इस article मे हम उष्मा गति के नियमों के बारे में विस्तृत अध्ययन करेंगे इसमें हम ऊष्मागतिकी के शुन्य नियम, प्रथम नियम, द्वितीय नियम, तृतीय नियम को उदाहरण सहित समझने का प्रयास करेंगे
ऊष्मागतिकी के नियम-
ऊष्मागतिकी के चार नियम होते है जो निम्न प्रकार है
- ऊष्मागतिकी का शुन्य नियम
- ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम
- ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम
- ऊष्मागतिकी का तृतीय नियम
ऊष्मागतिकी का शुन्य नियम –
ऊष्मागतिकी का शुन्य नियम के अनुसार यदि कोई दो निकाय A व B किसी तीसरे निकाय C के साथ ऊष्मीय साम्यावस्था अवस्था में है तो A व B भी एक दूसरे के साथ साम्यावस्था मे होंगे
उदाहरण –
माना कोई दो पिंड A व B ऊष्मीय साम्यावस्था मे है जिनका तापमान 15⁰C है इनके संपर्क में एक अन्य पिंड C स्थित है जिसका ताप 30 डिग्री सेल्सियस है तो कुछ समय पश्चात इन तीनों पिंडों का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस हो जाएगा
ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम –
ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम ऊर्जा के संरक्षण नियम का रूप है इसके अनुसार ऊष्मा को ना नष्ट किया जा सकता है और उत्पन्न किया जा सकता है बल्कि इसे एक रूप से दूसरे रूप मे बदला जा सकता है
यदि किसी निकाय को ΔQ ऊष्मा दी जाए तो यह ऊष्मा दो कार्यो मे खर्च होती है पहला निकाय की आंतरिक ऊष्मा को बढ़ाने में ΔU के रूप मे और और दूसरा निकाय का बाह्य कार्य करने मे ΔW के रूप मे
अतः ΔQ = ΔU – ΔW
उदाहरण –
ऊष्मा इंजन जो ऊष्मा इंजन को यांत्रिक ऊर्जा मे बदल देता है
ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम की सीमाए –
- यह नियम ऊष्मा मे प्रवाह की दिशा को बताने में असमर्थ रहा
- यह नियम ऊष्मा की कितनी मात्रा कार्य में रूपांतरित होती है यह नही बता पाया
- यह नियम यह भी नहीं बता पाया की ऊष्मा किन परिस्थितियों में कार्य में रूपांतरित होती हैं
ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम –
ऊष्मा गति का द्वितीय नियम प्रथम नियम की कमियों को दूर करता है यह नियम दो कथनो पर आधारित है
केल्विन व प्लान का कथन –
इस कथन के अनुसार ऐसे किसी भी इंजन का निर्माण संभव नहीं है जो कार्यकारी पदार्थ को अवशोषित ऊष्मा को पूर्ण रूप से कार्य में परिवर्तित कर सकें
क्लासियस का कथन –
इस कथन के अनुसार कार्यकारी पदार्थ से ऊष्मा का प्रसार निम्न ताप वाली वस्तुओं से उच्च ताप वाली वस्तु की ओर होना संभव नहीं है
उदाहरण –
मोटर साइकिल का इंजन
ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम की सीमा –
यह नियम यह समझाने में असमर्थ रहा कि ऊष्मा का प्रसार निम्न ताप से उच्च ताप की ओर क्यों नहीं हो सकता
ऊष्मागतिकी का तृतीय नियम –
इस नियम के अनुसार एक पूरी तरह से क्रिस्टलीय ठोस की एंट्रोपी शून्य ताप पर शुन्य होती हैं
ऊष्मागतिकी का तृतीय नियम की सीमा –
यह नियम सभी क्रिस्टलीय ठोसो पर लागू नहीं होता है जैसे CO, H₂O आदि
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