• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
Mechanic37

Mechanic37

इंजीनियरिंग और फिजिक्स,केमिस्ट्री

  • भौतिक विज्ञान
  • इंजीनियरिंग नोट्स
    • मैकेनिकल इंजीनियरिंग
    • इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग
    • इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग
    • इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स
  • रसायन
  • जीव विज्ञान
  • कंप्यूटर

कांस्टेंट मेश गियरबॉक्स क्या हें ? वर्किंग |उपयोग

अक्टूबर 10, 2021 by Er.Uddhar

Constant मेश गियर बॉक्स, गियर बॉक्स का एक टाइप है जिसमें गियर बॉक्स के अंदर लगे हुए गियर्स एक दूसरे से हमेशा कनेक्ट रहते हैं। कांस्टेंट मेश गियरबॉक्स एक मैनुअल टाइप गियर बॉक्स है यानि इस गियर बॉक्स को ड्राइवर के द्वारा ऑपरेट करना पड़ता है। Constant कांस्टेंट मेश गियरबॉक्स में हेलीकल या डबल हेलीकल टाइप गियर्स का इस्तेमाल होता है जिसके कारण नॉइस एवं वाइब्रेशन बहुत कम होता है कांस्टेंट मेश गियरबॉक्स स्लाइडिंग मेश गियरबॉक्स की तुलना में बेहतर होता है या फिर इसे आप ऐसा कह सकते हैं की कांस्टेंट मेश गियरबॉक्स स्लाइडिंग मेश गियरबॉक्स का अपग्रेड वर्जन है कांस्टेंट मेश गियरबॉक्स में गियर आपस में हमेशा कनेक्ट होने के कारण गियर बदलते वक्त गियर्स के दाते टूटने या खराब होने का खतरा नहीं होता है।

कांस्टेंट मेश गियरबॉक्स का कंस्ट्रक्शन

इस चित्र कि सहायता से हम कांस्टेंट मेश गियरबॉक्स का कंस्ट्रक्शन समझ सकते हें |

कांस्टेंट मेश गियरबॉक्स में गियर(गियर रेशियो) बदलने के लिए हम डॉग क्लच का इस्तेमाल करते हैं|

डॉग क्लच एक कंपोनेंट होता है जो क्लच shaft के साथ ही घूमता है या फिर आप यह समझ सकते हैं कि क्लच shaft मैं पावर डॉग क्लच से ही आती है| डॉग क्लच गियर से कनेक्ट होता है जिसके कारण डॉग क्लच और गियर एक साथ घूमते हैं और डॉग क्लच के घूमने के कारण ही क्लच शाफ्ट घूमती है।

क्लच shaft पर लगे हुए गियर्स बेयरिंग की सहायता से क्लच shaft पर फिक्स रहते हैं मगर टॉर्क ट्रांसफर नहीं करते है। गियर्स क्लच शाफ्ट पर freely रोटेट करते हैं।

लीवर के द्वारा फोर्स लगाने के कारण डॉग क्लच और क्लच शाफ्ट के गियर planet and ring गियर्स सिस्टम की तरह एक दूसरे से साइड से कनेक्ट हो जाते है और गियर का टॉर्क डॉग क्लच में ट्रांसफर हो जाता है और डॉग क्लच का टॉर्क clutch shaft में ट्रांसफर हो जाता है।

Counter shaft के गियर्स clutch shaft के गियर्स से परमानेंट कनेक्ट रहते हैं। Counter shaft के गियर्स काउंटर शाफ्ट के साथ घूमते हैं मगर क्लच शाफ्ट के गियर क्लच shaft के ऊपर फ्री रोटेट होते हैं।

गियर्स Speed और torque को कम-ज्यादा कैसे करते हैं?

जब भी एक बड़ा गियर (जिसमें गियर tooth ज्यादा हों) एक छोटे गियर (जिसमें गियर tooth कम हों) से जुड़ा हुआ होता है तब अगर छोटे गियर से बड़े गियर में पावर ट्रांसफर कर रहे हो तब बड़ा गियर छोटे घर से कम स्पीड में घूमेगा अर्थात torque ज्यादा और स्पीड कम मिलेगी वही अगर बड़े गियर से छोटे गियर में पावर ट्रांसफर कर रहे हो तब छोटा गियर बड़े गियर से ज्यादा स्पीड में घूमेगा अर्थात स्पीड ज्यादा और torque कम मिलेगा।

4-स्पीड कांस्टेंट मेश गियरबॉक्स की वर्किंग

Neutral  gear कनेक्शन

गियर बॉक्स में न्यूट्रल गियर या न्यूट्रल कनेक्शन में डॉग क्लच किसी भी गियर से कनेक्ट नहीं होती है जिसके कारण गियर्स तो घूमते हैं मगर गियर्स का टार्क क्लच शाफ्ट में ट्रांसफर नहीं हो पाता है।

1st गियर connection

पहले गियर में पहली डॉग क्लच सबसे बड़े गियर a से कनेक्ट हो जाती है जिसके कारण क्लच shaft में टॉर्क ज्यादा व स्पीड कम ट्रांसफर होती है।

2nd गियर कनेक्शन

दूसरे गियर में दूसरी डॉग क्लच दूसरे बड़े गियर b से कनेक्ट हो जाती है जिसके कारण क्लच शाफ्ट में टॉर्क थोड़ा कम व स्पीड थोड़ी ज्यादा ट्रांसफर होती है।

3rd gear connection

तीसरे गियर कनेक्शन में दूसरी डॉग क्लच इंजन शाफ्ट के गियर C से कनेक्ट हो जाती है जिसके कारण क्लच शाफ्ट में टार्क बहुत कम व स्पीड बहुत ज्यादा ट्रांसफर होती हैं।

रिवर्स गियर कनेक्शन

रिवर्स गियर में पहली डॉग क्लच आइडियल गियर से जुड़े हुए गियर r से कनेक्ट हो जाती है जिसके कारण क्लच शाफ्ट का रोटेशन चेंज हो जाता है मतलब क्लॉक वाइज से एंटी क्लॉक वाइज हो जाता है।

कांस्टेंट मेश गियरबॉक्स का उपयोग

कांस्टेंट मेश गियरबॉक्स का उपयोग पहले के समय में फार्म ट्रक, मोटरबाइक एवं हेवी मशीनरी में यूज़ हुआ करता था। सिंक्रोमेश गियरबॉक्स के आने के बाद इसका उपयोग सन 1930 तक बहुत कम रह गया। आज के समय में कांस्टेंट मेश गियरबॉक्स का उपयोग नहीं होता है मगर कांस्टेंट मेश गियरबॉक्स के कुछ फायदे थे जिसके कारण यह गियरबॉक्स स्लाइडिंग मेश गियरबॉक्स से बेहतर काम करता था जैसे कि इसमें हेलीकल गियर का यूज होने के कारण वाइब्रेशन व आवाज बहुत कम आती थी, गियर्स के लगातार या हमेशा जुड़े रहने के कारण गियर्स के दांतो के टूटने की समस्या नहीं आती थी और ड्राइवर को गियर बदलने में भी आसानी रहती थी। इसके कुछ डिसएडवांटेज भी थे जैसे कि इसमें पावर एफिशिएंसी बहुत कम आती थी क्योंकि इसमें सारे गियर्स हमेशा कनेक्ट रहते है जिसके कारण पावर ट्रांसमिशन लॉस ज्यादा होता था।

Filed Under: Automobile, मैकेनिकल इंजीनियरिंग | Mechanical engineering

मैकेनिकल इंजीनियरिंग

  1. ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग
  2. Fluid Mechanics | द्रव यांत्रिकी
  3. मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस
  4. Theory of Machine | मशीन सिध्दांत
  5. Refrigeration and Air Conditioning
  6. Strength Of Material | द्रव्य सामर्थ्य
  7. Thermodynamics | उष्मागतिकी

Primary Sidebar

Recent Posts

  • ट्रांसफार्मर क्या है ? इसके भाग | उपयोग | प्रकार | चित्र सहित सिद्धांत
  • MCB क्या है ? प्रकार | Full Form | वोर्किंग | फायदे – नुकसान
  • Keyboard shortcut Keys In Hindi | हिंदी में
  • GPS क्या है ? कैसे काम करता है ? उपयोग | इतिहास
  • Flywheel या गतिपाल पहिया क्या है । प्रकार

विषय

  • भौतिक विज्ञान
  • मैकेनिकल इंजीनियरिंग
  • इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग
  • इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग
  • रसायन विज्ञान
  • जीव विज्ञान 
  • कंप्यूटर 
  • इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स

श्रेणियां

  • Android (1)
  • Android Studio (1)
  • Applied Mechanics (1)
  • Arduino (49)
  • AutoCAD Tutorial (11)
  • Automobile (22)
  • Basic (1)
  • Biology Quiz In Hindi (1)
  • Chemistry (34)
  • Chemistry Quiz (2)
  • computer Tricks (1)
  • COVID 19 (1)
  • Design Of Machine Elements (1)
  • DIY (25)
  • Drone (1)
  • Education (2)
  • Element (1)
  • Engineering Project (48)
  • Fluid Mechanics (5)
  • Google services (5)
  • History (1)
  • Hollywood Entertainment (7)
  • Home Automation (9)
  • JOBS | (1)
  • LEARN COMPUTER | कंप्यूटर सीखें (22)
  • make Money online (1)
  • Marvel (1)
  • Material Science (3)
  • Mechanical Engineering (48)
  • Networking (1)
  • physics (148)
  • Physics | भौतिक विज्ञान (31)
  • Physics भौतिक विज्ञान Quiz test (1)
  • radioactivity (5)
  • Refrigeration and Air Conditioning (6)
  • Rotational motion of rigid body (1)
  • search engine optimization (3)
  • sensors (1)
  • software (1)
  • Solar Energy (1)
  • Solar system (2)
  • Space (5)
  • Strength Of Material (6)
  • Tech Notes (19)
  • Theory of Machine (9)
  • Thermodynamics | उष्मागतिकी (6)
  • Uncategorized (53)
  • Videos (1)
  • Voice Control (3)
  • wave motion or sound (1)
  • website (5)
  • आईटीआई (1)
  • आप और हम (1)
  • इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट बनाना (14)
  • इतिहास (2)
  • इतिहास | HISTORY (4)
  • इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग (93)
  • इलेक्ट्रिकल प्राथमिक (1)
  • इलेक्ट्रॉन और फोटॉन (3)
  • इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेन्ट (29)
  • इलेक्ट्रॉनिक प्राथमि (1)
  • ऊष्मा (1)
  • एयरोस्पेस इंजीनियरिंग (1)
  • एयरोस्पेस इंजीनियरिंग (1)
  • किरण प्रकाशकी (17)
  • गति एवम गति के नियम (5)
  • गैसीय नियम (1)
  • घर पर (1)
  • जीव विज्ञान । Biology (17)
  • ठोस अवस्था (3)
  • ठोस और अर्धचालक युक्तियाँ (4)
  • तरंग प्रकाशिकी (3)
  • द्रवस्थैतिकी एवम आ‍र्किमिडीज का सिद्धांत (2)
  • धारा के चुम्बकीय प्रभाव और चुम्बकत्व (12)
  • धारा विद्युत (10)
  • प्रतियोगी परीक्षा (13)
  • प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए फिजिक्स (26)
  • प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए रसायन विज्ञान (20)
  • बल (1)
  • ब्रह्मांड (8)
  • मापन (2)
  • मापन के यन्त्र (9)
  • मैकेनिकल इंजीनियरिंग | Mechanical engineering (54)
  • मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस (13)
  • रासायनिक बलगतिकी (1)
  • रासायनिक सूत्र (10)
  • विद्युत चुम्बकीय तरंगें एवम तरंग प्रकाशिकी (5)
  • विद्युत चुम्बकीय प्रेरण और प्रत्यावर्ती धारा (5)
  • विद्युत धारा का उष्मीय प्रभाव (2)
  • विलयन (2)
  • वृत्तीय गति (1)
  • वेबसाइट | ब्लॉग्गिंग (5)
  • वैज्ञानिक उपकरण (4)
  • वैद्युत रसायन (4)
  • वैधुत रसायन (3)
  • सतह रसायन (1)
  • स्थिर विद्युत (7)

Footer

सोशल मीडिया पर जुड़ें

  • Telegram 
  • Facebook
  • Twitter
  • Instagram
  • Youtube

बनाना सीखें

  • ड्रोन कैसे बनाएं ?
  • रोबोट कैसे बनाएं ?
  • वेबसाइट कैसे बनाएं ?
  • एंड्राइड एप कैसे बनाएं ?

हमारे बारे में

इस जगह आप हिंदी में इंजीनियरिंग ,फिजिक्स,केमिस्ट्री,बायोलॉजी,कंप्यूटर etc सीख सकते हो |

Mechanic37 2015 - 2022

  • साइटमैप
  • संपर्क करें
  • हमारे बारे में
  • विज्ञापन दें