सोनार क्या है ? यह कितने प्रकार का होता है | इसके उपयोग
सोनार
आज के इस टॉपिक में एक ऐसी टेक्नोलॉजी के बारे में पड़ेंगे जो की वैज्ञानिक क्षेत्र की एक बहुत ही महत्वपूर्ण एव उपयोगी खोज है | इसे हम सोनार ( Sonar ) के नाम से जानते है | इसका पूरा नाम Sound Navigation And Ranging होता है | तथा इसका उपयोग करके समुद्र के अन्दर वस्तुओ की खोज के लिए इसका उपयोग किया जाता है |
तो आज के इस टॉपिक में हम सोनार सिस्टम के बारे में डिटेल में पड़ेंगे की यह क्या होता है | यह कीतने प्रकार का होता है | यह किस तरह काम करता है | तथा किस प्रकार इसका उपयोग किया जाता है तथा कहा पर इसका उपयोग किया जाता है | इन सब बातो को हम एक एक करके विस्तार पूर्वक पड़ेंगे | तो सबसे पहले हम देखते है की यह क्या होता है और कहा इसका उपयोग किया जाता है |
सोनार एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जो की Voice ट्रांसमिशन के सिद्धांत पर आधारित टेक्नोलॉजी होता है | यह एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जो समुद्र की गहराई में स्थित किसी वस्तु जैसे की समुद्री जहाज के मटेरियल , चट्टानें आदि चीजो का पता पता लगाने के लिए के उपयोग की जाती है | इन सब का पता लगाने के लिए इसमें अल्ट्रा सोनिक तरंगो का उपयोग किया जाता है |
इस टेक्नोलॉजी में ट्रांस ड्युसर सिस्टम का उपयोग होता है | एक सोनार सिस्टम ट्रांस ड्युसर कि सहायता से साउंड वेव को भेजता है तथा ये वेव समुद्र के अन्दर की गहराई तक जाती है तथा जिस वस्तु का पता लगाने के लिए इनको भेजा जाता है , उसका पता लगाकर वापस ट्रांस ड्युसर तक आती है | तथा ट्रांस ड्युसर इस वेव के द्वारा लिए गए समय का मापन करता है |
अब इन प्राप्त आंकड़ो की सहायता से उस वस्तु जो की समुद्र के अन्दर है उसके और सोनार सिस्टम के बिच की दूरी का मापन किया जा सकता है | अर्थात इस प्राप्त समयांतराल के द्वारा उस वस्तु की दुरी की गणना की जा सकती है तथा साउंड की स्पीड का पानी के अन्दर मापन भी किया जा सकता है | तथा उस वस्तु की स्थति उसकी दिशा तथा उसकी रेंज के बारे में भी पता लगाया जा सकता है |
अब हम बात करेंगे इसके प्रकार के बारे में की ये कितने प्रकार के होते है |
सोनार के प्रकार
अगर हम सोनार सिस्टम के प्रकार की बात करे दो ये मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है एक होता है एक्टिव सोनार सिस्टम तथा दूसरा होता है पैसिव सोनार सिस्टम | तो अब हम इनके बारे में समझते है की ये क्या होते है तथा किस प्रकार उपयोगी होते है |
एक्टिव सोनार
जब हम एक्टिव सोनार के बारे में बात करे तो हम यह देखते है यह एक ऐसा सिस्टम होता है जिसमे एक ट्रांसमीटर का उपयोग होता है तथा एक रिसीवर का | अर्थात इसमें ट्रांसमीटर की सहायता से पहले वेव को भेजा जाता है तथा फिर ये सिग्नल जब उस वास्तु से टकराकर वापस आते है तब इनको रिसीवर की सहायता से कलेक्ट कर लिया जाता है तथा इन सिग्नल की स्टडी करके उस वस्तु की स्थति, उसकी दिशा , उस वस्तु से इस सोनार सिस्टम की दूरी , उस वस्तु का आकार आदि की गणना की जाती है |
इसमें वैज्ञानिको के लिए विभिन्न तरीके के आंकड़ो की गणना करना इसलिए आसान हो जाता है क्योंकि वैज्ञानिक पानी में साउंड की गति को जानते है की किस गति से पानी में साउंड की गति होती हैं | जिससे की उस वस्तु तथा सोनार सिस्टम के बिच की दूरी की गणना की जा सकती है | इस प्रकार यह वर्क करता है |
पैसिव सोनार
अगर हम पैसिव सोनार सिस्टम की बात करे तो इसमें सिर्फ रिसीवर लगा होता है | तथा इस रिसीवर की सहायता से सिर्फ किसी वस्तु से टकराकर आने वाले सिग्नलों को ही कलेक्ट किया जाता है | सोनार सिस्टम की तरफ से कोई भी सिग्नल नहीं भेजा जाता है | और इस प्रकार केवल आने वाले सिग्नल को कलेक्ट करके उनकी स्टडी कि जाती है |
और फिर उसके आधार पर पता लगाया जाता है की कोई वस्तु इस सिस्टम से कितनी दूरी पर है | तथा इन सिग्नल की स्टडी करके उस वस्तु की स्थति, उसकी दिशा , उस वस्तु से इस सोनार सिस्टम की दूरी , उस वस्तु का आकार आदि की गणना की जाती है | इस प्रकार पैसिव सोनार सिस्टम वर्क करता है |
सोनार के उपयोग
अब हम सोनार सिस्टम के उपयोग के बारे में समझेंगे , वैसे तो यह टेक्नोलॉजी बहुत ही उपयोगी होती है तथा कई क्षेत्रो जैसे चिकित्सा वर्क , वैज्ञानिक वर्क , डिफेन्स वर्क , समुद्री वर्क आदि कई जगह पर इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है लेकिन हम यहा कुछ महत्वपूर्ण उपयोग के बारे में विस्तार से समझेंगे | जैसे की –
1 . इसका उपयोग करके समुद्र के अन्दर स्थित वस्तुओ की खोज जैसे की समुद्री जहाज के खो जाने पर उनके मटेरियल का पता लगाने तथा समुद्र के अन्दर स्थित चट्टानों आदि का पता लगाया जाता है |
2 . इसका सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण उपयोग सुरक्षा के क्षेत्र में होता है | जहा सोनार सिस्टम का उपयोग करके आर्मी के जवान दुश्मनों की गतिविधियों के बारे में पता लगाते है , इस सिस्टम का उपयोग करके पानी के अंदर दुश्मनों के स्थानों का पता भी लगाया जाता है |
3 . इस सिस्टम का उपयोग करके समुद्र के अन्दर होने वाली विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का पता भी लगाया जाता है , जैसे की अगर समुद्र के अन्दर भूकंप जैसी घटनाओ का पता लगाया जा सकता है जिससे पहले से ही उस क्षेत्र में होने वाले नुकसान को कम किया जा सके |
4 . इसका उपयोग करके समुद्र के अन्दर मछलियों की खोज भी की जाती है |
5 . समुद्र के अन्दर Depth Sounding में तथा समुद्र की गहराई का मापन करने के लिए भी सोनार का उपयोग किया जाता है |
6 . Doppler नेविगेशन के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है |
7 . समुद्र के अन्दर रस्ते का पता लगाने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है |
8 . चिकित्सा के क्षेत्र में भी इसका उपयोग करके शरीर के अन्दर होने वाले कई तरह की बीमारियों के बारे में पता लगाया जाता है जैसे की पेट रोग , ह्रदय रोग , कानो के रोग , स्त्री रोग आदि कई प्रकार के रोगों का पता लगाने के लिए इसका उपयोग सोनोग्राफी टेक्नोलॉजी के रूप में भी किया जाता है |
इस प्रकार हमने देखा के सोनार का उपयोग आज के इस दौर में व्यापक रूप से हो रहा है |
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