पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए ओजोन परत क्यों आवश्यक है
ओजोन परत और आवश्यकता
आज के इस टॉपिक में हम वायुमंडल में उपस्थित एक बहुत ही महत्वपूर्ण परत जिसे ओजोन परत के नाम से जाना जाता है उसके बारे में समझने का प्रयास करेंगे जिसमे हम देखेंगे की ओजोन परत क्या है तथा पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए ओजोन परत क्यों आवश्यक है इसके अलावा हम यह भी देखेंगे की ओजोन परत का क्षरण क्यों हो रहा है और वो कोन कोन से कारक होते है जो इसका क्षरण करते है
तथा इसके क्षरण से होने वाले दुष्प्रभावो के बारे में भी समझेंगे अर्थात ओजोन परत के क्षरण से अलग अलग जीवों पर क्या प्रभाव पड़ते है जिसमे मानव पर प्रभाव , पोधों पर प्रभाव तथा पृथ्वी पर रहने वाले अन्य जीवों पर प्रभाव को समझेंगे | तो चलिए समझना शुरू करते है की ओजोन परत क्या है और पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए ओजोन परत क्यों आवश्यक है
पृथ्वी की सतह से लगभग 20 से 40 किलोमीटर की दुरी पर ओजोन गैस के अणुओं से मिलकर बनी एक परत होती है जिसे ओजोन परत कहते है यह इसलिए पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए आवश्यक है क्योंकि यह सूर्य से आने किरणें जिनमे उपस्थित पराबेंगनी हानिकारक किरणों से पृथ्वी पर रहने वाले जीवों जैसे मनुष्य , पेड पोधे , जानवर तथा जलीय जंतु आदि की रक्षा करती है यह परत इन पराबेंगनी किरणों को अवशोषित कर लेती है जिससे इन सभी जीवों , पोधों तथा जन्तुओ की रक्षा होती है |
क्योंकि अगर ये पराबेंगनी घातक किरणें पृथ्वी पर पहुँच जाए और मनुष्य पर पड़ जाए तो मनुष्य में त्वचा केंसर और अन्य घातक बीमारियाँ हो जाती है तथा अगर ये किरणें पोधो पर पड़ जाए तो पोधों की वृद्धि तथा विकास रुक जाता है तथा फूलो को मुरझा देती है तथा ये किरणें जलीय जीवो पर भी विपरीत प्रभाव डालती है तो इन सभी दुष्प्रभावों से बचने के लिए ओजोन परत पृथ्वी पर रह रहे जीवों के लिए बहुत आवश्यक है |
लेकिन मानवीय गतिवधियों के कारण इस परत का क्षरण भी हो रहा है तो अब हम समझते है की जब यह परत हमारे लिए इतनी आवश्यक है तो इसका क्षरण क्यों हो रहा है और वो कोनसे कारक है जिनकी वजह से इसका क्षरण हो रहा है |
ओजोन परत का क्षरण
ओजोन परत का क्षरण ज्यादातर मानवीय गतिविधियों के कारण ही हो रहा है जिसके कारण यह परत लगातार पतली होती जा रही है और जिसके चलते इसमें कही – कही पर छेद भी हो गया है इसे ही ओजोन क्षरण कहा जाता है इसमें अनेक मानवीय गतिविधियाँ शामिल है जैसे की अनेक केमिकल्स का उपयोग करना , फेक्ट्रीयों से निकलने वाला धुआं तथा अन्य बड़े उद्योगों से निकलने वाला केमिकल , तथा साथ ही साथ वाहनों से निकलने वाला धुआं आदि गतिविधियाँ शामिल है | तो अब हम देखते है की वो कोन – कोन से कारक होते है जो इस इस परत का क्षरण करते है |
जिन रसायनों के कारण इस परत का क्षरण होता है उन रसायनों को ओजोन क्षरण पदार्थ कहा जाता है जिसमे मुख्य रूप से क्लोरो फ्लोरो कार्बन गैस (CFC ) , हैलोन , कार्बन टेट्रा क्लोराइड ( CCL4 ) , मिथाइल क्लोरोफोर्म , मिथाइल ब्रोमाइड आदि रासायनिक पदार्थ शामिल है जो इस परत को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते है |
और ये सभी कारक मानव की गतिविधियों से ही उत्पन्न होते है | जैसे की जब हम फ्रीज , एयर कंडीशनर ( AC ) जैसे उपकरणों का उपयोग करते है तो इन उपकरणों के उपयोग के दौरान फ्लोरो कार्बन गैस (CFC ) निकलती है जो की इस परत के क्षरण के लिए उत्तरदायी होती है | तथा कुछ गैसे जो ओद्योगीकरण के कारण उत्पन्न होती है ये भी ओजोन क्षरण के लिए उत्तरदायी होती है |
ओजोन परत के क्षरण के दुष्प्रभाव
अब हम समझते है कि इसके क्षरण से क्या क्या दुष्प्रभाव होते है जब इस परत का क्षरण होता है तो सूर्य से आने वाली पराबेंगनी हानिकारक किरणें सीधे पृथ्वी पर पहुँच जाती है जिससे ये मानव , पोधो तथा अन्य जीवों पर विपरीत प्रभाव डालती है जैसे की
जब ये किरणें मनुष्य की त्वचा को छूती है तो इससे त्वचा केंसर जैसी घातक बिमारी हो सकती है तथा त्वचा को रुखा और झुर्रियां वाला बना देती है तथा ये आँखों की रोशनी को भी प्रभावित करती है | इसके अलावा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना तथा साँस लेने में तकलीफ होना , सीने में दर्द होना , गले में जलन होना और फेफड़ो की कार्यप्रणाली प्रभावित होना अन्य बीमारियाँ शामिल है इस प्रकार मनुष्य के ऊपर विपरीत प्रभाव डालती है |
तथा जब ये किरणें पोधो पर पड़ती है तो उनकी वृद्धि रुक जाती है और उनका विकास होना रुक जाता है ये पोधो की पत्तियों के आकार को छोटा कर देती है और पोधो के अंकुरित होने की क्षमता को कम कर देती है इसके अलावा ये किरणें पोधों में लगने वाले फूलों के समय को भी बदल सकती है इस प्रकार ये किरणें पोधो पर प्रभाव डालती है |
इसके अलावा जब ये किरणें समुद्र के अन्दर प्रवेश करती है तो जलीय जीवों के जीवन पर भी विपरीत प्रभाव डालती है तथा कुछ सूक्ष्म जलीय पोधों को नष्ट कर सकती है तथा समुद्री पारिस्थिक तंत्र को भी ये किरणें प्रभावित करती है और कुछ जीवो को भी नष्ट कर देती है ये सूक्ष्म जीव वायुमंडलीय कार्बन डाई ऑक्साइड को ऑक्सीजन में बदलने का काम करते है |
इस प्रकार ओजोन परत के क्षरण होने के कारण पराबेंगनी किरणें जब पृथ्वी पर पहुँचती है तो ये सभी प्रकार के जीवन जिसमे मनुष्य तथा अन्य जिव तथा पेड़ पोधों और समुद्री जलीय जीवों के ऊपर भी विपरीत प्रभाव डालती है |
ओजोन परत का क्षरण रोकने के प्रयास
जब यह परत हमारे जीवन के लिए इतनी महत्वपूर्ण है तो निश्चित तोर पर इस परत के क्षरण को रोकने के लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करने चाहिए जिससे की आने वाले समय में सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबेंगनी किरणों से होने वाले दुष्प्रभावो से बचा जा सके इसके लिए हमें निम्न प्रयास करने चाहिए –
1 . हमें फ्रीज , AC तथा अन्य कंडीशनर का उपयोग कम से कम करना चाहिए जिससे की क्लोरो फ्लोरो कार्बन गैस (CFC ) गैस कम से कम वातावरण में पहुंचे और इस परत का नुकसान कम हो तथा साथ ही इन उपकरणों के उपयोग के दौरान यह भी ध्यान रखे की क्लोरो फ्लोरो कार्बन गैस वायुमंडल में मुक्त होने के बजाय उसका पुनर्चक्रण हो |
2 . वाहनों का प्रयोग कम से कम करना चाहिए तथा उद्योगों से निकलने वाली गेसो को भी नियंत्रित करना चाहिए जिससे की इनसे निकलने वाली हानिकारक गेसो और रसायनों से ओजोन क्षरण को रोका जा सके |
3 . रासायनिक कीटनाशकों का प्रगोग कम से कम करना चाहिए |
4 . वृक्षों की कटाई को रोकना चाहिए ताकि पर्यावरण में संतुलन बना रहे तथा अधिक से अधिक वृक्षों को लगाने के प्रयास करने चाहिए |
आदि
इस प्रकार के अनेक प्रयास हमें करने चाहिए जिससे की ओजोन परत का क्षरण न हो |
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