रक्त में पाई जाने वाली कणिकाओं का विस्तृत अध्ययन जिनमे लाल रक्त कणिकाएँ ( Erythrocytes ), श्वेत रक्त कणिकाएँ (Leucocytes) एवं बिम्बाणु (Thrombocyte)
रक्त में तीन प्रकार की कणिकाएं पाई जाती हैं|
- लाल रक्त कणिकाएँ
- श्वेत रक्त कणिकाएँ
- बिम्बाणु
लाल रक्त कणिकाएँ | Erythrocytes
इसे लाल रक्त कणिका के नाम से भी कहते है लाल कणिकाएँ रक्त या लहू में पायीं जाने वाले कणिकाएं होती हैं जो सबसे अधिक मात्रा में पायीं जाती है जो आकार में दोनों तरफ से अवतल होती हैं तथा इनकी संख्या एक क्यूबिक मिलीमीटर में लगभग 500000 के आसपास होती है इनका रंग पीला होता है किन्तु हीमोग्लोबिन के कारण यह लाल रंग की दिखाई देती है लाल रक्त कणिकाओं का निर्माण विशेष प्रकार की प्रोटीन, लोहा और अमीनो एसिड से मिलकर होता है|
इसलिए यह लोहा लाल रक्त कणिका में उपस्थित रहकर गर्भवती महिलाओं तथा बालिकाओं में रक्त की कमी को पूरा करने में सहायक होता है लाल रक्त कणिकाओं का निर्माण मोटी तथा बड़ी हड्डियों में पाए जाने वाले अस्थि मज्जा नामक स्थान से होता है|
लाल रक्त कणिकाएँ 120 दिन के आस पास ही जीवित रहती है इसके बाद ये यकृत तथा प्लीहा मैं नष्ट हो जाती जिनसे मुक्त हुआ आयरन तथा प्रोटीन ऊतकों द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है तथा हीमोग्लोबिन अमीनो एसिड्स्टो में तथा बिलरुबिन मे बदल जाता है|
Heamoglobin (हीमोग्लोबिन )
हिमोग्लोबिन को हम श्वशन वर्णक भी कहते हैं कियोकि यह श्वशन मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है हीमोग्लोबिन दो भागों से मिलकर बना होता है हीम जिसका अर्थ है लोहा और दूसरा ग्लोबिन जो एक प्रोटीन है इस प्रकार पता चलता है की हीमोग्लोबिन लोहा और प्रोटीन से मिलकर बना होता है इसके पास विशेष प्रकार का बल पाया जाता है जिससे यह ऑक्सीजन को बांध लेता है तथा फिर इसे ऑक्सिहीमोग्लोबिन कहते हैं इसलिए हीमोग्लोबिन का काम ऑक्सीजन को फेफड़ों से शरीर के विभिन्न भागों तक ले जाना है हीमोग्लोबिन एक स्वस्थ व्यक्ति मे लगफग 100ml रक्त मे 15ग्राम पाया जाता है|
श्वेत रक्त कणिका | Leucocytes
Leucocytes इसे श्वेत रक्त कणिका भी कहा जाता हैं जो रंग में सफेद होती हैं इनका आकर लाल रक्त कणिका से बड़ा किंतु यह मात्रा में लाल रक्त कणिकाओं से कम होती हैं लगभग 1 क्यूबिक एमएम रक्त में 8000 के आसपास पाई जाती हैं श्वेत रक्त कणिकाओं को अध्ययन की दृष्टि से दो भागों में बांट सकते हैं|
Granulocyte | ग्रेन्यूलोसाइट
ये वे श्वेत रक्त कणिकाएं होती हैं जिनके जीवद्रव्य मे छोटे-छोटे से ग्रेन्यूल्स (कण) पाए जाते हैं इसलिए इन्हें ग्रेन्यूलोसाइट भी कहते हैं तथा इनमें पाया जाने वाला केन्द्रक कई पालियों में विभाजित होता है रक्त में ग्रेन्यूलोसाइट की कमी से ग्रेन्यूलोसाइटोपेनिया नामक रोग हो जाता है|
ग्रेन्यूलोसाइट भी तीन प्रकार की कोशिकाएं होती हैं|
Neutrophil (न्यूट्रोफिल )श्वेत रक्त कणिकाओं में न्यूट्रोफिल ही सबसे अधिक मात्रा में पाई जाने वाली रक्त कणिकाएँ होती हैं इन्हे सूक्ष्मदर्शी में देखने पर पर्पल रंग की दिखाई देती हैं इनका केन्द्रक तीन से चार पालियों मे बटा रहता है |
Eosinophil (इसिनोफिल) यह वे रक्त कणिकाएँ होती हैं जो सबसे कम मात्रा में ही पाई जाती हैं इन्हें इओसिन नामक रंग से रंगने पर सूक्ष्मदर्शी से देखने पर लाल रंग की नजर आती है |
Basophil (बसोफिल ) ये रक्त कणिकाएँ भी कम मात्रा में ही पाई जाती हैं और इन्हें क्षारीय रंग से रंगने पर सूक्ष्मदर्शी में नीले रंग की दिखाई देती है|
Agranulocyte
Agranulocyte (अग्रेन्यूलोसाइट ) वे कोशिकाएं जिनके जीवद्रव्य मे छोटे -छोटे ग्रेन्यूल्स (कण) नहीं पाए जाते यह भी दो प्रकार की होती हैं|
Limphocyte (लिंफोसाइट) वे कणिकाएं होती हैं जिनका विकास प्लीहा. लिम्फ और अस्थिमज्जा में होता है ये समस्त श्वेत रक्त कणिकाओं की 25% के आसपास पाई जाती हैं|
Monocyte (मोनोसाइट ) ये कम ही मात्रा में पायी जाती है इनके अंदर जीवाणुओं को खाने की प्रक्रिया होती जिसे फेगोसाइटोसिस कहते है |
बिम्बाणु | Thrombocyte
Thrombocyte (प्लेटलेट्स) यह रक्त में पाई जाने वाली तीसरे प्रकार की छोटी-छोटी रक्त कणिकाएँ है जिनको बिम्बाणु कहते है ये आकार में लाल रक्त कणिका तथा श्वेत रक्त कणिका से भी छोटी होती हैं और क्यूबिक मिलीमीटर मे 300000 के आसपास पाई जाती हैं इनका मुख्य काम रक्त का थक्का जमाना होता है|
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