प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन वास्तव में परावर्तन का ही एक रूप है जिसके लिए विशेष शर्ते होती हैं जिनकी बात हम आगे करेंगे
पूर्ण आंतरिक परावर्तन की परिभाषा-सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाती हुई प्रकाश की किरण के आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण के मान से अधिक हो जाता है तब वह किरणों वापस उसी माध्यम में लौट जाती है इसी प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन कहते हैं
पूर्ण आंतरिक परावर्तन को समझने के लिए सबसे पहले क्रांतिक कोण को समझना तब यहां पर – क्रांतिक कोण क्या है ?
जब प्रकाश की किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाती है तो वह अभिलंब से दूर हो जाती है और आपतन कोण का मान बढ़ाने पर अपवर्तन कोण का मान भी बढ़ता है यानी आपतन कोण का मान बढ़ाने पर प्रकाश की किरण अभिलंब से और दूर होती जाती है जब अपवर्तन कोण का मान 90 डिग्री होता है और फिर इससे ज्यादा होने पर प्रकाश किरण उसी माध्यम में वापस लौट आती है इसी परावर्तन को पूर्ण आंतरिक परावर्तन कहते हैं यानी टोटल इंटरनल रिफ्लेक्शन
पूर्ण आंतरिक परावर्तन की शर्तें एवं नियम
- पूर्ण आंतरिक परावर्तन होने के लिए प्रकाश की किरण का सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाना चाहिए
क्योंकि सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाने पर ही किरण अभिलंब से दूर हटती है
- पूर्ण आंतरिक परावर्तन की दूसरी शर्त है सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाती हुई प्रकाश की किरण के आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण से अधिक होना चाहिए
तभी अपवर्तन कोण का मान 90 डिग्री से ज्यादा होगा और पूर्ण आंतरिक परावर्तन हो पाएगा
पूर्ण आंतरिक परावर्तन के उदाहरण
हीरे का चमकना पूर्ण आंतरिक परावर्तन का उदाहरण है
हीरा बहुत ज्यादा पूर्ण आंतरिक परावर्तन के कारण ही चमकता है हीरे के लिए क्रांतिक कोण का मान 24.41° होता है जो कि बहुत ही कम है जब कोई प्रकाश की किरण हीरे से टकराती है तो हीरे का क्रांतिक कोण का मान कम होने के कारण उस किरण का पूर्ण आंतरिक परावर्तन होता है हीरे से टकराया हुए प्रकाश केवल उन्हीं बिंदुओं से बाहर निकलता है जहां उसे आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण के मान से कम मिलता है और बचा हुए प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन होता रहता है इसलिए हीरे की चमक बढ़ जाती है
मरीचिका या mirage
गर्मियों के दिनों में रेगिस्तान में किसी पेड़ का प्रतिबिंब हमें नीचे दिखाई पड़ता है जैसे कि वह है पेड़ पानी में दिख रहा हो ऐसा इसलिए होता है गर्मियों के दिनों में रेगिस्तान में रेत गर्म हो जाती है जिससे जमीन के पास वाली बाई की परतें बेल माध्यम का काम करती हैं इन जमीन के पास वाली वायु की परतों का घनत्व ऊपर की परतों से कम होता है जमीन के पास की वायु की पर्दे विरल माध्यम और ऊपर सघन माध्यम हो जाता है तब किसी वस्तु से चलने वाली किरण नीचे की और आती है
तब उसे सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करना होगा ऐसे में किरणे अभिलंब से दूर हटेगी आपतन कोण का मान बढ़ने पर अपवर्तन कोण का मान बढ़ता है और आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण के मान से अधिक होने पर इन किरणों का पूर्ण आंतरिक परावर्तन हो जाता है
यानी बे किरण वापस उसी माध्यम में लौटने लगती हैं हमारी आंखों की ओर तब उन्हें विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करना होता है जिसमें अभिलंब की ओर झुकती हैं हो सकती हैं जब यह किरण है आंखों मैं प्रवेश करती हैं तो वह पेड़ हमें उल्टा दिखाई पड़ता है
प्रकाशिक तंतु यानी ऑप्टिकल फाइबर केबल
प्रकाशिक तंतु एक ऐसी डिवाइस है जिससे प्रकाश सिग्नल को बिना कम कीजिए यानी उसी तीव्रता से लंबी दूरी तक भेजा जा सकता है प्रकाशिक तंतु सिग्नल को पूर्ण आंतरिक परावर्तन से ही एक जगह से दूसरी जगह पहुंच आती है
आशा है पूर्ण आन्तरिक परावर्तन आपके समझ आ गया होगा यदि काम आया हो तो इसे शेयर जरूर करें नीचे buttons है कोई प्रश्न हो तो कमेन्ट में लिखें
Very good explanation
इन्द्रधनुष के बनने का कारण पूर्ण आंतरिक परावर्तन है कैसे
इंद्रधनुष मात्र एक ऐसा उदाहरण है जिसमे अपवर्तन परावर्तन तथा पूर्ण आंतरिक परावर्तन होता है।
Purn aantarik paravartan ka aur koi ruls
Pertek madhiyam ka krantik cone aalag alag hota h ya phir 90degree
एक ही क्रान्तिक कोण होता है
खतरा का सुचक लाल रंग को kyu बनाया गया है?
Right
क्यों कि लाल रंग सबसे कम फेलता है