क्लोराइड विलियन –
परिभाषा
ऐसा विषमांग तंत्र जिनमे कणों का आकार 1 नेनोमीटर (nm) से 1000 nm के मध्य होता है क्लोराइड विलयन कहलाता है। क्लोराइड विलयन में कणों का आकार बड़ा होता है इन्हें क्लोराइड कण कहा जाता है।
उदाहरण
- वायुमंडल में उपस्थित धूल मिट्टी के कण हवा के साथ मिलकर क्लोराइड विलयन बनाते हैं और यह क्लोराइड कण प्रकाश के नीले रंग का प्रकीर्णन करते हैं जिससे हमें आकाश का रंग नीला दिखाई देता है। दूध, मक्खन, फलों का रस व आइसक्रीम इनकी प्रकृति क्लोराइड होती है।
- द्रवरागी क्लोराइड
वह क्लोराइड विलयन जिसमें उपस्थित परिक्षिप्त प्रावस्था व परिक्षेपण माध्यम के बीच तेज आकर्षण बल पाया जाता हो तो इन क्लोराइड विलयन को द्रव स्नेही या द्रव रागी कोलाइड कहते है।
उदाहरण
स्टार्च , जिलेटिन आदि।
मिश्रण –
क्लोराइड एक विषमांगी (Heterogeneous)मिश्रण है क्लोराइड के कण बहुत बड़े होते हैं वे प्रकाश को फैला देते हैं जिससे प्रकाश का मार्ग दृष्टिगोचर हो जाता है क्लोराइड विलयन को शांत छोड़ देने पर इसके कण नीचे नहीं बैठते हैं मतलब ये एक जगह ही होते है
प्रकार –
ये दो प्रकार के होते है
(1) दर्व रागी क्लोराइड या
वे पदार्थ जिन्हे उपयुक्त परीक्षेपण माध्यम में मिश्रित करने पर आसानी से क्लोराइड विलयन बना लेते है उन्हें द्रव रागी क्लोराइड कहते है।
(2) दर्व स्नेही
निलंबन –
समांगी व विषमांगी मिश्रणों के मध्य के गुण वाला एक मिश्रण जिसके कण विलयन में समान तरह से फैले होते हैं, क्लोराइड विलयन कहलाता है। क्लोराइड विलयन के कण निलंबन के कणों की बजाय आकार में छोटे होने के कारण यह समांगी मिश्रण दिखता है परंतु यह एक विषमांगी मिश्रण होता है।
आकार –
ये 1 नेनो मीटर से भी कम होते है
ये सुक्षमदर्शी से भी नही देखे जा सकते है
पेप्टीकरण
इस विधि में जिस पदार्थ का क्लोराइड विलयन बनाना होता है उसका ताजा अवक्षेप लेकर उचित बिजली अपघट्य की मदद से क्लोराइड विलयन में बदला जाता है। यही परक्रिया पेप्टीकरण कहलाता है। बिजली अपघट्य बहुधा समान आयन वाले बिजली अपघट्य का तनु विलयन होता है जिसे पेप्टीकरण कहते है
Leave a Reply