास वाले ध्रुव को उत्तरी ध्रुव बना लेती हे तथा चुम्बक के गुण के आधार पर जब समान ध्रुव एक दुसरे के पास होते हे तो उनके बिच प्रतिकर्षण होता हे | अब इस प्रतिकर्षण बल के विरोध में कुछ बाहरी कार्य करना पड़ता हे जिससे की यह बाहरी कार्य विद्युत उर्जा में बदल जाता हे तथा इस प्रकार प्रेरित विद्युत धारा उत्त्पन्न हो जाती हे | इस प्रकार हमने देखा की इस पूरी प्रक्रिया में सिर्फ उर्जा का परिवर्तन हुआ हे अर्थात यही बाहरी कार्य प्रेरित विद्युत धारा के बराबर होगा |
अब हम दूसरी स्थति के बारे में देखते हे जब चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को कुंडली से दूर ले जाया जाता हे तो कुंडली चुम्बक के उत्तरी ध्रुव के पास वाले ध्रुव को दक्षिणी ध्रुव बना लेती हे तथा अब ये इस चुम्बक के दूर जाने का विरोध करती हे क्योकि चुम्बक के गुण के आधार पर असमान ध्रुवो के बिच आकर्षण होगा अब हमें इस आकर्षण बल के विरोध में कुछ बाहरी बल लगाना होगा और यही बाहरी बल प्रेरित विद्युत उर्जा में बदल जाता हे | यह बाहरी बल विद्युत उर्जा के बरबार होगा |
इस प्रकार हमने देखा की चाहे चुम्बक को कुंडली के पास लाया जाए या फिर कुंडली से चुम्बक को दूर ले जाया जाए दोनों ही स्थतियो में हमें एक आकर्षण या प्रतिकर्षण बल के विरोध में एक बाहरी बल लगाना होता हे जो विद्युत उर्जा में बदल जाता हे इस पूरी प्रक्रिया में निकाय की कुल उर्जा संरक्षित रहती हे इस प्रकार हम कह सकते हे की लेंज का नियम उर्जा संरक्षण के नियम पर आधारित होता हे |
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