कोशिकाद्रव्य ( Cytoplasm )
जीवद्रव्य के केन्द्रक रहित भाग तथा कोशिका कला के अंदर एक द्रव्य भरा होता हैं , जिसे कोशिका द्रव्य ( Cytoplasm ) कहते हैं |
कोशिका द्रव्य ( Cytoplasm ) की खोज 1831 में रॉबर्ट ब्राउन ने की तथा 1874 में वास्तविक नाम कोशिका द्रव्य प्राप्त किया |
कोशिका द्रव्य प्लाज्मा मेम्ब्रेन तथा केन्द्रक कला के बीच के स्थान में भरा होता हैं तथा कोशिका द्रव्य निम्न यौगिकों से मिलकर बना होता हैं – कार्बोहाइड्रेट , प्रोटीन , लिपिड , जल एवं कुछ अकार्बनिक पदार्थ |
कोशिका द्रव्य के भाग
कोशिका द्रव्य के निम्न तीन भाग होते हैं
- एक्टोप्लास्ट
- टोनोप्लास्ट
- मीजोप्लास्ट
अन्तः प्रद्रव्यी जाालिका ( Endoplasmic reticulum )
यूकैरियोटिक कोशिकाओं के कोशिका द्रव्य में थैली युक्त छोटी नलिकावत जालिका तन्त्र में बिखरा हुआ , आपस मे जुड़ा एवं चपटा रहता हैं जिसे अन्तः प्रद्रव्यी जालिका कहते हैं |
अन्तः प्रद्रव्यी जालिका ( Endoplasmic reticulum ) की खोज k. R. Porter ने की थी |
अन्तः प्रद्रव्यी जालिका ( Endoplasmic reticulum ) केन्द्रक कला से कोशिका कला तक फैली रहती हैं तथा केन्द्रक कला से अन्तः प्रद्रव्यी जालिका का निर्माण होता हैं |अन्तः प्रद्रव्यी जालिका कोशिका द्रव्य तथा केन्द्रक द्रव्य के बीच सम्बन्ध स्थापित करता हैं | अन्तः प्रद्रव्यी जालिका विभाजन करने वाली कोशिकाओं में ज्यादा अल्पविकसित होती हैं जबकि लिवर सेल , पेन्क्रिआज में अधिक विकसित होती हैं |
अन्तः प्रद्रव्यी जालिका के प्रकार आकृति के आधार पर
अन्तः प्रद्रव्यी जालिका आकृति के आधार पर तीन प्रकार की होती हैं
- सिस्टर्नी
- थैलियाँ ( Vesicles )
- नलिकाएँ ( Tubules )
अन्तः प्रद्रव्यी जालिका के प्रकार राइबोसोम के आधार पर
अन्तः प्रद्रव्यी जालिका राइबोसोम के आधार पर दो प्रकार की होती हैं
- सपाट अन्तः प्रद्रव्यी जालिका ( Smooth Endoplasmic reticulum ) – SER
- कणिकामय अन्तः प्रद्रव्यी जालिका ( Granular / Rough Endoplasmic reticulum ) – GER या RER
अन्तः प्रद्रव्यी जालिका के कार्य
- अन्तः प्रद्रव्यी जालिका को अन्तः कंकाल भी कहते हैं क्योंकि अन्तः प्रद्रव्यी जालिका कोशिका के अंदर यांत्रिक शक्ति प्रदान करता हैं |
- कणिकामय अन्तः प्रद्रव्यी जालिका ( RER / GER ) प्रोटीन संश्लेषण की क्रिया में भाग लेते हैं |
- अन्तः प्रद्रव्यी जालिका पदार्थों के प्रवेश करने तथा बाहर निकलने की क्रिया पर नियंत्रण रखता हैं |
- अन्तः प्रद्रव्यी जालिका केन्द्रक आवरण का निर्माण करता हैं |
- सपात अन्तः प्रद्रव्यी जालिका ( SER ) ग्लाइकोजन का निर्माण व संग्रह करता हैं |
गॉल्जीकाय ( Golgi body )
जीवित कोशिकाओं में थैलिनुमा संरचनाएं जो समूहों में पायी जाती हैं तथा अन्तः प्रद्रव्यी जालिका ( Endoplasmic reticulum ) से चिपकी ( संलग्न ) होती हैं जिनमें द्रव भरा होता हैं ,गॉल्जी काय ( Golgi body ) कहलाती हैं |
सर्वप्रथम ( 1898 ) कैमिलो गॉल्जी ने गॉल्जी काय की खोज की |
कैमिलो गॉल्जी के नाम के आधार पर इसे गॉल्जी काय ( Golgi body ) नाम दिया |
गॉल्जी काय ( Golgi body ) सभी जीवधारियों की कोशिकाओं में पाये जाते हैं जबकि नीले -हरे शैवालों , जीवाणुओं एवं माइकोप्लाज्मा में नहीं पाये जाते | गॉल्जी काय ( Golgi body ) को पादपों में डिक्टियोसोम भी कहते हैं | डिक्टियोसोम की संख्या 9 से 10 होती हैं |
गॉल्जी काय के अन्य नाम
गॉल्जी कॉम्प्लेक्स , गॉल्जी उपकरण , लाइपोकोन्ड्रिया , गॉल्जीओसोम , गॉल्जी मैटेरियल , गॉल्जी मेम्ब्रेन |
गॉल्जी काय के कार्य
- गॉल्जी काय प्रमुख रूप से विभिन्न पदार्थों ( मुख्यतः एन्जाइम्स ) का स्त्रावण करता हैं |
- गॉल्जी काय कोशिका पट्टिका का निर्माण कोशिका विभाजन के समय अन्तः प्रद्रव्यी जालिका से मिलकर करता हैं |
- जंतुओं में गॉल्जी काय एक्रोसोम का निर्माण करता हैं |
- हेमिसेल्युलोज व पेक्टिन का संश्लेषण गॉल्जी काय द्वाराा किया जाता हैं |
गॉल्जी काय की संरचना
गॉल्जी काय चार संरचनाओं से मिलकर बनी होती हैं
- सेक्युलस / सिस्टर्नी
- ट्यूबल्स
- वेसीकल्स
- वैक्यूल्स
राइबोसोम
कोशिका में मेम्ब्रेन रहित गोलाकार या डमरू के आकार की सबसे छोटी व कोशिका द्रव्य में सबसे अधिक संख्या में पायी जाने वाली जीवित रचना को राइबोसोम कहते हैं |
राइबोसोम की खोज ( 1955 ) में पैलाडे ( Palade ) ने जंतु कोशिकाओं में की थी| पैलाडे ने राइबोसोम नाम दिया | पादप कोशिकाओं में रोबिन्सन तथा ब्रॉउन ने 1953 में राइबोसोम की खोज की|
राइबोसोम राइबोन्यूक्लिक अम्ल तथा प्रोटीन के सूक्ष्म कण हैं , इसलिए इसे राइबोन्यूक्लियो प्रोटीन कण ( RNP -particle ) भी कहते हैं | राइबोसोम के सूक्ष्म कणों का व्यास 140 – 160 एंगस्ट्रोम होता हैं | राइबोसोम अन्तः प्रद्रव्यी जालिका ( Endoplasmic reticulum ) से जुड़े होते हैं , तथा माइटोकॉन्ड्रिया , हरित लवक एवं केन्द्रक में भी उपस्थित होते हैं |
राइबोसोम के प्रकार
राइबोसोम दो प्रकार के होते हैं
- 70 ‘S’ राइबोसोम
70 ‘S’ राइबोसोम माइटोकॉन्ड्रिया , क्लोरोप्लास्ट , बैक्टीरिया में पायी जाने वाली एवं सूक्ष्म आकार वाली कण हैं |
2. 80 ‘S’ राइबोसोम
80 ‘S’ राइबोसोम उच्च विकसित पौधौं एवं जन्तु कोशिकाओं में पाये जाते हैं , तथा आकार में बड़े होते हैं |
राइबोसोम के कार्य
- राइबोसोम अमीनों अम्ल से प्रोटीन संश्लेषण करने में सहायक होते हैं |अतः इन्हें कोशिका का की प्रोटीन फैक्ट्री कहा जाता हैं |
- राइबोसोम प्रोटीन संश्लेषण के समय प्लेटफॉर्म या टेम्पलेट का कार्य करते हैं |
- राइबोसोम प्रोटीन निर्माण के समय m -RNA के अणु को संरक्षित रखता हैं |
तारक काय ( Centrosome )
तारक काय ( Centrosome ) गोलाकार , छोटे , अनियमित आकार के छड़ नुमा तथा एन्जाइम्स युक्त कण होते हैं जो संख्या में एक होते हैं , जो केन्द्रक के पास बाहरी सतह पर , मध्य में होते हैं |
तारक काय ( Centrosome ) की खोज बेन्डन ने की तथा विब्रोबरी ने इसका नाम तारक काय ( Centrosome ) दिया |
तारक काय ( Centrosome ) में दो छोटी रचनाएँ पायी जाती हैं जिन्हें सेंट्रीओल्स ( Centrioles ) कहते हैं |
तारक काय के कार्य
- कोशिका विभाजन के समय तारक काय ( Centrosome ) स्पिन्डिल फाइबर बनाते हैं |
- तारक काय ( Centrosome ) पक्षमों एवं कशाभिकाओं का निर्माण करते हैं |
- तारक काय ( Centrosome ) शुक्राणुओं के अक्षीय तंतु का निर्माण करते हैं |
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