• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
Mechanic37

Mechanic37

इंजीनियरिंग और फिजिक्स,केमिस्ट्री

  • भौतिक विज्ञान
  • इंजीनियरिंग नोट्स
    • मैकेनिकल इंजीनियरिंग
    • इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग
    • इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग
    • इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स
  • रसायन
  • जीव विज्ञान
  • कंप्यूटर
Home » चल कुंडली धारामापी और चल चुम्बक धारामापी क्या है ? इसके प्रकार

चल कुंडली धारामापी और चल चुम्बक धारामापी क्या है ? इसके प्रकार

मई 26, 2021 by Er. Mahendra Leave a Comment

3
(2)

चल कुंडली धारामापी और चल चुम्बक धारामापी क्या है ? इसके प्रकार

चल कुंडली धारामापी और चल चुम्बक धारामापी क्या है ? इसके प्रकार

चल कुंडली धारामापी और चल चुम्बक धारामापी

आज के इस टॉपिक में हम चल कुंडली धारामापी और चल चुम्बक धारामापी  के बारे में विस्तार से समझेंगे जिसमे हम देखेंगे की चल कुंडली धारामापी क्या होती है और इसकी संरचना किस प्रकार की होती है और चल चुम्बक धारामापी क्या होती है साथ ही साथ हम यह भी समझेंगे की इसके कितने प्रकार होते है और चल कुंडली धारामापी की सुग्राहिता क्या होती है इसे भी समझेंगे इन सभी बिन्दुओं को हम एक – एक करके समझेंगे तो चलिए शुरुआत  करते है की चल कुंडली धारामापी क्या है –

चल कुंडली धारामापी और चल चुम्बक धारामापी भी धारामापी के प्रकार होते है जिनका उपयोग करके किसी परिपथ और किसी डिवाइस के लिए विद्युत धारा का मापन किया जाता है साथ ही साथ चल कुंडली धारामापी के द्वारा किसी विद्युत परिपथ के लिए उसमे उपस्थित धारा तथा उसकी दिशा ज्ञात की जा सकती है |

इस प्रकार चल कुंडली धारामापी और चल चुम्बक धारामापी का प्रयोग किया जाता है | अब हम समझेंगे चल कुंडली धारामापी का सिद्धांत और उसके प्रकार के बारे में हम विस्तार से समझेंगे |

चल कुंडली धारामापी

चल कुंडली धारामापी वह धारामापी होती है जिसकी कुंडली विद्युत क्षेत्र में Moving होती है चल कुंडली धारामापी का सिद्धांत इस प्रकार होता है की जब भी किसी मैग्नेटिक फील्ड के अन्दर किसी करंट Sustaining Coil को रखा जाता है तो ये Coil एक Torque का अनुभव करती है यही इस चल कुंडली धारामापी का सिद्धांत  होता है जिसे और भी विस्तार से इस प्रकार समझा जा सकता है की –

जब भी किसी एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में किसी कुंडली को रखा जाता है तथा अगर इस कुंडली में विद्युत धारा प्रवाहित की जाए तो इस कुंडली पर एक बल आघूर्ण कार्य करने लगता है और इस बल आघूर्ण का मान इस कुंडली में प्रवाहित विद्युत धारा के मान पर निर्भर करता है जितनी ज्यादा विद्युत धारा प्रवाहित की जाएगी अर्थात विद्युत धारा का परिमाण जितना अधिक होगा बल आघूर्ण का मान भी उतना ही अधिक होगा यही इस चल कुंडली धारामापी का सिद्धांत होता है | अब हम चल कुंडली धारामापी के प्रकार को समझते है |

चल कुंडली धारामापी के प्रकार

अगर हम चल कुंडली धारामापी के प्रकार की बात करे तो इसके मुख्य रूप से दो प्रकार होते है जिसमे से एक होता है निलंबित कुंडली धारामापी और दूसरा है किलकित कुंडली धारामापी तो अब हम इनको समझते है –

निलंबित कुंडली धारामापी

निलंबित कुंडली धारामापी का सिद्धांत इस प्रकार होता है की जब भी किसी धारावाही कुंडली को किसी चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है जबकि इसका तल चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर रहे तथा अगर इस कुंडली में विद्युत धारा प्रवाहित की जाए तो इस कुंडली पर एक बल आघूर्ण कार्य करने लगता है और इस बल आघूर्ण का मान इस कुंडली में प्रवाहित विद्युत धारा के मान पर निर्भर करता है जितनी ज्यादा विद्युत धारा प्रवाहित की जाएगी अर्थात विद्युत धारा का परिमाण जितना अधिक होगा बल आघूर्ण का मान भी उतना ही अधिक होगा |

किलकित कुंडली धारामापी

किलकित कुंडली धारामापी भी चल कुंडली धारामापी का ही एक प्रकार है जिसमे एल्युमीनियम की एक आयताकार या फिर वृताकार फ्रेम पर तांबे के पतले तार को लपेटकर एक कुंडली बनाई जाती है तथा इस कुंडली को किसी चुम्बकीय क्षेत्र के अन्दर एक धुरी पर लगाया जाता है तथा फिर इसे इस चुम्बकीय क्षेत्र के अन्दर आसानी के साथ घुमाया जाता है इस प्रकार इस किलकित कुंडली धारामापी की संरचना और इसका वर्किंग सिद्धांत इस प्रकार होता है |

चल चुम्बक धारामापी

चल चुम्बक धारामापी में चुम्बक Moving टाइप का होता है इसलिए इसे चल चुम्बक धारामापी कहा जाता है जब इसे किसी Variable मैग्नेटिक फील्ड में रखा जाता है तब यह जरुरी होता है की इसे किसी सॉफ्ट आयरन की Shield में रखा जाता है और जब इसे मैग्नेटिक फील्ड में रखा जाता है |

अगर इस कुंडली में विद्युत धारा प्रवाहित की जाए तो इस कुंडली पर एक बल आघूर्ण कार्य करने लगता है और इस बल आघूर्ण का मान इस कुंडली में प्रवाहित विद्युत धारा के मान पर निर्भर करता है जितनी ज्यादा विद्युत धारा प्रवाहित की जाएगी अर्थात विद्युत धारा का परिमाण जितना अधिक होगा बल आघूर्ण का मान भी उतना ही अधिक होगा यही इस चल चुम्बक धारामापी का सिद्धांत होता है |

इस प्रकार हमने इस टॉपिक में चल कुंडली धारामापी और चल चुम्बक धारामापी के बारे में विस्तार से समझा |

यह पेज आपको कैसा लगा ?

Average rating 3 / 5. Vote count: 2

Filed Under: इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, धारा के चुम्बकीय प्रभाव और चुम्बकत्व Tagged With: चल कुंडली धारामापी, चल चुम्बक धारामापी

Reader Interactions

प्रातिक्रिया दे जवाब रद्द करें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Primary Sidebar

Recent Posts

  • Dual Axis Solar Tracking System कैसे बनाएं ? Project Report
  • Anti Sleep Alarm Project कैसे बनाएं ? Engineering Project
  • फायर फाइटर रोबोट कैसे बनाएं ? Fire Fighter Robot Final Year Project
  • सीमांत वेग क्या है इसका व्यंजक व उदाहरण
  • बायो सेवर्ट का नियम क्या है ? सूत्र | डेरीवेशन | उपयोग

विषय

  • भौतिक विज्ञान
  • मैकेनिकल इंजीनियरिंग
  • इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग
  • इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग
  • रसायन विज्ञान
  • जीव विज्ञान 
  • कंप्यूटर 
  • इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स

Footer

सोशल मीडिया पर जुड़ें

  • Telegram 
  • Facebook
  • Twitter
  • Instagram
  • Youtube

बनाना सीखें

  • ड्रोन कैसे बनाएं ?
  • रोबोट कैसे बनाएं ?
  • वेबसाइट कैसे बनाएं ?
  • एंड्राइड एप कैसे बनाएं ?

हमारे बारे में

इस जगह आप हिंदी में इंजीनियरिंग ,फिजिक्स,केमिस्ट्री,बायोलॉजी,कंप्यूटर etc सीख सकते हो |

Mechanic37 2015 - 2023

  • साइटमैप
  • संपर्क करें
  • हमारे बारे में
  • विज्ञापन दें
  • इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग
  • रसायन विज्ञान
  • जीव विज्ञान
  • कंप्यूटर सीखें
  • इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स
  • ऑटोकैड टुटोरिअल