इस article मे हम chemistry के एक बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक वात्या भट्टी के बारे मे सरल व आसान भाषा मे समझने का प्रयास करेंगे
वात्या भट्टी –
वात्या भट्टी का का उपयोग मुख्यतः लौहे के निर्माण के लिए लौह धातु को पिघलाने के लिए किया जाता है वात्या भट्टी मे पहले इंधन के रूप में कोयले का उपयोग किया जाता था
1709 मे अब्राहम डार्बी मे लकड़ी के कोयले की जगह कोक का सफलता पूर्वक उपयोग किया वात्या भट्टी का उपयोग लौहे और तांबे के लिए इसका उपयोग किया जाता है यह स्टील की बनी हुई चिमनीनुमा आकर की भट्टी होती है
इसके अंदर फायर प्रूफ इंटे लगी होती है यह बेलन के आकार की होती है जिसकी ऊंचाई 25 मीटर तक व चौड़ाई 6-8 मीटर तक होती है भट्टी का तापमान उपर से नीचे जाने पर बढ़ता है और भट्टी के नीचे दो निकास मार्ग होते हैं एक धातु मल के लिए और दूसरा गलित आयरन धातु के लिए
वात्या भट्टी को मुख्यतः 3 भागो मे बाँटा जा सकता है
- ऊपरी भाग
- मध्य भाग
- निचला भाग
1. ऊपरी भाग –
भट्टी के इस हिस्से को हॉपर कहा जाता है भट्टी के शीर्ष भाग पर कप की उचित पोस्ता होती है जिससे अयस्क को भट्टी मे धीरे – धीरे डाला जाता है
2. मध्य भाग –
भट्टी के इस भाग में दो नाले होते हैं जिन्हें ट्वीयर कहा जाता है तथा इस भाग मे एक छोटा सा माइक होता है जिससे व्यर्थ की गैसे बाहर निकाल दी जाती है
3 निचला भाग –
यह भाग भट्टी का तल भाग होता है जिस मे पिघली हुई धातु इकट्ठा होती रहती हैं नीचे दो निकास मार्ग होते हैं जिसमे से एक एक धातु मल के निकाला जाता है व दूसरे से पिघली धातु को बाहर निकाला जाता है
वात्या भट्टी मे होने वाली महत्वपूर्ण अभिक्रियाएँ इस प्रकार है
अपचयन क्षेत्र ( 673k- 943k) मे होने वाली आभिक्रिया
3Fe₂O₃ + CO = 2Fe₃O₄ + CO₂
fe₃O₄ + CO = 2FeO + CO₂
Fe₂O₃ + CO = 2feO + CO₂
यह आयरन ठोस प्रकृति का होता है इसे spongy iron कहा जाता है
- केंद्रीय क्षेत्र (1173k – 1473k ) मे होने वाली आभिक्रिया
CaCO₃ = CaO + CO₂
feO +CO = fe + CO₂
CaO + SiO₂ = CaSiO₃
- संगालित क्षेत्र (1373k -1573k) मे होनी वाली आभिक्रिया
CO₂ + C = 2CO
- दहन क्षेत्र (1773k -2173k) मे होने वाली आभिक्रिया
C + O₂ = 2CO₂
FeO + C = Fe + CO
धातु मल बहुत ही हल्का होता है इस लिए वह गली हुई घातु सतह पर तैरता रहता है जिससे बार बार हटा दिया जाता है
वात्या भट्टी से प्राप्त होने वाले लौहे को pig iron कहा जाता है pig iron मे 4% कार्बन , फास्फोरस सल्फेट ,सिलिकॉन मैग्नीज प्रकार की अशुद्धियां सूक्ष्म मात्रा में होती है
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