![प्रकाश प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए](https://i0.wp.com/mechanic37.com/wp-content/uploads/2019/04/प्रकाश-प्रतियोगी-परीक्षाओं-के-लिए.png?resize=700%2C397&ssl=1)
प्रकाश
प्रकाश बिद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम का एक भाग है । जो हमे बस्तुओं को देखने की सामर्थ्य प्रदान करता है । यह एक प्रकार की ऊर्जा होती है जो कि बिद्युत चुंबकीय तरंगो के रूप में गमन करती है। प्रकाश एक प्रकार की अनुप्रस्थ तरंग होती है। प्रकाश की निर्वात मे चाल 3×10^8 मी/सें तथा पानी में प्रकाश 2.25×10^8 मी/सें के वेग से गमन करती है ।
प्रदीप्त वस्तुऍं
प्रदीप्त बस्तुएं उन्हे कहते है जो स्वयं प्रकाश का उत्सर्जन करती है ।
जैसें सूर्य , बिद्युत बल्ब , लालटेन ,तारे ,जलता हुआ कोयला आदि।
अप्रदीप्त वस्तुएं
अप्रदीप्त बस्तंए स्वयं के प्रकाश से प्रकाशित न होकर दूसरों के प्रकाश से प्रकाशित होती है। ये वस्तुएं स्वयं प्रकाश उत्पन्न नहीं करती है।
जैसे चन्द्रमा , ग्रह , मेज ,कुर्सी आदि
प्रकाश की दोहरी प्रक्रति
प्रकाश का कभी कण के समान तथा कभी तरंग के समान व्यवहार प्रदर्शित करना प्रकाश की दोहरी प्रक्रति कहलाती है।प्रकाश की घटनाएं जैसे व्यतिकरण , विवर्तन , परावर्तन , ध्रुवण , अपवर्तन आदि की व्याख्या प्रकाश के तरंग सिद्धांत के द्वारा की जाती है , जबकि प्रकाश का वैद्युत प्रभाव क्राम्पटन प्रभाव आदि की व्याख्या प्रकाश के कणिका सिद्धांत की पुष्टि करता है।
प्रकाश का कणिका सिद्धांत न्युटन ने दिया था। तथा प्रकाश का तरंग सिद्धांत की व्याख्या हाइगेन बर्ग ने दिया था ।
प्रकाश के व्यतिकरण को थॉमस यंग ने बताया था। तथा मैक्सवेल ने विद्युत चुंबकत्व का गणितीय सिद्धांत को प्रतिपादित किया ।
प्रकाश की विशेषताएं
- प्रकाश को चलने के लिये किसी भी माध्यम की आवश्यकता नही होती है। ये निर्वात में भी गमन कर सकता है।
- प्रकाश हमेशा विद्युत चुंबकीय तरंगो के रूप में गति करता है
- प्रकाश का वेग निर्वात में 3×10^8 मी/सें होती है जोकि सभी माध्यमों में प्रकाश की चाल से सर्वाधिक है।
- प्रकाश हमेशा सरल रेखा में गमन करती है ।
- प्रकाश जब ठोस या द्रव माध्यम में प्रवेश करती है तो प्रकाश का अपवर्तन होता है।
प्रकाश का परावर्तन
प्रकाश जब किसी चिकने सतह पर आपतित होता है जो प्रकाश किरण के वापस लौटने की घटना प्रकाश का परावर्तन कहलाती है। आपतित सतह जितनी अधिक चिकनी होगी वह उतनी ही अधिक मात्रा में प्रकाश का परावर्तन करती है तथा जो सतह खुरदरी होती है वे कुछ मात्रा में प्रकाश को अवशोषित कर लेती है।
प्रकाश के परावर्तन के नियम
- आपतित किरण , परावर्तित किरण तथा अभिलंब तीनो एक ही तल में उपस्थित होती है ।
- आपतन कोण का मान परावर्तन कोण के मान के बराबर होता है
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प्रकाश का अपवर्तन
जब कोई प्रकाश किरण किसी विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करती है तो वह अभिलंब की ओर मुड जाती है । इसी प्रकार प्रकाश किरण के किसी सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करने पर प्रकाश किरण अभिलंब से दूर हटने की प्रवत्ति प्रकाश का अपवर्तन कहलाती है।प्रकाश की विभिन्न माध्यमों मे भिन्न भिन्न चाल के कारण अपवतर्न की घटना होती है। अपवर्तन की घटना में प्रकाश की चाल , तरंगदैर्ध्य प्रकाश की तीव्रता में परिवर्तन आता है किन्तु प्रकाश की आव्रत्ति नही बदलती है।
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अपवर्तन के नियम
- अपवर्तन की घटना में आपतित किरण , परावर्तित किरण तथा अभिलंब तीनो एक ही समतल मे स्थित होते है।
- आपतन कोण की ज्या तथा परावर्तन कोण की ज्या की अनुपात एक स्थिरांक होता है ।
जिसे स्नेल का नियम कहते है।
निरपेक्ष अपवर्तनांक
जब प्रकाश का अपवर्तन निर्वात से किसी अन्य माध्यम में होता है तो आपतन कोण के साइन तथा अपवर्तन केाण के साइन का अनुपात को हम निरपेक्ष अपवर्तनांक कहते है।
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अपवर्तनांक का मान भिन्न भिन्न रंगो के प्रकाश के लिये अलग – अलग हेाता है । लाल रंग के प्रकाश के लिये सबसे कम तथा बैंगनी रंग के प्रकाश के लिये अपवर्तनांक का मान सबसे कम होता है। अपवर्तनांक का मान तरंगदैर्ध्य के बडने के साथ साथ बडता है तथा तापमान के बडने पर अपवर्तनांक का मान घटता है।
इसे n से प्रदर्शित करते है।
n =निर्वात में प्रकाश की चाल / माध्यम मे प्रकाश की चाल
विभिन्न पदार्थो के अपवर्तनांक
वायु=1.003
हीरा =2.42
फ्लिंट कॉंच =1.65
जल =1.33
क्राउन कॉंच =1.51
क्रांतिक कोण
जब हम सघन माध्यम में आपतन कोण के मान को धीरे धीरे बडाते है तो उसके संगत विरल माध्यम मे बनने वाले अपवर्तन कोण का मान भी साथ-साथ बडता जाता है। अत: सघन माध्यम में बना वह आपतन कोण जिसके लिये विरल माध्यम में बने संगत अपवर्तन कोण का मान 90° होता है क्रांतिक कोण कहलाता है। इसे C से पद्रर्शित करते है।
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प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन
प्रकाश किरण जब किसी सघन माध्यम से विरल माध्यम मे प्रवेश करती है तो आवतन कोण का मान क्रान्तिक कोण के मान से अधिक हो जाता है । जिससे विरल माध्यम मे प्रकाश किरण का अपवत्रन नही हो पाता बल्कि सम्पूर्ण प्रकाश किरण परावर्तित होकर सघन माध्यम में वापस लौट आती है। प्रकाश किरण की इस घटना को हम प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन कहते है।
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पूर्ण आंतरिक परावर्तन के लिये आवश्यक शर्ते
1 प्रकाश किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम मे प्रवेश करना चाहिए तथा यह सघन माध्यम और विरल माध्यम के प्रथक्करण तल पर आपतित हेानी चाहिए।
2 आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण के मान से अधिक होना चाहिए ।
पूर्ण आंतरिक परावर्तन के लिये क्रांतिक कोण के मान
हीरा=24.4°
जल =48.5°
फ्लिंट कॉंच =37.4°
प्रकाश का विवर्तन
प्रकाश किरण हमेशा सीधी रेखा में गति करता है किन्तु रास्ते मे पडे किसी अवरोध के किनारें पर थोडा मुड भी जाती है और उसकी छाया में प्रवेश कर जाता है। प्रकाश किरण की इस घटना को प्रकाश का विवर्तन कहते है।प्रकाश के विवर्तन का मान अवरोध के आकार पर निर्भर करता है।
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प्रकाश का प्रकीर्णन
जब प्रकाश किसी ऐसे माध्यम मे प्रवेश करता है जिसमे धूल अथवा अन्य सूक्ष्म पदार्थो के कण मैाजूद हो तो प्रकाश उन कणो से टकराकर सभी दिशाओ मे फैल जाता है ,इस घटना को प्रकाश का प्रकीर्णन कहते है ।
प्रकाश का विसरण
जब प्रकाश किरण किसी ठोस वस्तु के खुरदरी सतह पर टकराती है तो उस तल के विभिन्न बिंदुओ पर प्रकाश के आपतन कोण का मान अलग अलग होता है जिससे परावर्तित होने वाला प्रकाश एक निश्चित दिशा में न जाकर अलग अलग दिशाओ में प्रसारित हो जाता है । इस घटना को प्रकाश का विसरण अथवा विसरित परावर्तन कहते है।
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प्रकाश का वर्ण विक्षेपण
श्वेत प्रकाश सात रंगो से मिलकर बना हेाता है जब सूर्य का श्वेत प्रकाश किसी प्रिज्म से होकर गुजरता है तो श्वेत प्रकाश का अपने अवयवी रंगो मे विभाजित हेाना प्रकाश का वर्ण विक्षेपण कहलाता है।
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प्रकाश किरणो का व्यतिकरण
जब कोई प्रकाश किरण किसी माध्यम मे एक ही आव्रत्ति की दो तरंग एक साथ एक ही दिशा में चलती है तो उन तरंगो के एक साथ एक ही दिशा में चलने से उनके अध्यारोपण के कारण माध्यम के विभिनन बिंदुओ पर परिणामी तीव्रता उन तरंगो की अलग अलग तीव्रता के येाग से भिन्न हेाती है प्रकाश की किरण के इस गुण को व्यतिकरण कहते है।
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प्रकाश तरंगो का ध्रुवण
प्रकाश विद्युत चुंबकीय अनुप्रस्थ तरंग होती है प्रकाश की किरण की चलने की दिशा उसके कंपन की दिशा के लंबबत हेाती है साधारण प्रकाश मे कंपन तरंग की गति के लंबवत तल मे प्रत्येक दिशा में सममित होता है जब प्रकाश तरंग के कंपन प्रकाश संचरण की दिशा मे लंबवत तल में एक ही दिशा में हो तथा प्रत्येक दिशा मेै समिमत न हेा तो इस घटना को ध्रुवण कहते है।
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अच्छा लगा