पार्थिव दूरदर्शी क्या है ? संरचना | वर्किंग
आज के इस टॉपिक में हम पार्थिव दूरदर्शी ( Terrestrial Telescope ) के बारे में समझेंगे जिसमे हम यह समझेंगे की पार्थिव दूरदर्शी ( Terrestrial Telescope ) क्या होता है इसका उपयोग क्यों और कहा किया जाता है उसके बाद हम देखेंगे की इसकी संरचना किस प्रकार की होती है और उसके बाद हम यह समझेंगे की इसके द्वारा प्रतिबिम्ब ( Image ) का बनना किस प्रकार होता है अर्थात इसकी Working Process किस प्रकार होती है इन सभी Points को समझेंगे तो अब Start करते है यह समझना की पार्थिव दूरदर्शी ( Terrestrial Telescope ) क्या होता है |
पार्थिव दूरदर्शी
पार्थिव दूरदर्शी ( Terrestrial Telescope ) एक ऐसा Instrument होता है जिसका उपयोग करके पृथ्वी पर स्थित ज्यादा Distance वाली वस्तुओं को देखा जाता है अर्थात इसका Use केवल पृथ्वी पर स्थित Objects को देखने के लिए ही किया जाता है |
साथ ही साथ यह एक ऐसा Instrument होता है जो की ज्यादा Distance पर स्थित वस्तुओं का सीधा प्रतिबिम्ब बनाता है और ये दूरदर्शी दर्शन कोण को बड़ा देता है तथा प्रतिबिम्ब को आंख के निकट ला देता है और उस Object को जिसे देखना होता है उसका सीधा Image बना देता है इसीलिए इसे पार्थिव दूरदर्शी ( Terrestrial Telescope ) कहा जाता है | अब हम बात करते है इसकी संरचना के बारे में |
पार्थिव दूरदर्शी की संरचना
अगर हम पार्थिव दूरदर्शी की संरचना की बात करे तो इसमें एक नली का Use किया जाता है और इस नली के जिस सिरे को Object की तरफ रखा जाता है उस तरफ एक उत्तल Lens लगा होता है जिसे अभिदृश्यक Lens ( Objective Lens ) कहा जाता है तथा चित्र में इसे Lo से Denote किया गया है और इस नली के दूसरे सिरे पर जहाँ आंख को रखा जाता है उस सिरे पर भी एक Lens लगा होता है जिसे नेत्र Lens ( Eye Lens ) कहा जाता है तथा चित्र में इसे Le से Denote किया गया है |
अब इसमें अभिदृश्यक Lens तथा नेत्र Lens के बीच एक और उतल Lens लगाया जाता है इसका काम अभिदृश्यक Lens के द्वारा बने प्रतिबिम्ब को सीधा करने का होता है जिसे अभिक्षेत्र Lens ( Field Lens ) कहा जाता है तथा चित्र में इसे Lf से Denote किया गया है |
इसमें अभिदृश्यक Lens का द्वारक तथा इसकी फोकस दूरी अधिक होती है तथा नेत्र Lens का द्वारक तथा फोकस दूरी कम होती है अर्थात अगर हम यह माने की अभिदृश्यक Lens की फोकस दूरी fo है तथा नेत्र Lens की फोकस दूरी fe है तथा अभिक्षेत्र Lens की फोकस दूरी f है तब इन लेंसों को इस प्रकार सेट किया जाता है की अभिदृश्यक Lens तथा अभिक्षेत्र Lens के बीच की दूरी fo + 2f रहे | इस प्रकार इसकी संरचना होती है अब हम इसके द्वारा प्रतिबिम्ब का बनाना अर्थात इसकी वर्किंग को समझेंगे |
पार्थिव दूरदर्शी की वर्किंग
अगर हम पार्थिव दूरदर्शी की वर्किंग की बात करे तो इसमें सबसे पहले तो अभिदृश्यक Lens के द्वारा जो की Object की तरफ लगा रहता है ज्यादा Distance पर स्थित किसी Object का वास्तविक तथा उल्टा प्रतिबिम्ब बनता है जिसे चित्र में AB नाम दिया गया है और जिसकी दूरी अभिक्षेत्र Lens से 2f होती है अब अभिक्षेत्र Lens इस उल्टे AB प्रतिबिम्ब का सीधा प्रतिबिम्ब बनाता है जिसे A’B’ के नाम से चित्र में दर्शाया गया है और इसका Size भी AB के बराबर ही होता है |
तथा यह प्रतिबिम्ब अभिक्षेत्र Lens से 2f दूरी पर ही होता है, वास्तविक और सीधा भी होता है, और वस्तु के आकार का ही होता है इस प्रकार वस्तु का प्रतिबिम्ब AB तथा AB का प्रतिबिम्ब A’B’ प्राप्त होता है अब इसके बाद जो A’B’ बनता है वह नेत्र Lens के लिए फोकस Fe पर बनता है जिससे की नेत्र Lens के द्वारा इस A’B’ का अंतिम प्रतिबिम्ब A’’B’’ अनंत पर बनता है |
लेकिन यदि इस अभिक्षेत्र Lens के द्वारा बनाया गया प्रतिबिम्ब A’B’ नेत्र Lens का जो प्रकाशिक केंद्र है जिसे चित्र में O से दर्शाया गया है उसके तथा नेत्र Lens की जो फोकस दूरी है जिसे चित्र में Fe से दर्शाया गया है इन दोनों के बीच बनाता है तो इस स्थति में जो नेत्र Lens लगा रहता है उसको सरकाकर अंतिम प्रतिबिम्ब A’’B’’ सीधा , आभासी प्रकृति का तथा बड़ा और स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी जिसे चित्र में D से दर्शाया गया है पर प्राप्त किया जा सकता है |
इस प्रकार हमने देखा की जो Object पृथ्वी पर स्थित दूरस्थ स्थान पर था उसका पहले अभिदृश्यक Lens के द्वारा उल्टा प्रतिबिम्ब बनता है और फिर यह प्रतिबिम्ब अभिक्षेत्र Lens के लिए Object का काम करता है अब अभिक्षेत्र Lens के द्वारा इस प्रतिबिम्ब का फिर से सीधा प्रतिबिम्ब बनता है और अब यह प्रतिबिम्ब नेत्र Lens के लिए Object का काम करने लगता है इस प्रकार इस Object का Final प्रतिबिम्ब प्राप्त होता है जिसे आंख की Help से देखा जा सकता है यही इस पार्थिव दूरदर्शी की वर्किंग Process होती है |
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