एयरोस्पेस इंजीनियरिंग क्या है ? इसमें करियर के बारे में बताइये
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग भी इंजीनियरिंग की एक ब्राँच होती है जो की चार साल का कोर्स होता है जिसमे स्पेस में चलने वाले विमान जेसे की Rocket , स्पेसक्राफ्ट , एयरक्राफ्ट , मिसाइल , तथा कई तरह के लड़ाकू विमान आदि को बनाना सिखाया जाता है | लेकिन इनको बनाना इतना आसान नही होता है सबसे पहले इनकी डिज़ाइन को तेयार किया जाता है फिर डेवलपमेंट और इसके बाद इसकि टेस्टिंग करके फिर इसका प्रोडक्शन किया जाता है | इस प्रकार कई सारी प्रोसेस से होकर गुजरना होता है और इस प्रकार एक एयरोस्पेस इंजिनियर डिजाइनिंग , कंस्ट्रक्शन , डेवलपमेंट , टेस्टिंग , मेंटेनेंस का काम देखता है इसके लिए बहुत सारी नॉलेज होनी चाहिए | तो अब हम समझते है की एक एयरोस्पेस इंजिनियर बनने के लिए क्या प्रोसेस होती है और कोन कोन से सब्जेक्ट अच्छे से आने चाहिए
इसके लिए जो फाउंडेशन कोर्स होते है उनमे मैकेनिक्स , सॉलिड मैकेनिक्स , Fluid मैकेनिक्स , Thermodynamics, Heat ट्रान्सफर , तथा Material साइंस प्रमुख होते है |
एयरोस्पेस इंजिनियर बनने का प्रोसेस
एयरोस्पेस इंजिनियर बनने के लिए सबसे पहले तो 12 th क्लास फिजिक्स , केमिस्ट्री , तथा मैथ्स में कम्पलीट करना होता हे उसके बाद इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश लेने के लिए जो Entrance Exam होता है जो की दो फेज में होता है पहले JEE MAIN एग्जाम होता है और जो इसको क्लियर कर लेते है उनके लिए इसके बाद JEE ADVANCE एग्जाम होता है दोनों को अच्छी रैंक से क्लियर करने के बाद अच्छे कॉलेज मिलते है | या फिर इसके अलावा भी कुछ कॉलेज या युनिवर्सिटी होते है जिनमे अगर एडमिशन लेना चाहे तो उनका खुद का एंट्रेंस एग्जाम क्लियर करके एडमिशन लिया जा सकता है फिर वहां पर चार साल का कोर्स कम्पलीट करने के बाद एयरोस्पेस इंजिनियर बनते है इन कॉलेज में से कुछ प्रमुख इस प्रकार है
1. IIT Bombay
2. IIT kharagpur
3. IIT कानपूर
4. Hindustan University
5. Indian Institute of Science
6. IIT Hyderabad
7. Amity यूनिवर्सिटी
8. VIT यूनिवर्सिटी भोपाल
9. BMS इंजीनियरिंग कॉलेज Banglore
10. MIT ADTU PUNE
आदि | इनके अलावा भी बहुत से कॉलेज हे जो एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की डीग्री करवाते है |
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रकार
अगर हम एयरोस्पेस इंजिनियर की बात करे तो ये दो तरह के हों सकते हैं जिनमे से एक होता हे एयरोनॉटिकल इंजिनियर एव दुसरा होता हे एस्ट्रोनॉटिकल इंजिनियर अब हम इन दोनों के बारे में समझते हे
एयरोनॉटिकल इंजिनियर
ये वे इंजिनियर होते हे जो एयर क्राफ्ट की फील्ड में काम करते हे ये प्राथमिक रुप से एयर क्राफ्ट की डिजाइनिंग करना तथा उनकी एयरोडायनामिक परफॉरमेंस को चेक करने का तथा उनको बनाने के लिए किस प्रकार के Material का उपयोग किया जाए इस बात का पता लगाते हे | इसके अलावा ये एयरक्राफ्ट की Theory तथा उनकी टेक्नोलॉजी की स्टडी भी करते है इनका वर्क एरिया Earth के Atmosphere तक होता हे |
एस्ट्रोनॉटिकल इंजिनियर
ये वे इंजिनियर होते हे जो स्पेस क्राफ्ट की फील्ड में काम करते हे ये स्पेस क्राफ्ट टेक्नोलॉजी एव साइंस पर वर्क करते हे की किस प्रकार एक स्पेस क्राफ्ट Earth की Atmosphere में तथा उसके आउटसाइड परफॉर्म करता हे ये उसकी स्टडी करते हे इस प्रकार ये सैटेलाइट्स पर वर्क करते हे जो छोटे तथा बड़े सैटेलाइट्स दोनों प्रकार के होते हे | इनका वर्क एरिया सिर्फ Earth के Atmosphere तक सिमित न रहकर आउटसाइड तक होता हे
इस प्रकार हमने देखा की किस प्रकार एयरोनॉटिकल इंजिनियर तथा एस्ट्रोनॉटिकल इंजिनियर अलग अलग Environment में काम करते हे एयर क्राफ्ट तथा स्पेस क्राफ्ट की फील्ड में पर उनका जो Basic Common एरिया होता हे वो फिजिक्स पर ही आधारित होता हे जो की एयर क्राफ्ट तथा स्पेस क्राफ्ट की डिजाइनिंग के लिए उपयोग होता हे |
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के विषय
अब हम बात करेंगे की इस इंजीनियरिंग के दोरान कोन कोन से विषय पड़ाए जाते हे जिनमे से कुछ प्रमुख इस प्रकार हे
1. Aerodynamics
2. एयरक्राफ्ट डिजाईन
3. एयरक्राफ्ट प्रोपल्शन
4. एयरोस्पेस प्रोपल्शन
5. एयरोस्पेस स्ट्रक्चरल मैकेनिक्स
6. फ्लाइट मैकेनिक्स
7. Thermodynamics and प्रोपल्शन
8. Introduction to एयरोस्पेस इंजीनियरिंग
9. Spaceflight मैकेनिक्स
10. Incompressible Fluid मैकेनिक्स
आदि ये वे मुख्य विषय होते हे जो इस डिग्री में पड़ाए जाते हे इनके अलावा भी कुछ बेसिक सब्जेक्ट होते हे जिनको भी समझाया जाता हे जो मैकेनिक्स , सॉलिड मैकेनिक्स , Fluid मैकेनिक्स , Thermodynamics, Heat ट्रान्सफर , तथा Material साइंस , गैस डायनामिक्स , Theory of Machines , Manufacturing प्रोसेस , आटोमेटिक Control , आदि के बारे में भी पडाया जाता हे |
करियर
अगर हम एक एयरोस्पेस इंजिनियर की बात करे तो वो डेवलपमेंट और रिसर्च दोनों ही फील्ड में अपना करियर बना सकता हे जेसे की वह किसी इंडस्ट्री में जाकर एयरक्राफ्ट या फिर मिसाइल की Mantenance का काम , एयरक्राफ्ट डिजाइनिंग का काम , एक एविएशन इंजिनियर के तोर पे काम कर सकता हे इसके अलावा कुछ आर्गेनाइजेशन होते हे जो एक एयरोस्पेस इंजिनियर के लिए Opportunity उपलब्ध करवाते हे इनमे सरकारी तथा प्राइवेट दोनों तरह के होते हे जिनमे से कुछ प्रमुख इस प्रकार हे
1. विक्रम साराभाई स्पेस सेन्टर , Trivandrum
2. ISRO Satellite Center Banglore
3. सतीश धवन स्पेस सेन्टर Shar
4. ISRO Satellite ट्रैकिंग सेन्टर Banglore
5. नेशनल एयरोस्पेस लैबोरेट्रीज ( NAL )
6. हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड ( HAL )
7. स्पेस एप्लीकेशन सेन्टर अहमदाबाद
8. लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेन्टर Banglore
9. डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन ( DRDO )
10. L&T
11. महिंद्रा एयरोस्पेस
12. पवन हंस हेलीकाप्टर
13. तनेजा एयरोस्पेस
etc
ये कुछ टॉप के आर्गेनाइजेशन होते हे इनके अलावा कुछ एसी कंपनिया जो मैकेनिकल सिस्टम की डिजाईन और डेवलपमेंट करते हे तथा कुछ एसी कंपनी जो एयरोस्पेस सिस्टम के लिए Instrument बनाती हे उनमे भी एयरोस्पेस इंजिनियर के लिए अच्छा करियर होता हे |
एयरोस्पेस इंजिनियर के कर्त्तव्य
अब हम बात करते हे की एक एयरोस्पेस इंजिनियर के क्या क्या कर्त्तव्य होते हे जब किसी कंपनी या आर्गेनाइजेशन में एक एयरोस्पेस इंजिनियर काम कर रहा होता हे तो वही उस कंपनी के प्रोडक्ट के लिए भी जिम्मेदार होता हे तथा वही यह निर्धारित करता हे की
1. कंपनी के द्वारा बनाया गया प्रोडक्ट टेक्निकल तथा फाइनेंसियल रूप से Feasible हे
2. वही ये भी Ensure करता हे की उनके द्वारा बनाए गये प्रोजेक्ट जेसे की एयरक्राफ्ट एव उसके सभी पार्ट पूरी तरह से सेफ हे
3. जब कोई प्रोडक्ट कही डैमेज होता हे तो उसके लिए सही Solution निकालना भी इसी इंजिनियर की जिम्मेदारी होती हे
4. ये डिफेन्स सिस्टम के लिए नयी टेक्नोलॉजी के निर्माण का काम भी करते हे
5. ये इंजिनियर इस बात के लिए भी Ensure करते हे की इनके द्वारा बनाया गया प्रोडक्ट पूरी तरह से इंजीनियरिंग प्रिन्सिपल पर आधारित हे तथा ते Costumer की सभी Requirement को पूरा करेंगे तथा वातावरण के अनुकूल होंगे |
Leave a Reply