द्रवस्थैतिकी एवम आर्किमिडीज का सिद्धांत जिसमे दाब एवम इसके प्रकार जैसे वायु मंडलीय दाब तथा द्रव दाब,घनत्व और आपेक्षिक घनत्व,उत्पलावन बल,आर्कीमिडीज का सिद्धांत आदि की परिभाषाएं और सूत्र,मात्रक है पूरा पड़िए सब की डिटेल इस page पर है
दाब
दाब किसी सतह के लम्बवत् लगने वाले उस बल के बराबर होत है जो सतह के एकांक क्षेत्रफल पर कार्यरत हो।
अर्थार्त ‘सतह पर लगने वाला दाब उस सतह पर लगाये गये बल तथा सतह के क्षेत्रफल के अनुपात के बराबर होता है।
यह एक अदिश राशि है।इसे P से व्यक्त करते है।
इस प्रकार,
P=सतह पर लगने वाला दाब
F= सतह के लंबवत् लगने वाला बल
A=सतह का प्रष्ट्रिय क्षेत्रफल
दाब के सूत्र से यह स्पष्ट है कि क्षेत्रफल कम होने से दाब अधिक होगा तथा क्षेत्रफल अधिक होने पर दाब कम होता है।
उदाहरण:-मोटी सुई की तुलना मे पतली सुई शरीर की चमडी मे घुस जाती है क्योकि पतली सुई का क्षेत्रफल कम होता है जिससे वह अधिक दाब लगाती है जिससे पतली सुई चमडी में आसानी से घुस जाती है।
मात्रक
दाब का एस आई पद्धिति मे मात्रक पास्कल होता है
एक पास्कल दाब एक न्युटन के बल को इकाई क्षेत्रफल पर आरोपित करने पर उत्पन्न होता है
1 पास्कल =
इसे pa से दर्शाते है।
वायुमण्डलीय दाब
प्रथ्वी को चारो ओर से घेरे हुए आवरण को वायुमण्डल कहते है।अत: वायुमण्डलीय दाब उस दाब के बराबर होता है जो वायुमण्डल के द्वारा प्रथ्वी की सतह पर आरोपित किया जाता है।वायुमण्डलीय दाब का मान 1 सेमी ऊँचे पारे के स्तम्भ द्वारा लगाये गये दाब के बराबर होता है।
जिसका प्रथ्वी की सतह पर मान 1.013× न्युटन/वर्गमीटर होता है।
वायुमण्डलीय दाब के जरूरी मात्रक
1 न्युटन/=1 पास्कल
वायुमण्डलीय दाब को atm से व्यक्त किया जाता है।
1 atm=1.013× पास्कल होता है।
P वायुमण्डलीय दाब का मात्रक
वायुमण्डलीय दाब का मात्रक बार अथवा मिलीबार होता है।
1 बार = न्युटन/= पास्कल
1मिली बार = न्युटन/= पास्कल
1 टॅार =1 मिलीबार =133.8 पास्कल
मानक वायुमण्डलीय दाब का मान माध्य समुद्र तल पर वायु के द्वारा लगाये गये दाब के बराबर होता है, जिसका मान 101325 पास्कल होता है।
वायुमण्डलीय दाब का मापन मैनोमीटर नामक उपकरण द्वारा किया जाता है।ऊपर की ओर जाने पर 1000 फुट ऊपर जाने पर 1 इंच पारे के स्तम्भ के बराबर दाब में व्रद्धि होती है।
वायुमण्डलीय दाब के कुछ प्रमुख उदाहरण
वायुयान में बैठे यात्री के फाउंटेन पैन से स्याही इसलिये रिसने लगती है क्योंकि उपर जाने पर वायुमण्डलीय दाब का मान कम हो जाता है।जिससे कम दाब होन के कारण पैन के अन्दर भरी स्याही बाहर निकलने लगती है।
वायुमण्डलीय दाब के कम हेाने के कारण पर्वतारोही तथा उच्च रक्त चाप से पीडित व्यक्तियों को उॅंचाई पर जाने पर उनकी नाक से खून निकलने लगता है।ऐसा इसलिये होता है क्योकि वायुमण्डलीय दाब का मान शरीर के रक्तचाप से कम हो जाता है जिससे खून उच्च दाब से निम्न दाब (वायुमण्डलीय दाब्) की ओर प्रवाहित होने लगता है।
द्रव दाब
द्रव के अन्दर किसी बिन्दु पर प्रति इकाई क्षेत्रफल पर लगने वाले बल को द्रव का दाब ,द्रबदाब कहते है।किसी बिन्दु पर द्रव का दाब भी वायुमण्डलीय दाब की तरह सभी दिशाओ में समान रूप से लगता है। द्रव दाब का मान द्रव के घनत्व ,सतह से गहराई तथा गुरूत्वीय त्वरण पर निर्भर करता है। परन्तु यह बस्तु की आक्रति पर निर्भर नही करता है।
P=ρgh
P= द्रव दाब
g=गुरूत्वीय त्वरण
h=द्रव की सतह से बस्तु की गहराई
घनत्व
किसी पदार्थ का घनत्व उसके एकांक आयतन के द्रव्यमान को उसका घनत्व कहते है। यह बस्तु के द्रव्यमान और आयतन का अनुपात होता है । इसे ρ से प्रदर्शित कराते है। यह एक अदिश राशि है।
यहाँ पर
m= पदार्थ का द्रव्यमान
v=पदार्थ का आयतन
ρ=पदार्थ का घनत्व
घनत्व का मात्रक
घनत्व का एस आई पद्धिति मे मात्रक किग्रा/ होता है। पानी का घनत्व 4डिग्री सेल्सियस तापमान पर अधिकतम 1000 किग्री/होता है
आपेक्षिक घनत्व
जल के सापेक्ष किसी बस्तु का घनत्व उसका आपेक्षिक घनत्व कहलाता है । किसी पदार्थ का घनत्व और 4 डिग्री सेल्सियस तापमान पर जल के घनत्व का अनुपात को उस पदार्थ का आपेक्षिक घनत्व कहते है।यह एक मात्रकविहीन राशि है क्योंकि यह दो घनत्वो का अनुपात होती है।
आपेक्षिक घनत्व =धनत्व /4 dgree पर घनत्व
इसका मान हमेशा धनात्मक होता है। तथा आपेक्षिक घनत्व को विशिष्ट गुरूत्व भी कहते है।
उत्पलावन बल
उत्प्लावन बल उस बल को कहा जाता है जो कि पानी मे डूबी हुयी बस्तु के द्वारा महसूस किया जाता है।इस प्रकार
जब किसी ठोस बस्तु को किसी द्रव में आशिंक या पूर्ण रूप से डुबाया जाता है तो वह ऊपर की ओर एक बल का अनुभव करती है जिसे उत्प्लावन बल कहा जाता है
इसी प्रकार किसी गैस अथवा द्रव के द्वारा किसी बस्तु पर ऊपर की ओर बल लगने की प्रवत्ति उत्प्लावकता कहलाती है।
उत्प्लावन बल के कारण द्रव मे डूबी बस्तु का भार उसके बास्तविक भार से कम प्रतीत होता है ओर बस्तु हल्की प्रतीत होती है।
उत्प्लावन बल का मान निम्न बातो पर निर्भर करता है
A. द्रब के घनत्व पर
उत्प्लावन का मान द्रव के घनत्व के समानुपाती होता है,अर्थात् यदि किसी द्रव का घनत्व अधिक है तो उत्पलावन बल का मान अधिक होगा। तथा यदि द्रव का घनत्व कम है तो उत्प्लावन बल का मान भी कम हो जाता है।
B. बस्तु के आयतन पर
उत्प्लावन बल का मान द्रव मे डुबाई जाने बाली बस्तु के आयतन पर निर्भर करता है।यदि बस्तु का आयतन अधिक है तो उसके द्रव का अधिक भार विस्थापित किया जायेगा जिसके कारण वस्तु पर लगने वाले उत्प्लावन बल का मान भी अधिक होगा जबकि यदि बस्तु का आयतन कम है तो बस्तु पर लगने वाले उत्प्लावन बल का मान भी कम होगा।
- तैरती हुई बस्तु द्वारा हटाये गये द्रव के गुरूत्व केन्द्र को उत्पलावन केन्द्र कहते है। जब तैरने वाली बस्तु स्थायी संतुलन मे होती है तो उत्प्लावन केन्द्र व बस्तु का गुरूत्व केन्द्र दोनो एक ही उर्ध्वाधर रेखा पर स्थित होते है। तथा मितकेन्द्र गुरूत्व केन्द्र से ऊपर स्थित होता है
आर्कीमिडीज का सिद्धांत
आर्कीमिडीज एक ग्रीक वैज्ञानिक थे जिन्होनें द्रवो के बारे मे विस्त्रत अध्ययन किया तथा कुछ नियम प्रतिपादित किेये ।
आर्कीमिडीज के सिद्धांत के अनुसार –‘ जब किसी ठोस बस्तु को किसी द्रव में पूर्णत: अथवा आशिंक रूप से डुबाया जाता है तो बस्तु के भार में कुछ कमी आती है। बस्तु के भार मे होने वाली यह कमी उस बस्तु के द्वारा हटाये गये द्रव के भार के बराबर होती है। ‘ यही आर्किमिडीज का सिद्धांत कहलाता है।
आर्किमिडीज के सिद्धांत को उत्प्लावन का नियम भी कहते है।
इस प्रकार ,
उत्प्लावन बल =भार मे आभासी कमी =हटाये गये द्रव का भार
आर्किमिडीज सिद्धांत के उपयोग
आर्किमिडीज के सिद्धांत का उपयोग करके पनडुब्बीयों का निर्माण किया जाता है ।पनडुब्बीयां प्लवन के नियम ,आर्किमिडीज के सिद्धांत पर कार्य करती है।
द्रव घनत्वमापी भी आर्किमिडीज के सिद्धांत पर आधारित होता है । इसकी सहायता से द्रवों का विशिष्ट गुरूत्व मापा जाता है।
लैक्टोमीटर भी एक प्रकार का हाइड्रोमीटर होता है जो आर्किमिडीज के सिद्धांत पर कार्य करता है । लेक्टोमीटर की सहायता से दुध मे मिलाबट ,दूध की शुद्धता ज्ञात की जाती है।
Very interested subject and good things
Sir kya hwa pr gravty ka asar hota hai
aacha lga aap or bhi notes padates krna
Bhut accha explain kiya gya hai. Mujhe book se (unki use ki gyi bhasa ki vjh se) smjh nhi aa rha tha lkn ye article pdne k baad bhut madad mili.
Bhut bhut dhanyawaad is article k liye
Electrical engineer