ठोसो को चार भागो मे बाँटा जा सकता है जो ठोसो के अवयवी के बीच लगने वाले अंतरा आणविक या अंतरायनिक बलो की प्रकृति पर निर्भर करता है
- आणविक ठोस
- आयनिक ठोस
- धात्विक ठोस
- सह संयोजक या नेटवर्क ठोस
आणविक ठोस
इस तरह के ठोस अनेको तरह के अणुओ या आण्विक इकाइयों से मिलकर बने हुए होते है ये अणु वंडरवॉल आकर्षण बलो या हाइड्रोजन बंध द्वारा जुड़े हुए होते हैं व इनके के गलनांक और क्वथनांक भी कम होते हैं
आणविक ठोस तीन प्रकार के होते है
अध्रुवी आणविक ठोस
इस तरह के ठोसो मे उत्कृष्ट गैसों को रखा गया है जिसमे अणुओ के बीच लंडन वांडरवाल बल मौजूद होते हैं ये बल बहुत ही कमजोर प्रकृति के होते है अतः इनके गलनांक और कवथानांक बहुत ही कम होते है ये पानी मे अविलेय तथा विधुत के कुचालक होते है ये कम ताप पर ही ठोस अवस्था मे पाए जाते है कमरे के ताप पर ये द्रव या गैस अवस्था मे पाए जाते है
जैसे- O2 , N2 , Cl2 इत्यादि
ध्रुवीय आणविक ठोस
इस तरह के आणविक ठोसो मे अणु ध्रुवीय प्रकृति के पाए जाते है जो आपस मे वंडरवॉल बलों से बंधे हुए होते है इन अणुओ मे द्विध्रुव-द्विध्रुव अन्नोन्य क्रिया होती है जिस से वंडरवाल बल अधिक मजबूत पाए जाते है ये ठोस मुलायम व धूर्वीय विलयको मे विलेय होते है और ये विधुत के सुचालक होते है ये कमरे के ताप पर द्रव या गैस अवस्था मे पाए जाते है जिनको निम्न ताप पर ठोसो के रूप मे प्राप्त किया जा सकता है
जैसे – HCl, SO2 इत्यादि
हाइड्रोजन बंध युक्त आणविक ठोस
इस तरह के आणविक ठोसो मे हाइड्रोजन परमाणु दो प्रबल विद्युत ऋण परमाणु के मध्य जुड़ जाता है जैसे HF, H2O, NH3 , COOH आदि ये ठोस द्रव अवस्था मे पाए जाते है पर कम ताप पर ठोसो के रूप मे प्राप्त किये जा सकते है ये विधुत के कुचालक होते है
आयनिक ठोस
इन ठोसो का गलनांक और क्वथनांक बहुत ज्यादा होता है इनके कण आयनिक होते है धन आयनो तथा ऋण आयनों सहयोग से बने इन यौगिको के बीच स्थिर वैद्युत बल पाया जाता है ये भंगुर प्रकृति के होते हैं और ध्रुव विलयको मे बहुत जल्दी घुल जाते है जलीय विलयन मे वैधुत के सुचालक होते है पर कठोर अवस्था मे विधुत के कुचालक होते है इन यौगिको मे कोई आणविक इकाइयां नही पायी जाती है और ये एक क्रिस्टलीय जालक बनाते है ये क्रिस्टलीय ठोस होते हैं
जैसे – NaCl, CaSO4 आदि
धात्विक ठोस
ये ठोस एक ही तरह के धनायनो से बने हुए होते है जो इलेक्ट्रोनो से बने जाल मे व्यवस्थित क्रम मे फैले हुए होते है ये इलेक्ट्रोन किसी भी दिशा मे गति करने के लिए फ्री होते है धातुए विधुत की अच्छी सुचालक होती है हर घातु आयन अपना एक इलेक्ट्रोन का त्याग करता है जिस से ये जाल का निर्माण होता है जैसे ही इसमे विधुत क्षेत्र लगाया जाता है उच्च विभव से निम्न विभव की ओर इलेक्ट्रोनो का प्रवाह होता है
सह संयोजक या नेटवर्क ठोस
ये सह संयोजक ठोस अधातु परमाणु से मिलकर बने हुए होते हैं जिन्हे बड़े ( विशाल) क्रिस्टल कहा जाता है इनमे अधातु के परमाणु आपस मे सहसंयोजक बंधो द्वारा एक नेटवर्क बनाते हैं जिससे वृद्ध ठोस पदार्थ बनते हैं जो एक विशिष्ट गुण रखते हैं सहसंयोजक बंध देसात्मक बंद होते हैं जिसमें एक निश्चित ज्यामिति अवस्था में क्रिस्टल का निर्माण होता है जैसे – ग्रेफाइट , हीरा, क्वार्ट्ज आदि
हीरा कार्बन का ही एक अपरूप होता है जिसमें हर कार्बन sp3 संकरीत होकर आपस में एक बहुत बड़ा नेटवर्क बनाते हैं इस कारण से ही हीरा सबसे ज्यादा कठोर होता है
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