आज के इस article मे हम ट्रेन के बारे मे चर्चा करेंगे की जो ट्रेन हम आज देखते है उसका क्या इतिहास रहा है ट्रेन का अविष्कार किसने किया, ट्रेन का आविष्कार कब किया गया भारत मे ट्रेन का इतिहास इन सब के बारे मे विस्तार से जानेंगे
ट्रेन –
ट्रेन दुनिया का यातायात का सबसे बड़ा व कम खर्चीला साधन है दुनिया मे करोडो यात्री यातायात के लिए ट्रेन का उपयोग करते है एक रिपोर्ट की मुताबिक भारत मे एक दिन मे 24 करोड़ लोग यात्रा के लिए ट्रेन का उपयोग करते है दुनिया मे 90% लोगो ने कभी ना तो कभी अपने जीवन मे ट्रेन की यात्रा की है
ट्रेन का अविष्कार –
वैसे तो ट्रेन का अविष्कार मे अनेक इंजीनियर व वैज्ञानिकों ने अपना सहयोग दिया है जिनमे प्रमुख रिचर्ड ट्रैवीथिक, मैथ्यू मुर्री, जॉर्ज स्टीफेंसन, ओलिवर एवन थे पर ट्रेन के अविष्कार का श्रेय जॉर्ज स्टीफेंसन को दिया जाता है इन्होंने पहली बार 27 सितम्बर 1825 मे भाप से चलने वाली ट्रेन का अविष्कार किया
ट्रेन का इतिहास –
ट्रेन का इतिहास 18 वी सदी की शुरुआत से प्रारंभ होता है सन् 1712 में थॉमस निकमन एक भाप के इंजन का आविष्कार किया जो उस समय विफल रहा सन् 1776 मे जेम्स वोल्ट नामक वैज्ञानिक ने निकमन के भाप इंजन सिद्धांत के आधार पर अनेक बदलाव करके भाप इंजन का आविष्कार किया भाप इंजन आने के बाद दुनिया में बहुत बड़ा बदलाव आया पहले जहां लोग बैल गाड़ी घोड़ा गाड़ी का उपयोग यातायात के लिए करते थे परंतु अब वैज्ञानिक एवं इंजीनियरों के मन में बिना जानवरों से चलने वाली गाड़ी बनाने का विचार आने लगा इस बीच अनेक वैज्ञानिक आए और उन्होंने ट्रेन के निर्माण के लिए अपना अपना सहयोग दिया
सन् 1769 मे फ्रांस की सेना में काम करने वाले एक इंजीनियर निकोलस भाप से चलने वाली एक गाड़ी का निर्माण किया यह दुनिया की पहली एक ऐसी गाड़ी थी जो बिना किसी जानवर की सहायता से चलती थी जब इस गाड़ी को स्टार्ट किया जाता था तो यह बहुत ज्यादा शोर करती थी व इसमे आग की चिंगरिया भी उठती थी यह लोगों द्वारा पसंद नहीं की गई क्योंकि यह बहुत ही खर्चीली थी
इसके बाद रिचर्ड ट्रैवीथिक जो एक मैकेनिकल इंजीनियर थे उन्होंने बाप इंजन पर बहुत अधिक अध्ययन किया इसके बाद उन्होंने काफी प्रयासों के बाद सन् 1801 में बाप से चलने वाली गाड़ी को बनाया जिसमें ऊपर की ओर चिमनी लगी हुई थी और बैठने के लिए यात्रियों के लिए विशेष जगह थी इनकी इस गाड़ी में आग लग गयी थी
रिचर्ड ट्रैवीथिक ने हार नहीं मानी और 1803 मे दूसरी बार भाप से चलने वाली गाड़ी बनाई जिसे उन्होंने कार्वनाल से लंदन की सड़क पर चलाया परंतु उनकी इस इस गाड़ी मे बहुत नुकसान हो गया इंजन को बुरी तरह क्षति पहुंची इसके बाद उन्होंने इस गाड़ी को पटरियों पर चलाने का निर्णय लिया जिससे गड्डी को क्षति ना पहुंचे रिचर्ड ने एक कंपनी के साथ मिलकर कार्वनाल से लंदन तक पटरिया बिछाई फिर 21 फरवरी 1804 में 25 टन लोहे एवं 75 व्यक्तियों की सवारी के साथ इस गाड़ी को 4 घंटे 5 मिनट तक चलाया गया यह पहली बार था जब इस गाड़ी से इतना अधिक वजन खींचा गया हो पर इस रेलगाड़ी के प्रोजेक्ट में किसी ने अपनी रुचि नहीं दिखाई इसलिए रिचर्ड ने इस प्रोजेक्ट को यहीं बंद कर दिया
सन् 1812 मे मैथ्यू मुरे ने रिचर्ड के द्वारा बनाई गई रेलगाड़ी में अनेक बदलाव की और उन्होंने अपनी द्वारा इस बनाई गई रेलगाड़ी को व्यापारिक काम के लिए उपयोग में लेने का निर्णय क्या उन्होंने इंग्लैंड के कई शहरों में रेल की पटरी बिछवाई लेकिन अभी तक रेलगाड़ी का प्रयोग केवल सामान ढोने के लिए ही किया जाता था
जॉर्ज स्टीफेंसन ने कोयले के इंजन वाली ट्रेन का निर्माण किया और पहले वाली ट्रेन मे अनेक बदलाव किये यह पहले वाली ट्रेनो से ज्यादा मजबूत थी इन्होंने ही ट्रेन को दुनिया के कई हिस्सो तक पहुचाया 27 सितंबर 1825 को 38 डिब्बो वाली ट्रेन को लंदन से stockton तक चलाया गया जिसमे 600 यात्री थे इस 37 mile दुरी को 14 mile/ hour की स्पीड से तय की गयी इसे ही विश्व की पहली ट्रेन माना जाता है
1912 मे स्विजरलैंड मे ट्रेन मे डीजल इंजन का उपयोग किया गया
भारत मे ट्रेन –
भारत मे पहली बार ट्रेन 16 अप्रैल 1853 मे कोरीबंदर से थाने के बीच 35 किलो मीटर चलायी गयी इसमे 20 डिब्बे लगे थे जिनमे करीब 400 यात्री यात्रा कर रहे थे इस ट्रेन को खीचने के लिए इंग्लैंड से 3 इंजन मंगवाए गए जिनके नाम सुल्तान , साहिब व सिंधु थे भारत में शुरुआती दौर में रेलगाड़ियों का उपयोग केवल सामान ढोने के लिए किया जाता था 1845 मे कोलकाता में ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रले नामक कंपनी को स्थापित किया गया जिसने भारत में पटरिया बिछाने का कार्य किया पटरिया बिछाने के कार्य में अनेक बाधा आई परंतु ब्रिटिश सरकार ने उनका शक्ति से दमन किया उस समय अनेक स्थानों पर रेल की पटरिया बिछाने पर आंदोलन किए गए थे 1856 मे भारत मे ट्रेन इंजन बनाये जाने लगे थे और समय के साथ देखते देखते ट्रेन नेटवर्क पुरे देश मे फैल गया आज भारतीय ट्रेन नेटवर्क दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क यह भारत में करीब 15 लाख से अधिक नौकरिया देता है
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