गैल्वनीकरण क्या है ? समझाइये
गैल्वनीकरण
आज के इस टॉपिक में हम गैल्वनीकरण के बारे में समझेंगे जिसमे हम देखेंगे की गैल्वनीकरण क्या होता है इसकी प्रक्रिया किस प्रकार होती है अर्थात किस प्रकार इसको किया जाता है इसकी विधि क्या होती है अर्थात किस प्रकार एक धातु के ऊपर दूसरी धातु का गैल्वनीकरण किया जाता है और इसके बाद हम देखेंगे की इस गैल्वनीकरण प्रक्रिया के क्या क्या नुकसान होते है | इन सभी बातों को हम विस्तार से समझेंगे तो चलिए शुरू करते है की गैल्वनीकरण क्या होता है |
गैल्वनीकरण एक ऐसी प्रक्रिया होती है जिसमे एक धातु को क्षरण से सुरक्षित रखने के लिए उसके ऊपर दूसरी किसी धातु की परत को चढ़ा दी जाती है जिससे धातु संक्षारण या क्षय होने से बच सके जैसे की किसी लोहे या इस्पात या फिर किसी स्टील की धातु के ऊपर किसी जिंक या जस्ते की परत चढ़ाना इस प्रक्रिया को ही गैल्वनीकरण कहा जाता है |
इसमें मुख्य रूप से Low Melting पॉइंट वाली धातु जैसे की जिंक आदि की Coating उन धातुओं के ऊपर करते है जिनका Melting Point इससे ज्यादा होता है जैसे की आयरन और स्टील आदि | और इस प्रकार जिंक की परत को प्रोटेक्टिव लेयर के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह परत अन्य धातुओं को क्षय होने से बचाती है | अब हम इसकी विधि के बारे में समझेंगे की किस प्रकार गैल्वनीकरण किया जाता है |
गैल्वनीकरण की विधि
यह एक मेटल Coating प्रोसेस होती है जिसमे जिंक जैसी Low Melting पॉइंट वाली धातु की परत को High Melting Point वाली धातु के ऊपर Coating की जाती है | इसके लिए कुछ अलग –अलग स्टेप्स होते है जिनको follow करना होता है जैसे की पहला स्टेप होता है Wash करना अर्थात किसी भी मेटल को सबसे पहले अच्छे से साफ किया जाता है जिससे उस मेटल के ऊपर उपस्थित Dust या अन्य पार्टिकल अच्छे से साफ हो जाए | इसको रिन्जिंग कहा जाता है |
इसके बाद अगला स्टेप होता है Pickling जिसमे एक बर्तन में Dilute H2SO4 लिया जाता है और इस मेटल को इस सल्फुरिक अम्ल के अन्दर डाल दिया जाता है जिससे इसके अन्दर किसी भी प्रकार इम्पुरिटी को सल्फुरिक अम्ल साफ कर देता है और फिर इसको पानी से अच्छे से धो लेते है और साफ कर लेते है | और फिर इसको सुखा लेते है |
अब इसके आगे एक टैंक लिया जाता है और इसके अन्दर Molten जिंक को लिया जाता है और इसका तापमान लगभग 450 डिग्री सेल्सियस के आसपास रखा जाता है और इस जिंक के ऊपर एक फ्लक्स की परत होती है और यह फ्लक्स की परत जिंक अमोनियम क्लोराइड की बनी होती है और यही वो फ्लक्स होता है जो इस प्रक्रिया के दौरान होने वाले ऑक्साइड के Formation से बचाती है | अब इस प्रकार जब ये प्रक्रिया शुरू हो जाती है तो धातु को कुछ समय के लिए इसमें रख देते है |
और जब कुछ समय के बाद जब मेटल को बाहर निकाला जाता है तो हम देखते है की इस मेटल के ऊपर जिंक की Coating हो गयी होती है अर्थात जिंक की परत उस मेटल पर चढ़ जाती है | अब जब मेटल जैसे की आयरन पर जिंक की Coating हो जाती है तो यह परत इस धातु को Corrosion Resistance Provide करेगी | और इस प्रकार धातु संक्षारण या फिर क्षय से बच जाती है |
जहा एक और इस गैल्वनीकरण के कुछ फायदे होते है की यह corrosion से बचाती है और इस प्रकार धातु लम्बे समय तक सुरक्षित रहती है तो वाही इसहॉट गैल्वनीकरण के कुछ नुकसान भी होते है जिनके बारे में हम अब समझेंगे की ये क्या होते है |
गैल्वनीकरण के नुकसान
इसके कुछ नुकसान इस प्रकार है जिसमे पहला तो यह है की यह गैल्वनीकरण केवल कुछ लिमिटेड टाइम के लिए ही प्रोटेक्शन Provide करता है अर्थात यह Corrosion से Protection कुछ ही समय के लिए देता है जब तक की जिंक की परत प्रोसेस के दौरान जिंक की परत Eaten Up होती है |
और इस गैल्वनीकरण का एक और नुकसान यह भी है की यह बहुत ज्यादा Corrosive Areas के लिए बहुत ज्यादा प्रभावशाली नहीं होती है और इस प्रकार इसके कुछ Disadvantage निकल कर आते है जो हमें देखने को मिलते है |
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