व्हीटस्टोन सेतु क्या होता है ? इसका सिद्धांत एव उपयोग बताइये
व्हीटस्टोन सेतु
व्हीटस्टोन सेतु एक प्रकार का इलेक्ट्रिकल परिपथ होता है जिसका उपयोग करके किसी अज्ञात प्रतिरोध का मान ज्ञात किया जा सकता है | यह एक ऐसा परिपथ होता है जिसमे चार प्रतिरोधो का उपयोग किया जाता है |
अब इन चारो प्रतिरोधो में से दो प्रतिरोध ऐसे होते है जिनका मान हमें पहले से ही पता होता है , बाकि बचे हुए दो प्रतिरोधो में से एक प्रतिरोध अज्ञात होता है जिसका मान पता करना होता है तथा बचा हुआ प्रतिरोध वेरिएबल टाइप का होता है जिसे आवश्यकता के अनुसार इसके मान को बदला जा सकता है | इसे वेरिएबल रजिस्टर के नाम से भी जाना जाता है |
अब इन चारो प्रतिरोधो को विशेष प्रकार के सेतु ( ब्रीज ) के जेसे लगाया जाता है | अगर इनको एक चतुर्भुज के जेसा लगाया जाता है जिसमे दो प्रतिरोधो को श्रेणीक्रम में लगाया जाता है तथा बाकि बचे हुए दोनों को भी इसी प्रकार श्रेणीक्रम में लगाया जाता है | तो तो जब संतुलन की अवस्था होती है तब अज्ञात प्रतिरोध के मान का पता लगाया जाता है | इसके लिए हम व्हीटस्टोन सेतु के सिद्धान्त के बारे में पड़ेंगे |
व्हीटस्टोन सेतु का सिद्धान्त
जैसा की हम जानते है व्हीटस्टोन सेतु की सरचना चतुर्भुज के आकार की होती है इसका मतलब यह हुआ की जब चारो प्रतिरोध को एक चतुर्भुज के आकार के सेतु में रखा जाता है तथा जब इस चतुर्भुज के विकर्णो की बात करे तो एक विकर्ण इसके धारामापी से तथा इसका दूसरा विकर्ण चतुर्भुज में लगे सेल से कनेक्ट कर दिया जाता है |
तब इस पूरे उपकरण को इस प्रकार संतुलित किया जाता है की धारामापी में किसी भी तरह का कोई विक्षेप उत्पन्न न हो तो चतुर्भुज में लगे दो किसी एक भुजा के दोनों प्रतिरोधो का अनुपात अन्य भुजा में लगे दोनों प्रतिरोधो के अनुपात के बराबर होगा | व्हीटस्टोन सेतु इसी सिद्धात पर कार्य करता है | इसको समझने के लिए हम एक उदाहरण की मदद से इसे समझते है |
अब हम चार प्रतिरोधो को लेंगे जिनमे से एक P है , दूसरा Q है , तीसरा R है , तथा चोथा S है , इस प्रकार चारो प्रतिरोधो में से प्रतिरोध P तथा प्रतिरोध Q दोनों ज्ञात प्रतिरोध है जिनके मान हमे पहले से ही पता है | अब प्रतिरोध R अज्ञात प्रतिरोध है जिसका मान हमे पता करना है | तथा प्रतिरोध S एक वेरिएबल रजिस्टर है जिसका मान आवश्यकता अनुसार बदला जा सकता है |
अब इन चारो प्रतिरोधो को लगाने के लिये सेतु को इस प्रकार तेयार किया जाता है की प्रतिरोध P तथा प्रतिरोध Q एक भुजा से जुड़े हो , तथा प्रतिरोध R तथा प्रतिरोध S दूसरी भुजा के साथ जुड़े हुए हो | अब इस चतुर्भुज के बनने वाले दोनों विकर्ण में से एक को धारामापी के साथ जोड़ा जाता है , बचे हुए दुसरे विकर्ण को सेल के साथ जोड़ दिया जाता है |
अब जब पूरा परिपथ बनकर तेयार हो जाता है तब परिपथ में विद्युत धारा को प्रवाहित किया जाता है तब इस अवस्था में यदि हम माने की प्रतिरोध P से बहने वाली धारा का मान I₁ होगा तथा प्रतिरोध R से बहने वाली धारा का मान I₂ होगा | तथा जब संतुलन की अवस्था होगी और धारामापी में कोई भी विक्षेभ उत्पन्न न होगा तब अर्थात धारामापी में बहने वाली धारा का मान शून्य होगा तब
I₁P = I₂R —–( 1 )
अब हम जानते है की सेतु संतुलन की अवस्था में है इसलिए जो धारा I₁ का मान होगा वही धारा I₃ का भी मान होगा अर्थात
I₁ = I₃
तथा इसी प्रकार जब परिपथ में लगी बैटरी का विद्युत वाहक बल यदि E माना जाए तो संतुलन की अवस्था में
I₂ E/(P+Q) = I₄ E/(R+S) ——( 2 )
अब समीकरण 1 तथा 2 की मदद से जब समीकरण 1 से मान समीकरण 2 में रखने पर
PE /P + Q = RE / R + S
यह समीकरण प्राप्त होता है जब इसे और आगे हल किया जाता है तो E से E कट जाता है और उसके बाद क्रॉस गुणा करने पर –
P ( R + S ) = R ( P + Q )
PR + PS = RP + RQ
इसको सोल्व करने पर
R = S ( P / Q ) —– ( 3 )
समीकरण 3 से अज्ञात प्रतिरोध R का मान निकाला जा सकता है | इस प्रकार हमने देखा की किस प्रकार व्हीटस्टोन सेतु
की सहायता से संतुलन की अवस्था में किसी अज्ञात प्रतिरोध का मान ज्ञात किया जा सकता है | इसके लिए प्रतिरोध S , प्रतिरोध P , तथा प्रतिरोध Q का मान पहले से ही पता होना चाहिए जिनकी मदद से हम प्रतिरोध R का मान ज्ञात कर सकते है |
व्हीटस्टोन सेतु के उपयोग
1 . इसके उपयोग से किसी विद्युत परिपथ में लगे किसी अज्ञात प्रतिरोध का मान ज्ञात किया जा सकता है |
2 . इसका उपयोग कम प्रतिरोध को मापने के लिए किया जाता है जो की बहुत ही Precise मान देता है |
3 . कुछ सेमीकंडक्टर मटेरियल का तापमान के साथ प्रतिरोध भी बदलता रहता है | और यह बदलाव साधारण प्रतिरोध की तुलना में बहुत ज्यादा होता है | जिन्हें थर्मिस्टर के नाम से जाना जाता है इनकी मदद से व्हीटस्टोन सेतु में होने वाले तापमान में परिवर्तन को आसानी से मापा जा सकता है |
4 . व्हीटस्टोन सेतु की सहायता से किसी मटेरियल की स्ट्रेन तथा उसके स्ट्रेस यानि की प्रेशर को भी मापा जा सकता है |
5 . इसका उपयोग करके कुछ सामान्य भोतिक राशियों जेसे की तापमान , प्रकाश आदि का मापन भी किया जा सकता है |
6 . इसकि सहायता से प्रतिबाधा , Inductance , Capacitance आदि का मापन भी किया जा सकता है |
7 . व्हीटस्टोन सेतु के सिद्धांत का उपयोग करके तथा इसी के विद्युत परिपथ के उपयोग से पोस्ट ऑफिस बॉक्स तथा मीटर ब्रीज के परिपथ तेयार किये जाते है |
8 . व्हीटस्टोन सेतु के इस विद्युत परिपथ में अज्ञात प्रतिरोध की जगह किसी फोटोरजिस्टर का उपयोग करके प्रकाश की तीव्रता को भी मापा जा सकता है | इसमें फोटोरजिस्टर का प्रतिरोध आने वाली किरण यानि की इंसिडेंट लाइट का काम करेगा |
इस प्रकार हमने देखा की व्हीटस्टोन सेतु का उपयोग किसी विद्युत परिपथ में कई जगहों पर किया जाता है |
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