पादप शरीर क्रिया विज्ञान ( Plant physiology )
वनस्पति विज्ञान की वह शाखा जिसमें पौधों की जैविक क्रियाओं का अध्ययन लिया जाता हैं | पादप शरीर क्रिया विज्ञान कहलाता हैं |
पादप शरीर क्रिया विज्ञान का जनक स्टीफन हेल्स को कहा जाता हैं |
जैविक क्रियाएं
पादपों में होने वाली रसायनिक परिवर्तन जैसे – प्रकाश संश्लेषण , पाचन , श्वसन तथा वसा पदार्थों का संश्लेषण जबकि भौतिक परिवर्तन जैसे – वाष्प का विसरण , परासरण , वाष्पोत्सर्जन , पौधें में रसारोहण ,खनिज तत्वों एवं जल का अवशोषण |
वातावरण के बीच सभी प्रकार के आदान – प्रदान का होना जैविक क्रियाएं कहलाती हैं |
कोशिका की वृद्धि एवं विकास में रसायनिक एवं भौतिक दोनों प्रकार के परिवर्तन सहायक होते हैं |इन परिवर्तनों से पौधों की शरीर रचना की इकाई , कोशिका के दौरान ही होती हैं | इसी कारण कोशिका को पौधों की कार्य तथा संरचना की इकाई भी कहते हैं | इनमें होने वाले विभिन्न परिवर्तन ही कार्यिकी के क्षेत्र में आते हैं |
पौधों में खनिज लवण ( Mineral nutrition in plant )
हरे रंग के पौधों स्वपोषी ( Autotrophic ) होते हैं | ये स्वयं ही कार्बनिक पदार्थों का निर्माण करते हैं | बाह्य स्त्रोत से इनकी आपूर्ति नहीं होती | ये पौधों मुख्यतः कार्बोहाइड्रेट्स का निर्माण करते हैं| जल एवं अकार्बनिक तत्वों को सभी पौधें भूमि से प्राप्त करते | भूमि में खनिजों के रूप में अकार्बनिक तत्व उपस्थित रहते हैं | इन्हें खनिज तत्व या पोषण तत्व तथा इनके पोषण को खनिज पोषण कहते हैं | 60 विभिन्न प्रकार के खनिज तत्व पौधें के भस्म में पाये जाते है लेकिन सभी तत्व पौधें के लिए अनिवार्य नहीं होते | ऑर्नन ( 1938 ) ने खनिज पोषक तत्व की अनिवार्यता के सिद्धांत प्रतिपादित किया | जैसे –
- पौधों में विकार अनिवार्य तत्व की अनुपस्थिति के कारण उत्पन्न हो जाते है |इसलिए पौधें अपना जीवन चक्र नियमित रूप से पूरा कर पाते |
- जिससे विकार उत्पन्न हुआ हो उसी तत्व से विकार का निदान होता |
- तत्व उपापचय में सीधे भाग लेता हैं|
अनिवार्य तत्वों का वर्गीकरण ( Classification essential element )
पौधों की वृद्धि एवं विकास के लिये 17 आवश्यक पोषक तत्वों की जरूरत होती हैं |जिन्हें तीन श्रेणियों में विभक्त किया जाता हैं |
1. मुख्य पोषक तत्व ( Mejor nutreints )
वे तत्व जिनकी जरूरत पौधों को ज्यादा मात्रा में होती हैं , उन्हें मुख्य पोषक तत्व कहते हैं | उदाहरण – कार्बन , नाइट्रोजन , ऑक्सीजन , हाइड्रोजन , फास्फोरस , पोटाश |
2. द्वितीयक पोषक तत्व ( Secondary nutreints )
वे तत्व जिनकी पौधों को जरूरत मुख्य तत्व की अपेक्षा कम होती हैं | द्वितीयक पोषक तत्व की संज्ञा दी जाती हैं | उदाहरण – Ca , Mg एवं S
3. सूक्ष्म पोषक तत्व ( Micro – nutreints )
इस वर्ग के तत्वों की पौधों को सूक्ष्म मात्रा में आवश्यकता होती है | सूक्ष्म पोषक तत्व या Micro की संज्ञा दी जाती हैं | उदाहरण – आयरन ( Fe ) , मैग्नींज ( Mn ) , ताँबा ( Cu ) , जिंक ( Zn ) , मोलीब्डीनम ( Mo ) , क्लोरीन ( Cl ) , बोरॉन ( B ) , निकिल ( Ni )
खनिज तत्वों के सामान्य कार्य ( General fuctions of mineral elements )
1. पादप शरीर का अंश ( Frame work elements )
आधार तत्व ( Frame work elements ) कार्बन , हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन को कहते हैं | क्योंकि ये कार्बोहाइड्रेट्स का अंश हैं , जिनसे कोशिका भित्ति ( Cell wall ) का निर्माण होता हैं |
2. जीवद्रव्यी तत्व ( Protoplasmic elements )
जीवद्रव्यी तत्व नाइट्रोजन , सल्फर एवं ऑक्सीजन को कहते हैं | क्योंकि ये जीवद्रव्य का प्रमुख भाग कार्बन , सल्फर एवं ऑक्सीजन के साथ मिलकर बनाते हैं |
3. कैटालिटक कार्य ( Catalytic functions )
पौधों की विकरीय क्रियाओं में उत्प्रेरक का कार्य Fe , Mn , Zn , Cu आदि तत्व करते हैं |
4. संतुलनकारी तत्व ( Balancing elements )
दूसरे खनिजों के विषैले प्रभाव को समाप्त करके आयनिक संतुलन Ca , Mn एवं K बनाते हैं |
5. कोशा के परासरण दाब पर प्रभाव ( Influence on the Osmotic pressure )
विभिन्न खनिज तत्व पादप कोशिका के कोशा रस ( Cell sap ) में घुले रहते हैं | तथा ये कोशिका के परासरण दाब को नियंत्रित करने का कार्य करते हैं |
6. pH पर प्रभाव ( Effect on pH )
भूमि से अवशोषण द्वारा प्राप्त विभिन्न तत्व कोशिका रस में उपस्थित हाइड्रोजन आयनों की सान्द्रता को प्रभावित करके pH नियंत्रित करने का कार्य करते हैं |
7. खनिज तत्वों का विषैला प्रभाव ( Toxic effect of mineral element
पौधें विषैला प्रभाव As , Cu , Hg आदि तत्व कुछ विशेष अवस्थाओं में डालते हैं |
1. आवश्यक पोषक तत्वों का विवरण
आवश्यक पोषक तत्व स्त्रोत पौधों का बनने वाला भाग % में
- कार्बन वायु से 45.0 %
2. मुख्य पोषक तत्व
- नाइट्रोजन मृदा से 1 – 3.0 %
- पोटाश मृदा से 0.3 – 6.0 %
3. द्वितीयक पोषक तत्व
- सल्फर मृदा से 0.05 – 1.5 %
4. सूक्ष्म पोषक तत्व
- आयरन मृदा से 100 p.p.m.
- मैग्नींज मृदा से 5 – 500 p.p.m.
- मोलीब्डेनम मृदा से सूक्ष्म मात्रा में
खनिज तत्वों की उपयोगिता ( Significance of mineral elements )
मृदा विहीन संवर्धन तथा विलयन संवर्धन विधि द्वारा विभिन्न तत्वों का अध्ययन किया जाता हैं | वे सभी खनिज पदार्थ जो मिट्टी से जड़ों द्वारा अवशोषित करते हैं | उनके विलयन में पौधों को उगाया जाता हैं , जिसे पोषक विलयन ( Nutreint solution ) कहते हैं | वह पोषक विलयन जिसमें सभी खनिज पदार्थ उपस्थित हो , उसे सामान्य पोषक विलयन ( Normal nutreint solution ) कहते हैं |
मृदा विहीन संवर्धन के प्रकार
मृदा विहीन संवर्धन दो प्रकार का होता हैं |
1. बालू का संवर्धन ( Sand culture )
पौधों की जड़ों को शुद्ध बालू में रखा जाता हैं एवं बालू पोषक विलयन डाला जाता हैं |
2. विलयन संवर्धन ( Solution culture )
पौधों की जड़े तरल पोषक विलयन में रहती हैं तथा पौधों को तरल पोषक विलयन में उगाने की प्रणाली को हाइड्रोपॉनिक्स नाम दिया जाता हैं | पौधें में किसी विशेष तत्व कक उपयोगिता एवं प्रभाव का अध्ययन करना होता हैं तो पौधें को ऐसे पोषक विलयन में उगाते है , जिसमें वह विशेष तत्व ना हो | ऐसे विलयन को न्यूनकृत पोषक विलयन कहते हैं |
मुख्य पोषक तत्वों के कार्य एक दृष्टि में
1. नाइट्रोजन ( N )
वृद्धि एवं प्रोटीन उत्पादन में |
2. फास्फोरस ( P )
जड़ो का विकास , ऊर्जा , शीघ्र फसल पकाने में |
3. पोटेशियम ( K )
उच्च गुणवत्ता , पानी का उचित अवशोषण
4. सल्फर ( S )
प्रोटीन एवं तेल निर्माण में सहायक , लहसुन एवं प्याज में गन्ध एवं स्वाद |
5. कैल्शियम ( Ca )
कोशिका संरचना , विभाजन एवं मध्य पटल का निर्माण |
6. मैग्नीशियम ( Mg )
ऊर्जा स्थानांतरण , क्लोरोफिल का मुख्य तत्व
7 . आयरन ( Fe )
श्वसन एवं क्लोरोफिल उत्पादन |
8. मोलीब्डीनम ( Mo )
दलहनों में N – fixation
9. जिंक ( Zn )
प्रोटीन संश्लेषण , एन्जाइम सक्रियता |
पौधों में तत्वों की कमी से उत्पन्न रोग
उत्पन्न रोग या लक्षण किस तत्व कि कमी से
1. फलों में
- नींबू में डाईबैक ( Die back ) Cu ( कॉपर )
- अमरुद में Bronzing Zn ( जस्ते )
- आम का काला सिरा रोग ( Black tip ) भट्टे ( Klin ) के धुएं से निकलती
गैस
Bunky रोग
2. सब्जियों में
- फूलगोभी में ” Whip tail ” रोग Mo ( मोलीब्डेनम )
- आलू का ” Black hert ” रोग भण्डारण में
की कमी से
3. अन्न एवं फसलें
- मक्का में ” White bud ” रोग Zn ( जस्ता )
- धान में खैरा रोग Zn ( जस्ता )
- ज्वार ( चरीं में जहरीलापन ) HCNC Dhruin / प्रूसिकअम्ल कॉपर