ROM क्या है या किसे कहते है इसका पूरा नाम और यह कैसे काम करती है इसके प्रकार PROM,EROM,EEROM तथा इनकी विशेषताएं लाभ और हानियाँ सब इस page पर है
ROM का पूरा नाम Read Only Memory है यह ऐसी मेमोरी है जिसे केवल read किया जा सकता है हटाया नहीं जा सकता इसका प्रयोग हम मोबाइल या कंप्यूटर में multimedia ऑडियो, वीडियो, pictures, और अनेक प्रकार के application और हमारे important data फाइल्स को स्टोर करने के लिए किया जाता हैं यदि हमारे पास ज्यादा data है तो उसके लिए हम अलग से external device जैसे pendrive , memory card, हार्डडिस्क, आदि लगा सकते हैं और data को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जा सकते हैं read only memory में केवल एक बार प्रोग्रामिंग होने के बाद उसे सिर्फ read किया जा सकता है उसमें कोई बदलाव या प्रोग्रामिंग change नहीं कर सकते हैं
इसका एक और महत्वपूर्ण कार्य ये है कि जब कभी कंप्यूटर या मोबाइल का उपयोग करते समय अचानक से power supply बंद हो जाने से इसका डाटा गायब नहीं होता हैं ROM हमारे डाटा को permanent या लाइफटाइम स्टोर करके रख सकते हैं
इसे permanent storage device भी कहा जाता है यह एक नॉन वोलेटाइल मेमोरी हैं जिससे कि कंप्यूटर के बंद होने से भी हमारा डाटा सुरक्षित और एक लंबे समय तक बना रहता है। ROM में सिर्फ डाटा को read किया जाता है अगर हम चाहें तो इसमें नया कोई डाटा add करना चाहें तो ये नहीं हो सकता हैं क्योंकि इसमें developers या प्रोग्रामर द्वारा एक ही बार डाटा को write किया जाता हैं।
ROM की विशेषताएं | Read only memory
1.ROM चिप RAM से काफी सस्ती है।
2.ROM में सिर्फ एक बार डाटा को प्रोग्राम करनें के बाद फिर से उसे reprogram नहीं किया जा सकता हैं।
3.यह RAM से अधिक भरोसेमंद हैं क्योँकि की power supply off होने के बाद भी ROM में डाटा सुरक्षित बना रहता है।
4.यह एक स्थायी storage device होती है।
5.ROM CPU का एक भाग होता है।
6.यह एक नॉन वोलेटाइल मेमोरी हैं जो कि पावर सप्लाई बंद होने के बाद भी कंप्यूटर में डाटा बना रहता हैं।
ROM के प्रकार | Types of ROM
ROM के प्रकार PROM,EROM,EEROM एवं इनके भी प्रकार नीचे है
PROM
PROM को programmable read only memory कहते हैं इस चिप में सिर्फ एक बार डाटा को write कर सकते हैं इसलिए इसे OTP (one time programmable) chip भी कहा जाता हैं यानी एक बार डाटा प्रोग्राम होने के बाद उस डाटा को erase नहीं कर सकते हैं जो हमेशा के permanently chip में store हो जाता है PROM में डाटा को write करने के लिए हमें एक device की जरूरत होती है उसे PROM burner कहते हैं जब इसमें डाटा write करते हैं तो इसे PROM burning कहते हैं। इसका आविष्कार 1956 में Wen Tsing chow ने किया था।
PROM की विशेषताएं
1.इसमें सिर्फ एक बार ही प्रोग्रामिंग की जा सकती हैं।
2.इसका प्रयोग CRT monitor में किया जाता हैं।
3.इसमें डाटा को erase करने के लिये PROM Burner की जरूरत पड़ती हैं।
4.आजकल इसका प्रयोग नहीं किया जाता हैं इसकी जगह EPROM को लगाया जाता हैं।
EPROM
EPROM को erasable प्रोग्रामिंग programmable read only मेमोरी कहते हैं इसका आविष्कार 1971 में Frohman द्वारा किया गया था। EPROM चिप में डाटा को erase करने के लिए Ultra violet light के द्वारा किया जाता हैं इसमें डाटा को हटाने के लिए डाटा को 30 से 40 बार Ultra violet light से होकर गुजरना पड़ता है डाटा को erase करने के लिए EPROM eraser का इस्तेमाल करते हैं इसका प्रयोग हम P.C.O कंप्यूटर और tv tuner में किया जाता हैं तथा इसमें लेजर की मदद से प्रोग्राम को डिलीट और एडिट कर सकते हैं इसमें डाटा को reprogram करने के बाद डाटा को कई सालों तक सुरक्षित रख सकते हैं।
EPROM के लाभ
1.यह बहुत ही सस्ती चिप है।
2.इसमें हम दो बार reprogram कर सकते हैं।
3.इसमें डाटा को टेस्टिंग और debugging कर सकतें हैं।
4.जब कंप्यूटर में power supply बंद हो जाती हैं तब भी ये डाटा को बनाये रखती है।
EPROM की हानियाँ
1.इसमें बिजली की खपत ज्यादा होती है।
2.इसमें डाटा को हटाने के लिए ultra violet light की आवश्यकता होती हैं क्योंकि इसे इलेक्ट्रिकल signal से नही हटाया जा सकता है।
3.PROM से इसकी कीमत अधिक होती हैं।
4.इसमें reprogram बहुत ही धीमी गति से होती हैं।
5.इसमें डाटा को erase करने के लिये चिप को कंप्यूटर से नहीं निकलना पड़ता हैं।
EEPROM
EEPROM को electrical erassable programmable read only memory कहते हैं इसका आविष्कार George perlegos ने 1978 में किया गया था यह एक नॉन वोलेटाइल चिप है EEPROM में डाटा को मिटाने के लिये electrical चार्ज का प्रयोग किया जाता है इसमें फिर से reprogram किये गये डाटा को 10-15 हज़ार बार erase कर सकते हैं और इसमें डाटा को reprogram करके हम 10 साल तक स्टोर करके रखा जा सकता हैं। यह PROM और EPROM की अपेक्षा काफी अच्छा है।
EEPROM के लाभ
1.इसमें डाटा को अनगिनत बार फिर से reprogram किया जा सकता है।
2.इसमें program करना बहुत ही आसान होता हैं।
3.इसमें पूरे डाटा को electrical विधि से मिटा सकते हैं।
4.इसमें डाटा को erase करने के लिये चिप को कंप्यूटर सिस्टम से बार बार निकालने की जरूरत नहीं पड़ती है जिससे कि डाटा को तेजी से erase हो जाता हैं।
5.इसमें डाटा के 1 bytes को भी हटा सकते हैं।
6.इस टाईप की EEPROM में डाटा को लगभग 10 साल तक सुरक्षित करके रखा जा सकता है।
EEPROM नुकसान
1.electrical erassable only memory PROM और EPROM की अपेक्षा में महँगी हैं।
2.EEPROM में डाटा को read and write करने के लिये विभिन्न प्रकार के वोल्टेज की जरूरत पड़ती हैं।
Types of EEPROM-
Serial EEPROM-इसमें डाटा का flow एक serial क्रम में होता हैं इसकी कार्य करने की विधि बहुत ही कठिन हैं इसमें डाटा serial transfer होने से ये parallel EEPROM की अपेक्षा धीमा कार्य करती है।
Parallel EEPROM-इसमें डाटा का flow एक parallel क्रम में होता है इसकी कार्य करने की विधि बहुत ही तेज है इसमें डाटा parallel transfer होने से ये serial EEPROM की अपेक्षा तीव्र कार्य करती है यह महँगी होने के कारण इसे बहुत ही कम प्रयोग किया जाता हैं।
ROM कैसे काम करती है
ROM एक चिप के आकार की होती है जो कि motherboard और CPU से जुड़ी हुई रहती है ROM का कार्य एक storage के रूप में किया जाता हैं इसके अंदर हम कुछ भी डाटा सेव कर सकते हैं जैसे कि software और application , apps , डॉक्यूमेंट आदि यह एक permanent storage device है ROM से हम कभी भी कुछ भी डाटा या वीडियो, ओड़िया फ़ाइल डायरेक्ट access कर सकते हैं इसके अन्दर हम सॉफ्टवेयर को install करके भी रख सकते हैं ROM हमारे कंप्यूटर या मोबाइल की booting process और सिस्टम को स्टार्ट करने में हमारी मदद करता हैं यह एक हमारे कंप्यूटर या मोबाइल का महत्वपूर्ण हिस्सा है इसके बिना हम कंप्यूटर या मोबाइल में डाटा स्टोर नहीं कर सकतें हैं
मुझे आशा है यह पूरा टॉपिकROM किसे कहते है यह कैसे काम करती है इसके प्रकार PROM,EROM,EEROM तथा इनकी विशेषताएं लाभ और हानियाँ आपको समझ आ गया होगा इसे शेयर कीजिये और कोई question हो या सुझाव हो तो कमेंट में लिखिए
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