आज के इस topic मे हम कार्य ऊर्जा और शक्ति का और कार्य ऊर्जा प्रमेय को का अध्ययन करेंगे पहले हम देखेंगे भौतिक विज्ञान मे कार्य किसे कहते है इसका सी मात्रक सूत्र और यह कितने प्रकार का होता है इसे बाद हम ऊर्जा के बारे मे पड़ेंगे ऊर्जा क्या होती है यह किन किन रूपों मे पायी जाती है इसकी परिभाषा सूत्र और इसके कितने प्रकार होते है और इसे हम Example के साथ समझेंगे
इसके बाद हम शक्ति के बारे मे पड़ेगे की शक्ति क्या होती है इसका मात्रक क्या है और कार्य ऊर्जा शक्ति के बारे मे जानकारी लेने के बाद हम एक important प्रमेय ऊर्जा कार्य प्रमेय पड़ेंगे की कार्य ऊर्जा का आपस मे क्या संबंध होता है और इसे हम गणितीय रूप मे सिद्ध करेंगे तो चलिए हम एक एक करके सभी topic को समझते है
![कार्य ऊर्जा, शक्ति](https://i0.wp.com/mechanic37.com/wp-content/uploads/2022/02/IMG_20220217_110142.jpg?ssl=1)
कार्य ( work) –
बल लगाकर किसी वस्तु को बल की दिशा में विस्थापित करने की प्रक्रिया को ही कार्य कहते हैं
कार्य को W से डेनोट करते है
Example – माना कोई आदमी किसी वस्तु को धकेल रहा है परंतु वह वस्तु अपने स्थान से विस्थापित नहीं हो रही तो यह कार्य नहीं कहलाएगा कार्य तब कहलाएगा जब वस्तु विस्थापित हो कार्य के लिए बल के साथ विस्थापन होना जरूरी है
कार्य की माप-
किसी वस्तु पर किए गए कार्य की माप वस्तु पर लगे बल तथा बल की दिशा में उत्पन्न विस्थापन के बराबर होती है
कार्य = बल × बल की दिशा मे विस्थापन
W= F. d
कार्य का मात्रक = न्यूटन मीटर
= जुल
कार्य की विमा = [ M⁰L²T⁻²] होती है
यदि बल और विस्थापन की दिशा अलग-अलग हो अर्थात बल और विस्थापन के मध्य θ कोण बन रहा हो तो
क्षैतिज दिशा मे कार्य Fcosθ.d
F.d cosθ
इसकी तीन संभावनाएं बनती है
Case1.
यदि θ=0⁰
W= F. dcosθ
W = F.dcos0
W= F.d
अर्थात किया गया कार्य धनात्मक होगा
case2.
यदि θ= 90⁰
W= F.dbcosθ
W= F.d cos 90
W = F.d× 0
W = 0
अर्थात किया गया कार्य शुन्य होगा
case3.
यदि θ= 180⁰
W= F.d cos 180
W = F.d×-1
W = -Fd
अर्थात किया गया कार्य ऋण आत्मक होगा
ऊर्जा (energy) –
ऊर्जा वस्तु का 1 गुण है जो अन्य दूसरी वस्तुओं में स्थानांतरित किया जा सकता है
ऊर्जा को E से डेनोट करते है
E= mc²
ऊर्जा का मात्रक जुल होता है
ऊर्जा की विमा [M⁰L²T⁻²] होती है
उर्जा में न तो द्रव्यमान होता है और ना ही यह स्थान गिरती है
Example- खाना एक ऊर्जा का रूप है जिसे हम खाते हैं और यह हमारे शरीर में ऊर्जा प्रदान करता है और फिर हम इस ऊर्जा को अन्य कार्यों में खर्च कर देते हैं इसे उर्जा एक वस्तु से दूसरी वस्तुओं में स्थानांतरित हो रही है
हर वस्तु का ऊर्जा ग्रहण करने का रूप अलग-अलग होता है जैसे हमे ऊर्जा भोजन के रूप में प्राप्त होती है और मशीन को ऑयल के रूप में ऊर्जा प्राप्त होते हैं
ऊर्जा के प्रकार (types of energy) –
ऊर्जा सामान्यतः तीन प्रकार की होती है
1.गतिज ऊर्जा
2.स्थितिज ऊर्जा
3. यांत्रिक ऊर्जा
1.गतिज ऊर्जा –
किसी कण की गति के कारण उत्पन्न ऊर्जा को गतिज ऊर्जा कहते है
Example किसी car की उसकी गति के कारण उसकी ऊर्जा
इसे k से denote करते है
K= 1/2mv²
जहा k = गतिज ऊर्जा
m = द्रव्यमान
v = वेग
2. स्थितिज ऊर्जा –
किसी कण की उसकी स्थिति के कारण उत्पन्न ऊर्जा को उस कण की स्थितिज ऊर्जा कहते है
Example- किसी spring को खीचने पर पर अपनी पहली स्थिति मे जाने के लिए उसमे एक ऊर्जा उत्पन्न होती है वह स्थितिज होती है
इसे है U से denote किया जाता है
U = mgh
जहा U= स्थितिज ऊर्जा
m = द्रव्यमान
h = उचाई
3. यांत्रिक ऊर्जा –
गतिज व स्थितिज ऊर्जा का योग ही यांत्रिक ऊर्जा कहलाती है
यांत्रिक ऊर्जा = स्थितिज ऊर्जा + गतिज ऊर्जा
Emac. = U + k
Example – electric moter , electric moter विद्युत् ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा मे बदलती है
शक्ति ( power) –
शक्ति की परिभाषा देने से पहले हम इसे एक Example के द्वारा समझे की कोशिश करते है माना कोई दो आदमी एक साथ 10m गहरा गड्ढा खोदते है काम दोनों का समान है परतु यह जरूरी नही है की दोनों आदमी अपना काम एक साथ ही पुरा करे काम को पुरा करने मे दोनों अलग अलग समय ले सकते है मतलब कोई आदमी कितनी जल्दी किसी काम को कर सकता है वह उसकी शक्ति कहलाती है
कार्य करने की दर को ही शक्ति ( power) कहते है
या इकाई समय मे किया गया कार्य ही शक्ति कहलाता है
शक्ति को P से denote करते है
शक्ति का मात्रक = जुल/sec = वाट होता है
P= W/ t
जहा
P= शक्ति
W = कार्य ( work)
t = समय
1K = 10000w
1mw= 10000000w
1Hp ( horse power) = 746w
कार्य – ऊर्जा प्रमेय –
किसी कण पर लगाये गए बल द्वारा किया गया कार्य वस्तु की गतिज ऊर्जा में परिवर्तन के बराबर होता है
माना कोई वस्तु जिसका प्रारंभिक वेग u से गतिमान है उस पर f बल लगाने पर उसका वेग व हो जाता है माना वस्तु का द्रव्यमान m एवं वस्तु का विस्थापन s है वस्तु पर उत्पन्न त्वरण a है
न्यूटन के गति के द्वितीय नियम से-
F= m. a … . … . (1)
गति के तृतीय समीकरण से-
V² = u²+2as
V²- u² = 2as
V² – u²/2a = s
s = v² – u²/2a … . . … . . … (2)
कण द्वारा किया गया कार्य –
कार्य = बल × विस्थापन
W = f. d … . … . .. (3)
समी. 1 व 2 से समी. 3 मे मान रखने पर
W = ma( v² – u²/2a)
W = mv² – mu²/2
W= ½ mv² – ½ mu²
जहा
½ mv² = अंतिम वेग
½ mu² = प्रारंभिक वेग
अतः वस्तु द्वारा किया गया कार्य अंतिम वेग एवं प्रारंभिक वेग के अंतर के बराबर होता है
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