इस पोस्ट मे हम 12th chemistry के एक chapter number 17 chemistry in daily life के एक महत्वपूर्ण topic रंजक व वर्ण वर्धक क्या होते है ये क्या काम आते है और कितने प्रकार के होते है इन सब के बारे मे विस्तार मे जानेंगे
रंजक व वर्णक
वे कार्बनिक यौगिक जो अनेकों प्रकार के पदार्थों जैसे कागज, दीवारो, कपड़ो आदि को रंगने के काम आते है रंजक कहलाते है पुराने जमाने मे कपड़ो आदि को रंगने के लिए कुछ विशेष प्रकार की घास व पेड़ों व जैविक पदार्थों से रंजको को प्राप्त किया जाता था
रंजक और वर्णक मे अंतर
वर्णक और रंजको मे दोनो का उपयोग एक जैसा ही होता है परंतु इनमे एक छोटा सा अंतर होता है वर्णक जल और अन्य पदार्थों में अविलेय होते है और जबकि रंजक रंजक जल व अन्य पदार्थों मे विलेय होते है वर्णक पदार्थ पर परत बना कर रंजक का कार्य करते है
मुख्य अंतर
S. N | रंजक | वर्णक |
1 | ये अनेको विलयको मे विलेय हो सकते है | ये अधिकाश विलयको मे अविलेय रहते है |
2 | प्रकाश के सम्पर्क मे आने से इनका रंग हल्का पड़ जाता है | ये प्रकाश से अप्रभावित होते है |
3 | ये ज्यादा स्थाई नही होते है | ये बहुत ज्यादा स्थाई होते है |
4 | ये ज्वलनशील होते है | ये अज्वलनशील होते है |
5 | ये कार्बनिक यौगिक होते है | ये अकर्बनिक यौगिक होते है |
उपयोग के आधार पर रंजको के प्रकार
उपयोग के आधार पर रंजको को 8 भागो मे बाँटा गया है
1 सीधे रंजक –
इस प्रकार के रंजको मे कपड़ो को रंगने के लिए गरम जल के विलियन मे सीधा भिगोया जाता है फिर उन्हे सुखा दिया जाता है
इनका उपयोग रेशम, ऊँन, नाइलॉन आदि को रंगने के लिए किया जाता है जैसे – कांगो लाल
2 अम्लीय रंजक –
इस प्रकार के रंजको मे कपड़ो को रंगने के लिए गरम जल के विलियन मे सीधा भिगोया जाता है फिर उन्हे सुखा दिया जाता है
इनका उपयोग रेशम, ऊँन, नाइलॉन आदि को रंगने के लिए किया जाता है जैसे – कांगो लाल
3 क्षारीय रंजक –
इस तरह के रंजको मे क्षारीय एमिनो समूह होते है जोकि अम्ल मे विलेयशील लवण बनाते है इस तरह बना धनायन कपड़े के ऋण आयन भाग के साथ जुड़कर रंजक का काम करते है
नायलोन, पॉलिएस्टर आदि को इस रंजक के द्वारा रंगा जाता है
जैसे – एनिलिन यलो
4 प्रकीर्णन रंजक –
इस तरह के रंजको मे रंजक के महीन कण कपड़े पर फैल जाते है
पॉलिएस्टर नायलॉन आदि को इस रंजको से रंगा जाता है जैसे- एंथ्रोक्विनोन
5 रेशा क्रियात्मक रंजक –
इस तरह के रंजक रेशम, सुत व ऊँन के जैसे रेशो के साथ हाइड्रोक्सी या एमिनो समूह के साथ क्रिया करके रासायनिक बंध बना लेते हैं जिससे यह पक्के रंग बना लेती है
जैसे – प्रोशन लाल
6 अंतर्निहित रंजक –
इस तरह के रंजक मे पहले कपड़े को एक क्रियात्मक विलियन मे डुबोकर दूसरे क्रियात्मक विलयन मे डुबोया जाता है जिस से रंजक कपड़े के साथ संश्लेषित होकर रेसिंग के साथ बंद बना लेते हैं इन रंजको से पक्का रंग नही आता है
7 वेट रंजक –
ये रंजक सब से पुराने रंजक है इसमे पहले अविलेयशील रंजक को विलेयशील रंगहीन मे बदल कर रेशो को भिगोया जाता है फिर उसे हवा मे सुखाया जाता है जिस से रेशो को ऑक्सीकरण हो जाता है और रेशो पर रंग आ जाता है
जैसे – इंडिगो
8 मोर्डेन्ट रंजक –
इन रंजको का मुख्यतः उनी कपड़ो को रंगने के लिए किया जाता है इसने पहले पकड़े को किसी धातु आयन मे भिगोया जाता है और फिर रंजक मे डुबोया जाता है जिस से आयन और रंजक के बीच उपसहसंयोजक बंध बन जाता है
संरचना के आधार पर रंजको के प्रकार
संरचना के आधार पर रंजको को 8 भागो मे बाँटा गया है
1 नाइट्रो एवं नाइट्रोसो रंजक –
यह सबसे पुरानी रंजक है इन रंजको मे नाइट्रो या नाइट्रोसो समूह उपस्थित होते हैं
जैसे – पिक्रिक अम्ल
2 डाइफेनिलमेथेन रंजन –
इस तरह के रंजको मे प्रमुख ढांचा डाइफेनिलमेथेन का होता है यह उन, जुट, कागज व चमड़े को रंगने मे किया जाता है
जैसे – ओरैमीन-O
3 ट्राइफेनिलमेथेन रंजक –
इस तरह के रंजक ट्राइफेनिलमेथेन के एमिनो के व्युत्पन्न होते है यह उन, रेशम को सीधे रंग देता है जैसे – मेलेकाईट
4 थेलिन व जेन्थेन रंजक –
ये रंजक थेलिन अनहाइड्राइट तथा फेनोलिक यौगिको के योग से बने थैलिक कहलाते है
5 रेजो रंजक –
यह संश्लेषित रंगों का सबसे बड़ा समूह होता है जिसमें लगभग सारे रंग आ जाते हैं इन रंजको मे वर्ण मूलक समूह एजो होता है ये पक्के रंग होते है
6 इंडिगो रंजक –
यह सबसे पुराना कार्बनिक रंजक है इस रंजक को इंडिगोफेरो नाम के पौधे से प्राप्त किया जाता है
7 एंथ्रोक्विनोन रंजक –
इन रंजको मे एंथ्रोक्विनोन नाभिक मे उपस्थित होता है इसे मजीठ की जड़ो से प्राप्त किया जाता है यह अलग अलग घातु आयनो ले साथ अलग अलग रंग देता है
8 विषम चक्रीय रंजक –
इस तरह के रंजको के अणुओ मे एक विषम चक्रीय वाले होती है जो कि एक बहुत बड़ा समूह है इसमें नए-नए रंजको का निर्माण श्रंखला में जारी रहता है इनका उपयोग प्रिंटिंग, रंजक, चिकित्सा आदि में क्या जाता है
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