इस article मे आज हम ट्रैक्टर के बारे में चर्चा करेंगे ट्रैक्टर का अविष्कार कब और किसने किया आज जो ट्रैक्टर हम देखते है उसका क्या इतिहास रहा है और भारत मे ट्रैक्टर कैसे आया इस सब के बारे मे हम इस article मे जानेंगे
ट्रैक्टर –
ट्रैक्टर शब्द लैटिन भाषा से लिया गया है जिसका हिंदी मे अर्थ खीचना होता है ट्रैक्टर वह मशीन है जिसको कृषि कार्यों मे किया जाता है पहले जहा कृषि कार्य पशुओं से किया जाता था जिसमे बहुत श्रम और समय लगता था अब ट्रैक्टर से वही काम कम समय व कम खर्च के साथ हो जाता है ट्रैक्टर से खेत जोतने से लेकर अनाज निकालने तक के सभी काम किये जाते है
ट्रैक्टर का उपयोग कृषि तक ही सीमित नही है अपितु इसका उपयोग समाम ढोने छोटे फंक्शन मे विधुत उत्पादन , खड्डा खोदने के लिए भी किया जाता है तो हम कह सकते है ट्रैक्टर एक ऐसी मशीन है जिसका उपयोग हम कई कार्यो के लिए करते है
ट्रैक्टर का अविष्कार –
ट्रैक्टर के अविष्कार में अनेक वैज्ञानिकों ने अपना सहयोग दिया परंतु ट्रैक्टर के आविष्कार का श्रेय बेंजामिन हॉल्ट व चार्ल्स डिंसमूर को दिया जाता है
ट्रैक्टर का इतिहास –
ट्रैक्टर का इतिहास 19 सदी के शुरुआती दौर से शुरू होता है सन् 1812 मे रिचर्ड ट्रैवीथिक ने एक मशीन का अविष्कार किया जिसे बोर्न इंजन कहा गया इसमे टायर के पास भाप इंजन लगा होता था जो एक बैलट की सहायता इस मशीन को चलता था इस ट्रैक्टर का उपयोग थ्रेसर मशीन को चलाने के लिए किया जाता था
इस ट्रैक्टर को लोगो के द्वारा ज्यादा उपयोग मे नही लाया गया और ना लोगो द्वारा से पसंद किया गया इसके पीछे मुख्य रूप से तीन कारण थे 1. यह बहुत भरी और धीमी गति से चलता था जिसको दूसरे स्थान पर ले जाने मे बहुत श्रम लगता था 2. इसके बॉयल बहुत बेकार था जिसमे आग लगने का खतरा बना रहता था एक छोटी सी आग की चिंगारी ट्रैक्टर मे आग लगाने के लिए पर्याप्त थी 3. यह बहुत ही ज्यादा खर्चीला होने के कारण लोग कृषि कार्य के लिए पशुओ को ही पसंद करते थे
समय के साथ – साथ इस ट्रैक्टर मे कई सुधार हुए जिसमे बेंजामिन लेरॉय हॉल्ट ने ट्रैक्टर के अविष्कार मे अपना अतुलनीय योगदान दिया बेंजामिन ने ट्रैक्टर के लिए विशेष प्रकार के टायर डिजाइन किये जो ट्रैक्टर को गीली मिट्टी व छोटे-मोटे खड्डे में धसने ने से बचाता था 1960 मे बेंजामिन ने अपना ट्रैक्टर लोगो के सामने प्रस्तुत किया जो 60Hp power का था पर यह भी भाप इंजन से ही चलता था पर यह ट्रैक्टर भी सफल नही हो पाया
सन् 1992 मे जॉन फ्रॉएलिच ने अपना द्वारा डिजाइन किये गए ट्रैक्टर को लोगो के सामने लाये यह दुनिया का पहला गैसोलीन पेट्रोल स्वचालित ट्रैक्टर था इस ट्रैक्टर मे सिंगल सलेंडर गैसोलीन इंजन वह अपने द्वारा बनाई गई गैरवौक्स को लगाया यह ट्रैक्टर उस जमाने के लिहाज से बहुत एडवांस था जिसकी स्पीड 3 mile/ hour थी फ्रॉएलिच ने अपने ट्रैक्टर बेचने मे लिए वाटरलूक गैसोलीन इंजन नाम से एक कंपनी शुरू की परंतु यह सफल नहीं हो पाई इसके सिर्फ दो ही ट्रैक्टर बिक पाए बाद में इस कंपनी को एक अन्य कम्पनी द्वारा खरीद लिया गया
1903 दो अमेरिकी भाइयों चार्ल्स वाल्टर हार्ड व चार्ल्स हेनरी मेट्रो में काफी सुधार की और इसमें दो सिलेंडर गैसोलीन इंजन का उपयोग किया जो लोगों द्वारा काफी पसंद किए गए और इनको कृषि कार्यों मैं बहुत उपयोग किया गया
1917 मे हनरी फॉर्ड ने फॉर्ड मून नाम से अपने ट्रैक्टर बनाए और यह आकार में बहुत छोटे एवं काफी किफायती थे इनको कृषि कार्य में उपयोग करना काफी सरल था और बाजार में इन्होंने अपने बाजार मे प्रतिस्पर्धा वाले ट्रैक्टरों को पछाड़ दिया
1916 से 1925 के मध्य दुनिया भर में कुल 100 से ज्यादा कंपनियां थी जो ट्रैक्टर निर्माण करती थीपहले जहां ट्रैक्टर में तकनीकी अभाव के कारण स्टील के पहियों का उपयोग किया जाता था पर टेक्नोलॉजी आने के कारण उन टायर की जगह रबड़ के टायर का उपयोग किया जाने लगा
भारत मे ट्रैक्टर का आगमन –
भारत मे आजादी से कुछ समय पहले ही ट्रैक्टर भारत में आ चुके थे परंतु यह सिर्फ पूंजीपतियों एवं बड़े जमींदारों के पास ही थे सामान्य व्यक्ति तक इनकी पहुंच नहीं थी भारत में रूस से ट्रैक्टर का आयात किया जाता था परंतु भारत मे हरित क्रांति के बाद सरकार ने ट्रैक्टरों के निर्माण पर जोर दिया और विदेशी कंपनियों को भारत में ट्रैक्टर निर्माण करने के लिए ऑफर दिए भारत में अब लगभग 20 कंपनियां है जो ट्रैक्टर का उत्पादन करती हैं जिनमें 16 स्वदेशी कंपनी और 4 विदेशी कंपनी है
भारत में दुनिया के लगभग 30% ट्रैक्टर को उत्पादन किया जाता है भारत ट्रैक्टर उत्पादन में दुनिया में सबसे आगे है
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