पदार्थ का अणुगति सिद्धांत
वे सभी चीजे जो स्थान घेरती है तथा द्रव्यमान रखती है, पदार्थ कहलाती है।
पदार्थ के अणुगति सिद्धांत के अनुसार सभी पदार्थ बहुत छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना होता है। ये अणु अथवा परमाणु अपने बीच कुछ रिक्त स्थान रखते है । तथा उस रिक्त स्थान में निरंतर गति करते रहतें है। पदार्थ के अणुओं यह गति अनियमित होती है अर्थात अणुओं की गति के दौरान उनकी चाल व दिशा बदलती रहती है । पदार्थ के अणुगति सिद्धांत की मदद से पदार्थेां के बीच उष्मा ,दाब , ताप ,आयतन आदि के आधार पर संबंध स्थापित किया जाता है। पदार्थ का अणुगति सिद्धांत पदार्थ के व्यवहार को समझने सहायता करता है।
अणुगति सिद्धांत की कुछ अवधारणायें
⦁ प्रत्येक पदार्थ बहुत ही सूक्ष्म कणों से मिलकर बनता है जिन्हे अणु कहा जाता है।
⦁ अणुओं के मध्य कुछ रिक्त स्थान मौजूद रहता है जिसे अन्तराणुक अन्तराल कहा जाता है ।अन्तराणुक अन्तराल की तुलना में अणुओं का आकार बिल्कुल नगण्य रहता है।
⦁ पदार्थ के अणु सभी संभव दिशाओं में निरंतर गति करते रहते है अणुओं की इस गति के आधार पर ही उनके भोतिक स्वरूप (ठोस ,द्रव अथवा गैस) का निर्धारण होता है ।गैसों के अणुओ के बीच मौजूद रिक्त स्थान ठोस अथवा द्रव के अणुओं कें बीच उपस्थित रिक्त स्थान की तुलना में अधिक होता है तथा गैस के अणुओं की गतिज उर्जा भी ठोस अथवा द्रव के अणुओं से अधिक होती है ।जिसके कारण गैस का कोई निश्चित आकार तथा आयतन नही होता है । इसी प्रकार द्रव के अणुओ के बीच रिक्त स्थान ओर अणुओं की गतिज उर्जा का मान ठोस से अधिक किन्तु गैस के अणुओ की तुलना में कम होता है जिससे द्रव का आयतन तो निश्चित होता है किन्तु द्रवो का आकार निश्चित नही होता है इसलिये बे जिस पात्र में डाले जाते है उसी का आकार ग्रहण कर लेते है।जबकि ठोसो के बीच मौजूद रिक्त स्थान व उनकी गतिज उर्जा के कारण उनका आकार ओर आयतन दोनों ही निश्चित होता है।
⦁ पदार्थ के अणुओ के बीच एक बल कार्य करता है जिसे अन्तराण्विक बल कहते है।तथा इस बल की प्रक्रति विद्युतीय होती है।
⦁ किन्ही दो अणुओं के बीच होने बाली टक्कर पूर्णत: प्रत्यास्थ तथा क्षणिक होती है ।टक्कर के बाद अणुओं के बीच कोई आकर्षण या प्रतिकर्षण बल कार्य नही करता है।
बॉयल का नियम
सन् 1660 में अग्रेंज वैज्ञानिक राबर्ट बायल गैस के ताप , दाब तथा आयतन के बीच होने बाले परिवर्तन का विस्तार से अध्ययन किया और नियम प्रतिपादित किया जिसे बॉयल का नियम कहते है।
इसके अनुसार,’’ स्थिर ताप पर किसी गैस के निश्चित द्रव्यमान का आयतन उसके दाब के व्युत्क्रमानुपाती होता है’’
यदि हम स्थिर ताप को T निश्चित द्रव्यमान का दाब P और आयतन को V मानें तब बॉयल के नियमानुसार ,
V∝
V=K
PV= K
यहॉं K एक स्थिरांक है। अर्थात स्थिर ताप पर किसी गैस के निश्चित गैस के निश्चित द्रव्यमान के दाब और आयतन का गुणफल एक नियतांक के बराबर होता है।
जब हम अलग अलग गैस के अलग –अलग आयतन ले तो
P1V1=P2V2=P3V3=K
निम्न दाब ओर उच्च ताप पर सभी गैसें बॉयल के नियम का पालन करती है ।
चार्ल्स का नियम
सन् 1877 में फ्रासिंस वैज्ञानिक जे चार्ल्स ने स्थिर दाब पर गैसों का आयतन परमताप के बीच संबध के आधार पर नियम प्रतिपादित किया जिसे चार्ल्स का नियम कहते है।
इस नियम के अनुसार ,
“स्थिर दाब पर किसी गैस के निश्च्ति द्रव्यमान का आयतन उसके परम ताप के अनुत्क्रमानुपाती होता है।
यदि स्थिर दाब P पर किसी गैस के निश्चित द्रव्यमान का आयतन V व परम ताप T हो तो चार्ल्स के नियम से ,
V∝T
V=KT
निश्चित द्रव्यमान की गैस का स्थिर दाब पर आयतन और परमताप का अनुपात स्थिरांक होता है ।
V1,V2,V3 अलग-अलग गैस के आयतन है
T1,T2,T3 गैसो के अलग-अलग तापमान
K स्थिरांक
वैज्ञानिक चार्ल्स ने स्थिर दाब पर किसी गैस की निश्चित मात्रा के ताप में परिवर्तन करने पर आयतन में परिवर्तन के लिये एक और संबंध स्थापित किया जो इस प्रकार है
‘स्थिर दाब पर किसी गैस की निश्चित मात्रा के ताप को 1 डिग्री सेल्सियस बढाने पर उसका आयतन 0 डिग्री सेल्सियस वाले आयतन का वॉं भाग बढ जाता है’
यहॉ
Vt = t डिग्री सेल्सियस पर गैस का आयतन
Vo=0 डिग्री सेल्सियस पर गैस का आयतन
t=ताप में परिवर्तन
यदि गैस का ताप -273 °C कर दिया जाये तो गैस का आयतन शून्य हो जायेगा। अत: इस तापमान को परमशून्य ताप कहते है जिसकी एस आई पद्धिति मे इकाई केल्विन होती है।
गैलूसाक का दाब नियम
यह नियम जोसेफ गेलूसैक ने प्रतिपादित किया । उन्होनें गैस की निश्चित मात्रा का स्थिर आयतन पर दाब व परम ताप में संबंध बताता है।
इसके अनुसार ‘ स्थिर आयतन पर किसी गैस के निश्चित द्रव्यमान का दाब उसके परमताप के समानुपाती होता है।‘
P∝T
P=KT
इसके अलावा किसी गैस के स्थिर आयतन पर गैस के निश्चित द्रव्यमान के ताप को 1°C बढाने पर उसका दाब 0°C के दाब का वॉं भाग होता है।
यदि 0°C पर किसी गैस का दाब तथा T°C पर दाब P है तब इस नियमानुसार
इसे एमन्टन नियम भी कहते है।
ऐवोगाद्रो का नियम
ताप व दाब की समान परिस्थितियों में गैसों के समान आयतन में अणुओं की संख्या समान होती है।
गणितीय रूप में ,
V∝n
n=मोलों की संख्या
प्रत्येक गैस के अणुभार अर्थात् एक ग्राम अणु द्रव्यमान का आयतन एस टी पी पर 22.4 लिटर होता है । एवोगाद्रो नियम से समान ताप,समान दाब पर गैसों के समान आयतनो में अणुओ की संख्या समान होती है। अत: एन टी पी पर प्रत्येक गैस के 22.4 लिटर या 1 ग्राम अणु द्रव्यमान में अणुओं की संख्या भी समान होती है। जिसे एवोगाद्रो संख्या कहा जाता है। इसका मान होता है।
आदर्श गैस
आदर्श गैस हम उन गैसों को कहते है जो ताप और दाब की निश्चित दशाओं पर गैस नियमों जैसे बॉयल का नियम , चार्ल्स का नियम , एवोगाद्रो के नियमो का पूर्णत: पालन करती है। आदर्श गैस कहलाती है।
आदर्श गैस के गुण
⦁ आदर्श गैस गैस नियमों का पालन करती है।
⦁ आदर्श गैस के अणुओं के मध्य कोई आकर्षण बल कार्य नहीं करता है।
⦁ आदर्श गैस के आयतन प्रसार गुणांक और दाब प्रसार गुणांक के मान समान होते है।
⦁ आदर्श गैस के अणु अत्यंत सूक्ष्म अर्थात् इनके अणुओं का आकार गैस के आयतन की तुलना में नगण्य होता है।
आदर्श गैस को कभी भी ठोस व द्रव अवस्था मे नही बदला जा सकता है क्योकि आदर्श गैस के के अणुओ मे अंतरा आणविक बल शून्य होतो है जबकी ठोस व द्रव के अणुओ मे अंतरा आणविक बल पाया जाता है जो अणुओ को आपस मे बंधे रखता है
आदर्श गैस समीकरण
किसी गैस के दाब p आयतन V और परम ताप T में संबंध दर्शाने वाले समीकरण को हम गैस समीकरण कहतें है।
pV=RT
यहा R एक स्थिरांक है जिसे सार्बभोमिक गैस नियतांक कहतें है। जिसका मान एस.आई पद्धिति में 8.314 जूल/कैल्विन मोल होता है।
यदि किसी गैस के निश्चित आयतन में मोलो की संख्या n हो तब
pV=nRT
यही आदर्श गैस समीकरण है।
यदि दाब p1 ओर ताप T1 पर किसी गैस का आयतन V1 और दाब p2 व ताप T2 पर आयतन V2 है तो आदर्श गैस समीकरण के अनुसार,
अथवा
इसे सामान्य गैस समीकरण अथवा संयुक्त गैस नियम भी कहते है।
कुछ महत्वपुर्ण परिक्षापयोगी तथ्य जिन पर विगत बर्षो की परिक्षाओं में प्रश्न पूछे गये है।
⦁ परम शून्य ताप वह ताप है जिस पर गैस के समस्त अणुओं की गति शून्य हो जाती है। परम ताप का मान कभी ऋणात्मक नहीं हेा सकता है।
⦁ किसी गैस के अणुओं का वर्ग माध्य मूल वेग गैस के परम ताप के समानुपाती होता है। अर्थात् किसी गैस के अणुओं की गति जितनी अधिक होगी ,गैस का ताप उतना ही अधिक होगा।
⦁ प्रत्येक गैस आदर्श गैस के समान व्यवहार निम्न दाब और उच्च ताप पर करने लगती है। वास्तव मे केाई गैस आदर्श गैस नहीं होती है।
⦁ गैस के अणुओं की गति पर गुरूत्वाकर्षण बल का केाई प्रभाव नही पडता है।
⦁ प्रत्येक गैस के एक ग्राम अणु द्रव्यमान का आयतन एस टी पी पर 22.4 लिटर होता है जिसे ग्राम अणु द्रव्यमान आयतन अथवा मोलर आयतन कहते है।
अणु गति सिद्धांत के अनुसार गैस के लिए दाब का सूत्र – P= 1/3mN/V . v⁻² होता है
आदर्श गैस के लिए ताप व घनत्व मे संबंध P/d = नियतांक होता है
मुझे आशा है आपको सब समझ आया होगा इस page को शेयर जरूर करें नीचे बटन है और कोई प्रश्न या सुझाव हो तो comment में लिखें
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