चालकता क्या है ? इसके प्रकार। धात्विक चालकता । विद्युत अपघटनीय चालकता । विशिष्ट चालकता । मोलर चालकता या आण्विक चालकता । तुल्यांकी चालकता । चालकता का मापन इन सभी की संपूर्ण जानकारी हम इस पोस्ट में लिखी है एवं चालकता से संबंधित सभी डाउट इस पोस्ट की माध्यम से क्लियर कर दिया जाएगा इनकी अधिक जानकारी के लिए इस पोस्ट को अंत तक पढ़िए । हमें विश्वास है कि आपके सभी डाउट क्लियर हो जाएंगे
चालकता
चालकता को हम निम्न प्रकार से परिभाषित कर सकते हैं किसी पदार्थ के विद्युत प्रतिरोध का व्युत्क्रम ही उस पदार्थ की चालकता कहलाता हैं अर्थात दूसरों शब्दों में हम कह सकते हैं कि जब किसी पदार्थ या धातु के तार में से जब विद्युत धारा प्रवाहित की जाए तो उसके मार्ग में कोई रुकावट पैदा ना हो अर्थात उस पदार्थ में लगातार विद्युत धारा प्रभावित होती रहे उसे ही हम उस पदार्थ की चालकता कहते हैं चालकता को हम सी द्वारा दर्शाते हैं चालकता के आधार पर ही किसी पदार्थ को हम चालकों, कुचालकों एवं अर्ध्दचालकों में वर्गीकृत कर सकते हैं इसको हम निम्न सूत्र के द्वारा परिभाषित करेंगे,
सूत्र :- C = 1/R [ R=Ω ]
C = 1/Ω या C = Ω-1
इसका SI मात्रक को हम सीमेंस कहते है तथा इसे S प्रतीक द्वारा प्रदर्शित किया जाता है अतः इसकी इकाई को हम Ω-1 या सीमेंस (S) या म्हो (mho) कहा जाता है
चालक | |
पदार्थ | चालकता |
सोडियम | 2.1×103 |
चाँदी | 6.2×103 |
लोहा | 1.0×103 |
सोना | 4.5×103 |
ताँबा | 5.9×103 |
कुचालक | |
काँच | 1.0×10-16 |
टेफ्लॉन | 1.0×10-18 |
अर्ध्दचालक | |
0.1 M HCL | 3.91 |
0.01 M KCL | 0.14 |
0.01 M NACL | 0.12 |
0.1 M HAC | 0.016 |
शुध्द जल | 3.5×10-5 |
जलीय विलयन | |
CUO | 1×10-7 |
Si | 1.5×10-2 |
Ge | 2.0 |
चालकता के प्रकार
इसके प्रकार निम्नलिखित हैं जैसे धात्विक चालकता और विद्युत अपघटनीय चालकता इन प्रकारों को हम आसानी से समझेंगें। धात्विक चालकता के अंदर हम इसके प्रभावित करने वाले कारक जैसे धातु तार की लंबाई, धातु के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल, संक्षारण का प्रभाव एवं तापमान का प्रभाव आदि के बारे में पढ़ेंगे जबकि विद्युत अपघटनीय चालकता के अंदर हम इसके प्रभावित करने वाले कारक जैसे आयनो की संख्या, आयनो का भार, अंतर आयनिक आकर्षण बल, सांद्रता का प्रभाव एवं इस पर तापमान का क्या प्रभाव पड़ता है आदि के बारे में पड़ेंगे ।
धात्विक चालकता
इसे हम निम्न प्रकार से परिभाषित कर सकते हैं जिस पदार्थ मैं विद्युत धारा का चलन या प्रभाव इलेक्ट्रॉनों के माध्यम से होता है अर्थात ऐसे पदार्थ जिनमें विद्युत धारा का प्रवाह इलेक्ट्रॉनों के प्रभाव के विपरीत दिशा में हो इस ही उस पदार्थ की धात्विक चालकता कहते है। इन पदार्थों के रासायनिक गुणों में किसी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं होता एवं इन धातुओं में चालकता सामान्य से अधिक पाई जाती है एवं इन धातुओं का तापमान बढ़ाने के कारण इनकी चालकता कम हो जाती है उदाहरण के लिए कुछ तत्व निम्न प्रकार है जैसे कॉपर, लोहा एवं सभी धातुओं में इनकी चालकता सामान्य से अधिक मापन की जाती है
धात्विक चालकता को प्रभावित करने वाले कारक
धातु के तार की लंबाई :- इस स्थिति में पदार्थ का चालकत्व उसकी लंबाई पर निर्भर करता है। क्योंकि जितनी अधिक तार की लंबाई होगी उसमें इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह की दुरी अधिक हो जाएगी जिस कारण उसके चालकता का मान कम हो जाएगा जबकि जितनी कम पदार्थ की लंबाई होगी उतना ही तेज इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह होगा जिससे उसकी चालकता बढ़ जाएगी। यह विद्युत प्रतिरोध के विपरीत कार्य करती है
धातु के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल :- यदि ऐसी स्थिति में हम यदि धातु का तार लेते हैं तो इस तार की चालकता उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल पर निर्भर करती है अर्थात यदि तार का अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल कम होगा तो इसकी चालकता अधिक होगी जबकि अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल अधिक होगा तो इसकी चालकता कम होगी।
संक्षारण का प्रभाव :- यह स्थिति में यदि धातु के तार पर उपस्थित संक्षारण पर निर्भर करती है। यह चालकता को बहुत अधिक प्रभावित करता है अर्थात यदि धातु पर अधिक जंग लगी होगी तो उसमें चालकता कम होगी जबकि धातु पर कम जंग लगी होगी तो उसकी चालकता अधिक होगी।
तापमान का प्रभाव :- इस स्थिति में चालकता धातु के तापमान पर निर्भर करती है अर्थात यदि धातु का तापमान बढ़ा दिया जाए तो उस धातु की चालकता कम हो जाती है जबकि धातु का तापमान कम कर दिया जाए तो उस धातु की चालकता बढ़ जाती है। तापमान के कारण इसके रासायनिक गुणों पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है।
विद्युत अपघटनीय चालकता
इसे हम निम्न प्रकार से परिभाषित कर सकते हैं यदि किसी पदार्थ या विलयन में विद्युत धारा का चालन या प्रवाह उनके आयनों के कारण होता है ऐसे ही हम उस पदार्थ या विलयन की विद्युत अपघटनीय चालकता कहते हैं। इस प्रक्रिया में इनके रासायनिक गुणों में बी परिवर्तन दिखाई देता है एवं इनकी चालकता धातु चालकता से कम होती है एवं जब हम इनका तापमान बढ़ा देते हैं तो इनकी चालकता भी बढ़ जाती है उदाहरण के लिए कुछ पदार्थ या विलयन निम्न प्रकार हैं जैसे पोटेशियम क्लोराइड, सोडियम क्लोराइड तथा अन्य विद्युत अपघट्य पदार्थ ।
विद्युत अपघटनीय चालकता को प्रभावित करने वाले कारक
आयनो की संख्या :- इस स्थिति मैं आयनो की संख्या अधिक होगी हो इसकी चालकता का मान भी अधिक होगा जबकि आयनो की संख्या जितनी कम होगी तो इसकी चालकता भी कम होगी क्योंकि जितने आयन होंगे उतनी ही विद्युत धारा प्रवाहित हो सकती है
आयनो का भार :- इस स्थिति मैं आयनो के भार का मान जितना अधिक होगा तो विद्युत अपघटनीय चालकता का मान भी उतना कम होगा क्योंकि जो भारी आयन होते हैं वे तेजी से गति नहीं कर पाते इसलिए इन की विद्युत अपघटनीय चालकता का मान कम होता है
अंतर आयनिक आकर्षण बल :- इस स्थिति में आयनों के बीच में जितना अधिक आकर्षण बल होगा तो उतनी कम मात्रा में विद्युत अपघटनीय चालकता का मान होगा यह इसलिए होता है जब आयनों के बीच आकर्षण बल लगता है तो इसके कारण इनके आयन गति नहीं कर पाते इसीलिए इसका मान कम होता है
सांद्रता का प्रभाव :- इस स्थिति में सांद्र विलयन में उपस्थित आई नो के मध्य कम गति होती है इसीलिए इस के विद्युत अपघटन ई चालकता का मान कम होता है अर्थात् जितना विलयन सांद्र होगा उसकी विद्युत अपघटनीय चालकता का मान भी उतना ही होगा ।
तापमान का प्रभाव :- ऐसी स्थिति में यदि सांद्र विलयन का तापमान बढ़ाते हैं तो जिसके कारण विलयन में उपस्थित आयनो की गति भी बढ़ जाती है इसीलिए तापमान बढ़ाने से विलयन की विद्युत अपघटनीय चालकता का मान भी बढ़ जाता है
विशिष्ट चालकता
विशिष्ट चालकता को निम्न प्रकार से परिभाषित कर सकते हैं इसे आसान भाषा में बोले तो विशिष्ट प्रतिरोध के व्युत्क्रम को ही हम विशिष्ट चालकता कहते हैं इसको हम ग्रीक भाषा का शब्द कोपा (K)अर्थात के K प्रतिक द्वारा निरूपित करते हैं एवं इस का SI मात्रक सीमेंस या Sm-1 होता है विशिष्ट चालकता ताप और दाब पर निर्भर करती है जिस ताप और दाब पर इसका मापन होता है विशिष्ट चालकता की इकाई Ω-1 cm-1 होती है
K=1/ ρ
ρ =RA/l [ इसका मान के मान मे रखने पर ]
K= 1/RA/l = l/RA [ l = 1 cm , A = cm2 ]
K = 1/R या K = C [ C = 1/R ]
विशिष्ट चालकता कि इकाई = K= l/RA अर्थात K = cm/Ωcm2 या K= 1/Ωcm या K= Ω-1 cm-1 या K = Scm-1
मोलर चालकता या आण्विक चालकता
मोलर चालकता या आण्विक चालकता को निम्न प्रकार से परिभाषित कर सकते हैं यदि एक मोर विद्युत अपघट्य पदार्थ को विलयन के आयतन में घोलने पर बनने वाले आयनो को प्रभावित की गई विद्युत धारा को ही हम मोलर चालकता या आण्विक चालकता कहते हैं मोलर चालकता को हम ग्रीक भाषा के शब्द लैंम्डा से निरूपित करते हैं इसे हम निम्न समीकरण द्वारा व्यक्त कर सकते हैं जैसे,
λm = K/C
यहाँ पर K = Sm-1 तथा C = mol m-3 तो λm का SI मात्रक Sm2mol-1 होता है तथा 1 mol m-3 का मान 1000(L m-3) × मोलरता (mol L-1) होता है
तुल्यांकी चालकता
तुल्यांकी चालकता को हम इस प्रकार से समझेंगे यदि यह ग्राम तुल्यांकी विद्युत अपघट्य को v विलयन के आयतन मे घोलने पर उस विलयन मे बनने वाले आयनों के द्वारा प्रवाहित की गई विद्युत धारा को ही हम तुल्यांकी चालकता कहते हैं अथवा हम कह सकते हैं की विशिष्ट चालकता और उस विलयन के आयतन का गुणनफल ही तुल्यांकी चालकता कहलाता है जिसमें हम 1 ग्राम तुल्यांक विद्युत अपघट्य को घोलते है इसे हम λeq प्रतीक के द्वारा दर्शाते हैं
λeq =K × V [ v = 1000/N ]
λeq =K ×1000/N [ N = नॉर्मलता ]
इस सूत्र की सहायता से हम तुल्यांकी चालकता की इकाई को निकाल सकते हैं
λeq =K × V [ v = 1000/N ]
λeq =K ×1000/N [ N = नॉर्मलता ]
λeq = Ω-1 cm-1 / eq L-1
λeq = Ω-1 cm-1 / eq cm-3
λeq = Ω-1cm2 eq-1 [eq = तुल्यांक ]
λeq = S cm2 eq
तुल्यांकी चालकता का SI मात्रक S cm2 eq होता है हम कुछ मोलर चालकता तथा तुल्यांकी चालकता के बीच जो संबंध है उनके बारे में पड़ेंगे
यहां पर λm = λeq होता है या कह सकते हैं कि मोलर चालकता तथा तुल्यांकी चालकता दोनों समान है जिन यौगिकों के अणु भार तथा उनका तुल्यांकी भार समान होता है इन के संबंध को हम ( λm = λeq ) से दर्शाते हैं
जिन यौगिकों के अणु भार तथा उनका तुल्यांकी भार सामान नहीं होता है तो इनके संबंध को हम ( λm = λeq/आवेश ) से दर्शाते हैं
चालकता का मापन
चालकता का मापन करने के लिए सबसे पहले हम उस विद्युत अपघट्य को लेते हैं जिसकी हमें चालकता ज्ञात करनी होती है उसके बाद हम सर्वप्रथम उसका एक विलयन तैयार करते हैं उससे एक सेल बनाते हैं जिसे हम सेल मैं हम व्हीट स्टोन ब्रिज की एक भुजा को जोड़ देते हैं उसके बाद फिर इस ब्रिज में 1000 cycle/sec की आवृत्ति की A.C. धारा को प्रवाहित किया जाता है तथा व्हीट स्टोन ब्रिज के दूसरे सिरे को उस सेल के दूसरी तरफ जोड़ देते हैं इसमें हम प्रतिरोधों को इस प्रकार से व्यवस्थित करते हैं कि गैल्वेनोमीटर का विक्षेप हमें शुन्य प्राप्त हो सके | इस पूरी प्रक्रिया में ताप को स्थाई रखते हैं तथा इस विधि से प्राप्त प्रतिरोध के व्युत्क्रम को ही उस विद्युत अपघट्य पदार्थ की चालकता कहा जाता है इसे हम निम्न सूत्र के द्वारा प्रदर्शित करते हैं जैसे
R= ( R1× R2 )/ R3
यहाँ पर R= अज्ञात प्रतिरोध तथा R1,R2,R3 ज्ञात प्रतिरोध है
कॉलरॉस का नियम
इस नियम को हम इस प्रकार से समझेंगे जैसे कि विद्युत अपघटन की चालकता को ज्ञात करने के लिए कॉलरॉस नामक वैज्ञानिक ने एक नियम का प्रतिपादन किया इस नियम के अनुसार जब अनंत तनुता पर किसी भी विलयन में विद्युत अपघट्य पदार्थों का पूरी तरह से धनायनों तथा ऋणायनों में टूट जाते हैं तथा इस स्थिति में हर एक आयन का मोलर चालकता में निश्चित भागीदारी होती है । इस पूरी प्रक्रिया को हम कॉलरॉस का नियम कहते हैं
इस नियम के उपयोग
दुर्लभ विद्युत अपघट्य की अनंत तनुता पर तुल्यांकी चालकता का निर्धारण :- इस नियम के प्रयोग से हम दुर्लभ विद्युत अपघट्य की तुल्यांकी चालकता एवं आणविक चालकता प्रबल विद्युत अपघट्य में धनायनों तथा ऋणायनों की चालकता के मान को निम्न सूत्र के द्वारा परिभाषित कर सकते हैं जैसे
वियोजन की मात्रा :- वियोजन की मात्रा को निम्न सूत्र के द्वारा परिभाषित कर सकते हैं जैसे
यह पोस्ट हमने कक्षा 12वीं के रसायन विज्ञान के पाठ 3 के वैद्युत रसायन से लिया है । हमें आशा है कि आपने चालकता की संपूर्ण जानकारी को अच्छे से पढ़ लिया होगा जैसे कि चालकता क्या है इसके प्रकार एवं चालकता को प्रभावित करने वाले कारकों के बारे में यदि आपको यह post अच्छी लगी हो तो नीचे दिए buttons की सहायता से अपने friends को share करें यदि इसी प्रकार की और information के लिए हम इसे subscribe करें कथा यदि कोई question हो तो हमें comment कर पूछ सकते हैं । धन्यवाद ।
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