भारत का दूसरा चंद्रयान– 2 तथा चंद्रयान 1 का उन्नत संस्करण है इससे पहले चंद्रयान- 1 का 2 अक्टूबर 2008 को सफल परीक्षण किया गया था चंद्रयान 1 को Polar Satellite Launch Vehicle (PSLV) – C 11 Rocket के जरिये सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्री हरि कोटा से Launch किया गया था चंद्रयान 1 का मकसद पृथ्वी के एक मात्र प्राकृतिक उपग्रह के बारे में अपने ज्ञान का विस्तार करना था।
ISRO के अनुसार चंद्रयान- 2 चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से पर उतरता है और इस जगह की छानबीन शुरू करेगा यान को चंद्रमा की सतह पर उतरने में लगभग 15 मिनिट का समय लगेगा यह तकनीकी रूप से बहुत ही मुश्किल समय होता है क्योंकि भारत में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ साथ ही इसमें बताया जाता है कि अच्छी Landing के लिये कितने प्रकाश और समतल सतह की आवश्यकता होती है वो उसी दक्षिणी हिस्से में ही मिलेगी इस मिशन के लिये पर्याप्त ऊर्जा और खनिज मिलने की भी उम्मीद यहीं से होती है
चंद्रयान- 2 क्या है –
चंद्रयान- 2 GSLV Mark ।।। रॉकेट ISRO के मुताबिक इस मिशन की कुल लागत 1000 करोड़ रुपये है जिसमें उपग्रह से जुड़ी लागत लगभग 603 करोड़ रुपये है वहीं GSLV Mark ।।। की लागत लगभग 375 करोड़ रुपये है। चंद्रयान- 2 का कुल वजन लगभग 3.8 टन है जो कि 8 वयस्क हाथियों के वजन के बराबर होता है
चंद्रयान- 2 का मकशद चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचना लेकिन ये सीधा जाकर चाँद पर गिरेगा नहीं बल्कि वहाँ पर जाकर Soft Landing करेगा यानी धीमें-धीमें उतरेगा भारत दुनिया का एक ऐसा चौथा मुल्क है जो चाँद पर Soft Landing करनें जा रहा है ये पहली बार हो रहा है कि कोई मुल्क चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की तैयारी कर रहा है Landing के बाद चंद्रयान में से Rover निकलेगा यहाँ पर Rover का मतलब होता है कि एक ऐसा शक्श जो अपना समय घूमते हुए बिताता है चंद्रयान के संदर्भ में Rover का मतलब एक गाड़ी जिसे Remote के सहारे किसी दूसरे उपग्रह की सतह पर चलाया जा सके ISRO का Rover चाँद की सतह पर चलेगा और ढेर सारे प्रयोग करेगा और इन सभी प्रयोगों की जानकारी ISRO के वैज्ञानिकों तक पहुँचती रहेगी और आगे चलकर पूरी दुनिया को इसके बारे में पता चल सकेगा।
ये पूरा चंद्रयान जैसा ही धरती पर नजर आता है वो वैसे का वैसे पूरा चाँद पर नहीं जाता है इसके 14 हिस्से है अलग-अलग जो अपना अलग-अलग काम करतें हैं मोटेतौर पर इसे दो अलग-अलग हिस्सों में बांट सकते हैं पहला Launch Vehicle और दूसरा Payload Launch Vehicle जो कि एक बस की तरह काम करती हैं जो चंद्रयान को चाँद तक ले जायेगी इस बस का नाम Geosynchronous Satellite Launch Vehicle जिसे GSLV Mark ।।। है ये फिलहाल भारत का बहुत ही ताकतवर रॉकेट है इस देशी रॉकेट को बनाने में हमें लगभग 15 साल लगे और भविष्य में इसी रॉकेट को गगन यान अंतरिक्ष में गगन यान के साथ भारत अंतरिक्ष में इंसानों को भेजने की तैयारी कर रहा है चाँद तक के सफर में रॉकेट के अलग-अलग हिस्से , अलग-अलग वक्त काम में आएंगे रॉकेट के बाद जो बचता है उसे Payload कहते हैं Payload का मतलब सवारी , रॉकेट के सबसे ऊपर जो सफेद हिस्सा है वही असल में चंद्रयान- 2 है इसमें मोटेतौर पर दो हिस्से है पहला Orbiter जो कि पूरे मिशन में चाँद के चारों ओर चक्कर काटता रहेगा तथा धरती और Rover के बीच सम्पर्क बनाये रखेगा इस Orbiter हिस्से को छोड़कर जो हिस्से चाँद की ओर आगे बढ़ेगा उसे Lander कहते हैं चंद्रयान- 2 के Lander का नाम भारतीय Space Program के पिता विक्रम सारा भाई के नाम पर उनके सम्मान पर रखा गया है।
चंद्रयान- 2 एक बहुत ही ताकतवर उपग्रह है जिसे 15 जुलाई 2019 को आंध्र प्रदेश के श्री हरिकोटा ISRO द्वारा Launch किया गया था चंद्रयान- 2 को पृथ्वी की सतह पर सफलता पूर्वक उतरने की संभावना 7 सितंबर 2019 को है ISRO एक Indian Space Research Organisation है जो कि बैंगलोर में स्थित है।
चंद्रयान- 2 में तीन मॉड्यूल्स होते हैं।
Orbiter – यह चंद्रमा की सतह पर जाकर निरीक्षण करेगा Orbiter को चाँद से 100 KM ऊपर स्थापित किया जाएगा Orbiter में 8 Payloads , 3 Lander और 2 Rover होंगे ये चक्कर लगाते हुए Lander और Rover से प्राप्त जानकारी को ISRO Center पर भेजेगा और साथ ही ISRO से भेजे गये Commands को Lander और Rover तक पहुंचाए जाएगा इसे Hindustan Aronatics Limited ( HAL) ने बनाकर 2015 में ही ISRO को सौंप दिया था।
Lander (Vikram) – दूसरा है Lander जिसे Vikram विक्रम नाम दिया है विक्रम को चंद्रमा की सतह पर भारत की पहली सफल Landing के लिये Design किया गया है इसमें 4 Payloads है ये 15 दिनों तक वैज्ञानिक प्रयोग में रहेगा इसकी शुरुआती Design Space Application Center , ISRO अहमदाबाद में बनाया था आज इसे URSC , Banglore में विकसित किया गया रूस के मना करनें पर भी ISRO ने स्वदेशी Lander बनाया , ISRO द्वारा इस Lander का नाम ISRO के संस्थापक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है।
Rover (Pragyan) – तीसरा है Rover जो Artificial Intelligence से संचालित एक छ: पहियों का वाहन है इसका नाम Pragyan प्रज्ञान है जो कि संस्कृत के ज्ञान शब्द से लिया गया है यह एक रोबॉट है इसका वजन 27 KG तथा इस रोबॉट पर ही पूरे मिशन की जिम्मेदारी रहेगी इसमें 2 Payloads होंगे यह चाँद की सतह से करीब 400 मीटर की दूरी तय करेगा इस दौरान ये विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोग करेगा और फिर चाँद से प्राप्त जानकारी को विक्रम Lander पर भेजेगा तथा Lander वहां से Orbiter को Data भेजेगा और फिर Orbiter उसे ISRO के Center पर भेजेगा इस पूरी प्रक्रिया में करीब 15 मिनिट का समय लगेगा।
इन तीनों की अवधि और वजन-
ऑर्बिटर की अवधि एक साल तथा इसका वजन लगभग 2379kg है।
लैंडर(विक्रम) की अवधि 15 दिन तक तथा इसका वजन लगभग 1471kg है।
रोवर(प्रज्ञान) की अवधि 15 दिन तक तथा इसका वजन लगभग 27kg है।
ये तीनों मॉड्यूल्स कैसे काम करतें है इसके बारें में जानते हैं।
15 दिनों के बाद जैसे ही चंद्रयान पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलेगा इस दौरान चंद्रयान- 2 से रॉकेट अलग हो जाएगा और फिर 5 दिनों के बाद चंद्रयान- 2 चाँद की कक्षा में पहुँचेगा इसके बाद Landing की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी और चंद्रयान- 2 में Lander Vikram और Rover Pragyan चंद्रमा तक जाएंगे तथा चाँद की सतह पर उतरने के 4 दिन पहले Lander उतरने वाली जगह का मुआयना शुरू कर देगा और इसके बाद Lander यान से अलग होगा और सतह के और नजदीक पहुंचेगा और उतरने वाली सतह को Scan करना शुरू करेगा और फिर Landing शुरू होगी Landing के बाद Vikram नामक Lander का दरवाजा खुलेगा उसमें से Rover Pragyan बाहर निकलेगा और रोवर के निकलने में करीब 4 घण्टे का समय लगेगा फिर ये वैज्ञानिकों के परीक्षण के लिये चाँद के सतह पर निकल जायेगा Rover में 2 Payloads है जिनसे हमें चंद्रमा की सतह के बारें में और ज्यादा जानकारी मिल सकेगी।
Orbiter का मिशन कार्यकाल 1 साल का होता होगा जबकि Lander और Rover का कार्यकाल चंद्रमा के 1 दिन यानी कि पृथ्वी के 14 दिन के बराबर का होगा ISRO के माध्यम से हमें ये जानकारी भी मिली की अभी तक चंद्रमा की सतह पर Soft Landing के कुल 48 प्रयास किये गये जिनमें 52% मौकों पर सफलता मिली है ISRO को उम्मीद है कि 6 सितंबर तक चंद्रमा की सतह तक Soft Landing हो जाएगी।
चंद्रयान- 2 का मुख्य उद्देश्य –
चंद्रयान- 2 लॉन्च करनें का मुख्य कारण चंद्रमा की सतह में मौजूद तत्वों का अध्ययन करना और यह पता लगाना कि वहां कि चट्टान और मिट्टी से मैग्नीशियम और कैल्शियम , लोहे जैसे खनिजों को खोजने का प्रयास करना और वहाँ पर मौजूद खाइयों और चोटियों की संरचना का अध्ययन करना तथा चंद्रमा की सतह का घनत्व और उसमें होने वाले परिवर्तन का अध्ययन करना और ध्रुवों के पास की तापीय गुणों और चंद्रमा के Lonosphere में Electrons की मात्रा का अध्ययन करना तथा चंद्रमा की सतह पर Water , Hydroxyl के निशान ढूंढने के अलावा चंद्रमा के सतह की 3D Pictures लेना और साथ ही वहाँ पर पानी होने के संकेतों को भी तलाशना और चाँद की चाँद की बाहरी परत की जाँच करना।
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