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धारामापी क्या है ? इसके प्रकार और सुग्राहिता

April 28, 2021 by Er. Mahendra Leave a Comment

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धारामापी क्या है ? इसके प्रकार और सुग्राहिता

धारामापी क्या है ? इसके प्रकार और सुग्राहिता

धारामापी

आज के इस टॉपिक में हम धारामापी ( Galvanometer )  के बारे में विस्तार से समझेंगे जिसमे हम देखेंगे की यह क्या होती है और इसकी संरचना किस प्रकार की होती है साथ ही साथ हम यह भी समझेंगे की इसके कितने प्रकार होते है और इसकी सुग्राहिता क्या होती है इसे भी समझेंगे तथा इसकी सुग्राहिता को प्रभावित करने वाले कारक और इसके महत्वपूर्ण उपयोग क्या है इन सभी बिन्दुओं को हम एक – एक करके समझेंगे तो चलिए शुरुआत  करते है की धारामापी क्या है –

धारामापी विद्युत धारा को मापने का एक यंत्र होता है जिसका उपयोग करके किसी विद्युत परिपथ के अन्दर या फिर किसी डिवाइस के लिए विद्युत धारा का मापन किया जाता है इसका उपयोग करके किसी विद्युत परिपथ में अल्प विद्युत धारा का मापन भी किया जाता है इसलिए इसे धारामापी कहा जाता है |

धारामापी इस सिद्धांत पर वर्क करती है की जब भी किसी मैग्नेटिक फील्ड के अन्दर किसी करंट Sustaining Coil को रखा जाता है तो ये Coil एक Torque का अनुभव करती है यही इसका सिद्धांत  होता है जिसे और भी विस्तार से इस प्रकार समझा जा सकता है की –

जब भी किसी एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में किसी कुंडली को रखा जाता है तथा अगर इस कुंडली में विद्युत धारा प्रवाहित की जाए तो इस कुंडली पर एक बल आघूर्ण कार्य करने लगता है और इस बल आघूर्ण का मान इस कुंडली में प्रवाहित विद्युत धारा के मान पर निर्भर करता है जितनी ज्यादा विद्युत धारा प्रवाहित की जाएगी अर्थात विद्युत धारा का परिमाण जितना अधिक होगा बल आघूर्ण का मान भी उतना ही अधिक होगा यही इस धारामापी का सिद्धांत होता है | अब हम धारामापी के प्रकार को समझते है |

धारामापी के प्रकार

अगर हम इसके प्रकार की बात करे तो धारामापी मुख्य रुप से दो प्रकार की होती है जिसे निचे समझाया गया है –

1 . चल कुंडली धारामापी

2 . चल चुम्बक धारामापी

जिसमे से चल कुंडली धारामापी के भी दो प्रकार है जो की इस प्रकार है जिनमे पहला है निलम्बित कुंडली धारामापी तथा दूसरा है किलकित कुंडली धारामापी जिनको हम विस्तार से किसी अन्य टॉपिक में समझेंगे आज हम इस टॉपिक में इनके बारे में विस्तार से बात नहीं करेंगे | अब इसके बाद हम धारामापी की सुग्राहिता को समझेंगे की इसकी सुग्राहिता क्या होती है |

धारामापी की सुग्राहिता

धारामापी की सुग्राहिता का मतलब होता है इसकी गुणवत्ता से अर्थात जितनी अच्छी इसकी सुग्राहिता होगी उतनी ही अच्छी इसकी गुणवता भी होगी और गुणवता की पहचान करने के लिए इसमें इसकी कुंडली के अन्दर अल्प धारा प्रवाहित की जाती है और अगर इस अल्प धारा का मान इस धारा मापी के अन्दर अच्छा विक्षेप उत्पन्न कर देता है और उसका मान बता देता है तो इससे पता चलता है की यह अच्छी गुणवता और अच्छी सुग्राहिता वाला यंत्र है |

लेकिन अगर इसकी सुग्राहिता का मापन गणितीय रूप में करना हो तो उसके लिए इसका मापन कुंडली में प्रति एकांक धारा के लिए उत्पन्न विक्षेप के आधार पर किया जाता है जिसको Ampere में मापा जा सकता है तथा इसके लिए हमें पता है की इसके लिए धारा का मान इस प्रकार ज्ञात किया जा सकता है –

 I = Cϴ / n AB = kϴ

लेकिन हम जानते है की धारामापी की सुग्राहिता का मान इस प्रकार होता है –

SI = ϴ / I  =  n AB / C = 1/k

जहाँ SI  सुग्राहिता है धारा सुग्राहिता के नाम से भी जाना जाता है

इसके लिए वोल्टता सुग्राहिता का मापन भी किया जा सकता इसके लिए अगर कुंडली के सिरों पर वोल्टेज V है तो  ϴ / V वोल्टता सुग्राहिता कहा जाता है जिसका मान इस प्रकार होता है –

वोल्टेज सुग्राहिता = n AB / CR 

जहाँ R कुंडली का प्रतिरोध है

इस प्रकार इसकी सुग्राहिता का मापन किया जाता है जिसमे धारा सुग्राहिता और वोल्टता सुग्राहिता शामिल है |

इस सूत्रों और इस निष्कर्ष के आधार पर अब हम यह समझते है की  वो कोन – कोन से कारक होते है जो  इसकी सुग्राहिता को प्रभावित करते है |

धारामापी की सुग्राहिता को प्रभावित करने वाले कारक

इसकी सुग्राहिता को निम्नलिखित कारक प्रभावित करते है –

1 . कुंडली का क्षेत्रफल – इसकी कुंडली का क्षेत्रफल अधिक होना चाहिए परन्तु साथ ही साथ ज्यादा अधिक क्षेत्रफल आकार भी बड़ा देता है |

2 . कुंडली का चुम्बकीय क्षेत्र – कुंडली का चुम्बकीय क्षेत्र अधिक होना चाहिए और चुम्बकीय क्षेत्र को बड़ाने के लिए दो तरीके होते है  पहला यह की इसके लिए शक्तिशाली चुम्बक का उपयोग करना चाहिए तथा दूसरा यह की इसके लिए कुंडली में आयरन Core का उपयोग करना चाहिए |

3 . C का मान – C का मान कम होना चाहिए और इसके लिए लम्बे तार का उपयोग करना चाहिए जिसका Cross Section Area का मान कम हो ऐसे तार का उपयोग करना चाहिए |

4 . कुंडली में फेरों की संख्या – कुंडली में फेरों की संख्या अर्थात N का मान अधिक होना चाहिए लेकिन साथ ही साथ फेरों की संख्या बहुत ज्यादा करे से कुंडली का Weight भी बड जाता है |

ये वे मुख्य कारक होते है जो इसकी सुग्राहिता को प्रभावित करते है | अब हम इसके उपयोग को समझते है |

धारामापी के उपयोग

अगर हम इसके उपयोग की बात करे तो इसका उपयोग किसी विद्युत परिपथ या किसी डिवाइस के लिए विद्युत धारा को मापने में किया जाता है और इसके अलावा इसका उपयोग करके अमीटर और वोल्टमीटर भी बनाए जाते है जिसके लिए इसका रूपांतरण अमीटर और वोल्टमीटर के रूप में किया जाता है | इस प्रकार इसके कुछ महत्वपूर्ण उपयोग होते है |   

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Filed Under: धारा के चुम्बकीय प्रभाव और चुम्बकत्व, मापन के यन्त्र Tagged With: धारामापी

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