आज के इस आर्टिकल मे हम ठोसो के चुम्बकीय गुणो के बारे मे विस्तार से जानेंगे की अनु चुम्बकीय, प्रति चुम्बकीय, लौह चुम्बकीय, प्रतिलौहचुम्बत्व, फेरीचुम्बत्व क्या होते है तो चलिए इन्हे हम एक-एक इनको समझते है
ठोसो मे चुम्बकीय गुण ( Magnetic properties in solids) –
प्रत्येक इलेक्ट्रॉन का अपना एक निश्चित चुंबकीय होता आघूर्ण होता है यह चुम्बकीय आघूर्ण परमाणु मे दो करणो से उत्पन्न होता है जिनमे पहला इलेक्ट्रॉनों की नाभिक के चारों ओर कक्षीय गति के कारण और दूसरा अपने अक्ष पर इलेक्ट्रॉनों का चक्रण के कारण जिस से हर इलेक्ट्रॉन एक छोटे चुम्बक की तरह व्यवहार करता है
पदार्थों को उनके चुंबक के गुणों के आधार पर 5 भागों में बांटा गया है-
- अनुचुम्बकीय
- प्रतिचुम्बकीय
- लौहचुम्बकीय/फेरो चुम्बत्व
- प्रतिलौहचुम्बत्व/ विपरीत फेरोचुम्बत्व
- फेरीचुम्बत्व
अनुचुम्बकीय (paramagnetism) –
वे पदार्थ जिनको चुम्बकीय क्षेत्र मे रखने पर चुम्बकीय बल रेखाओ को अपनी तरफ खीचते ( आकर्षित) करते है अनु चुम्बकीय कहते है था इस गुण को अनुचुम्बत्व कहते है
उदाहरण – TiO, CuO, O₂
- इन पदार्थों के परमाणुओ कि कक्षाएं पूर्ण रूप से नहीं भरी होती है अतः इनमे अयुग्मित इलेक्ट्रॉन पाए जाते हैं
- इनका चुंबकीय आघूर्ण चुंबकीय क्षेत्र की दिशा की ओर होता है
- इन पदार्थों की चुंबकीय प्रवृत्ति ताप पर निर्भर करती हैं
- इन पदार्थों की चुंबकीय प्रवृत्ति ताप के व्युत्क्रमानुपाती होती है
- इनकी चुंबकीय प्रवृत्ति का मान धनात्मक होता है
- इन पदार्थों की चुंबकीय पारगम्यता का मान एक से ज्यादा वह धनात्मक होता है
प्रतिचुम्बकीय (Diamagnetism) –
वे पदार्थ जिनको चुम्बकीय क्षेत्र मे रखने पर ये चुम्बकीय बल रेखाओ को प्रतिकर्षित करती है प्रति चुम्बकीय पदार्थ कहलाते है ये पदार्थ चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता को निर्वात की तुलना में कम कर देते है
उदाहरण – H₂O, H₆, NaCL
- यह पदार्थ चुंबकीय क्षेत्र को प्रतिकर्षित करते है
- इन पदार्थों की परमाणु कक्षाए पूर्णता भरी होती है अतः इनमे युग्मित इलेक्ट्रॉन पाए जाते हैं
- इन पदार्थों में उत्पन्न चुंबकीय आघूर्ण बहुत कम होता है वह चुंबकीय क्षेत्र की विपरीत दिशा में होता है
- इन पदार्थों की चुंबकीय प्रवृत्ति का मान बहुत कम होता है
- इन पदार्थों की चुंबक के परग मेहता का मान एक से कम परंतु धनात्मक होता है
लौहचुम्बकीय ( Ferromagnetism) –
यह अनुचुम्बत्व का ही व्यापक रूप होता है इनमे अनुचुम्बत्व का गुण बहुत अधिक पाया जाता है इन पदार्थों को चुम्बकीय क्षेत्र मे रखने पर ये चुम्बकीय बल रेखाओ को अत्यधिक आकर्षित करते है था चुम्बकीय क्षेत्र को हटा लेने के बाद भी इनमे चुम्बकीय गुण स्थायी रूप से आ जाता है
जब लौह चुम्बकीय पदार्थों को गर्म किया जाता है तो एक ताप ऐसा आता है जिस पर लौह चुम्बकीय पदार्थ अनु चुम्बकीय पदार्थों मे बदल जाता है और इस ताप को क्युरि ताप कहते है
उदाहरण – Co, Ni, CrO
- इन पदार्थों की परमाणुओ के कोश अपूर्ण होती है
- इन पदार्थों की चुंबकीय पारगम्यता बहुत अधिक व धनात्मक होती है
- इन पदार्थों की चुंबकीय प्रवृत्ति बहुत अधिक व धनात्मक होती है
- इन पदार्थों में स्वतः चुंबकीय आघूर्ण पाया जाता है
प्रतिलौहचुम्बत्व /विपरीत फेरो चुम्बत्व (Antiferro magnetism) –
इन पदार्थों का चुंबकीय आघूर्ण शुन्य होता है क्योकि प्रतिलौहचुम्बत्व पदार्थों मे परमाणुओ मे इलेक्ट्रोनो का स्पिन समांतिरत होने की जगह विपरीत हो जाता है जिस कारण पदार्थ का चुंबकीय आघूर्ण शुन्य हो जाता है
नील ताप (विपरीत फेरो चुम्बत्व ताप) पर गर्म करने पर ये पदार्थ अनुचुम्बकीय पदार्थ मे बदल जाते है
उदाहरण -MnO
नील ताप – वह ताप जिस पर प्रतिलौहचुम्बकिय अनुचुम्बकीय पदार्थ मे बदल जाते है नील ताप या विपरीत फेरो चुम्बत्व ताप कहलाता है
फेरीचुम्बत्व (Pyroelectricity) –
यह पदार्थों की लौहचुम्बकीय और प्रतिलौहचुम्बत्व के बीच की स्थिति होती है इनमे चुम्बकीय आघूर्ण एक दूसरे के विपरीत पाया जाता है जो एक दूसरे के चुम्बकीय आघूर्ण को नष्ट कर देते है परंतु पूर्णतः नष्ट नही कर पाते है अतः इनका कुछ चुम्बकीय आघूर्ण होता है
उदाहरण – M⁺² ,Fe₃O₄ ,Zn
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