वाटहीन धारा क्या होती है ?
वाटहीन धारा
आज के इस टॉपिक में हम वाटहीन धारा के बारे में समझेंगे जिसमे हम यह देखेंगे की वाटहीन धारा क्या होती है और किसी प्रत्यावर्ती धारा परिपथ के लिए इसकी गणना किस प्रकार की जाती है इसकी गणना का सूत्र क्या होता है तथा साथ ही साथ हम भी समझेंगे की किसी प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में यदि केवल इंडक्टर ( प्रेरकत्व ) या फिर केवल संधारित्र ( Capacitor) ही लगाया जाता है तो इस परिपथ के लिए धारा तथा विभवान्तर के बिच किस प्रकार का सम्बन्ध होता है | इन सभी बिन्दुओं को समझेंगे तो शुरू करते है समझना |
जब भी किसी प्रत्यावर्ती धारा परिपथ मे केवल इंडक्टर ( प्रेरकत्व ) या फिर केवल संधारित्र ( Capacitor) ही लगाया जाता है तो इस स्थति में इस परिपथ में पॉवर Consuption नहीं होता है या फिर ऐसे समझें की जीरो पॉवर Consuption होता है जिससे इस परिपथ में किसी भी प्रकार का एनर्जी लोस नहीं होता है ऐसे परिपथ को ही वाटहीन धारा कहा जाता है | इसको समझने के लिए हम एक साधारण Concept को समझते है जो की प्रत्यावर्ती धारा के लिए होता है और वह Concept इस प्रकार है की –
किसी प्रत्यावर्ती धारा परिपथ के लिए उस परिपथ की औसत शक्ति या फिर उस प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में व्यय उर्जा का मान उस परिपथ में बहने वाली धारा तथा परिपथ के विभवान्तर के वर्ग माध्य मूल तथा इन दोनों के बिच कलांतर की कोज्या के गुणनफल के बराबर होता है अर्थात अगर इसी बात को गणितीय रूप में समझे तो –
माना की किसी प्रत्यावर्ती परिपथ में बहने वाली धारा का मान I है तथा इस परिपथ के लिए विभवान्तर का मान V है तथा दोनों के बिच कोण का मान ɵ है तो कोण की कोज्या का मान Cos ɵ होगा और इस प्रकार प्रत्यावर्ती धारा परिपथ के लिए ओसत शक्ति या व्यय उर्जा का मान इस प्रकार होगा –
P = V × I Cos ɵ
जहा –
P = पॉवर है वाट में
V = वोल्ट में विभवान्तर का मान
I = Ampere में धारा का मान
Cos ɵ = धारा तथा विभवान्तर के बिच कोण की कोज्या
अब हम इसी Concept का उपयोग करके वाटहीन धारा को समझेंगे जो की इस प्रकार होता है –
जब भी किसी प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में केवल प्रेरकत्व या फिर केवल संधारित्र ही लगाया जाता है तो इस स्थति में विभवान्तर और धारा के बिच कलांतर का मान π / 2 होता है –
अर्थात
P = V × I Cos ɵ
P = V × I Cos ( π / 2 )
और हम जानते है की –
Cos ( π / 2 ) = 0
इसलिए
P = 0 वाट
अर्थात अब हम इस निष्कर्ष पर पहुँच चूके है जहा हम यह कह सकते है की इस परिपथ में धारा तो प्रवाहित हो रही है लेकिन इस परिपथ में किसी भी तरह का पॉवर लोस नहीं हो रहा है इसी धारा को वाटहीन धारा कहा जाता है |
इसका मतलब यह हुआ की जब भी किसी प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में विभवान्तर तथा धारा के बिच कलांतर का मान π / 2 होगा तो इस परिपथ में उर्जा का व्यय नहीं होगा तो अब हम उन्ही स्थतियो के बारे में समझेंगे की किन किन स्थतियों में कलांतर का मान π / 2 होता है |
इसमें सबसे पहली स्थति तो यह होती है की जब किसी परिपथ में केवल संधारित्र जोड़ा जाता है तो इस परिपथ में धारा , वोल्टेज से π / 2 कोण से Lead करती है और जब किसी परिपथ में केवल प्रेरकत्व जोड़ा जाता है तो इस स्थति में धारा , वोल्टेज से Lag करती है π / 2 कोण से |
अर्थात जब परिपथ में प्रेरकत्व तथा संधारित्र दोनों अलग –अलग लगे होते है तब धारा तथा विभवान्तर के बिच कोण π / 2 होता है और यही वे परिपथ होते है जिनमे वाटहीन धारा प्रवाहित होती है |
Leave a Reply